Tuesday, April 30, 2024
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जानिए 1971 के ऑपरेशन ट्राइडेंट की कहानी!

आज हम आपको 1971 के ऑपरेशन ट्राइडेंट की कहानी सुनाने जा रहे हैं! पाकिस्तान हमारा पड़ोसी देश भले है लेकिन, उसका व्यवहार कभी अच्छे पड़ोसियों वाला रहा नहीं है। आजादी के कुछ समय बाद ही 1947 में उसने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था। उसके बाद 1971, 1999 कारगिल आदि की मदद से उसने न जाने कितनी बार हमारे देश पर आक्रमण करने की कोशिश की लेकिन, हमारे वीर जवानों के पराक्रम के आगे हमेशा उसे मुंह की खानी पड़ी। 50-50 वर्ल्ड कप में जैसे उसे कभी भारत से जीत नहीं मिल सकी ठीक वैसे ही उसे अब तक हुए युद्ध में कभी जीत नसीब नहीं हुई है। आंतकवादियों की पनाहगाह कहा जाने वाला यह देश मानता कहां है। शौर्यगाथा सीरीज के तीसरे एपिसोड में आज हम बात करेंगे ऑपरेशन ट्राइडेंट की। यह कहानी है साल 1971 की जब पाकिस्तान के जुल्म से परेशान बांग्लादेश की मदद के लिए भारतीय सेना को आगे आना पड़ा था। आज से 52 साल पहले 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना ने कराची नौसैनिक हवाई अड्डे पर हमला किया था। भारतीय नौसेना ने अपने हमले से कराची पोर्ट को नष्ट कर दिया था। इस हमले की आग 7 दिनों तक जलती रही थी। आइए समय को न गंवाते हुए आपको भारतीय नौसेना की वीरता और पराक्रम की कहानी ऑपरेशन ट्राइडेंट के बारे में बताते हैं। 3 दिसंबर को हर साल भारत इंडियन नेवी डे मनाता है। इस दिन को भारतीय नौसैनिक पाकिस्तानी नौसेना पर मिली जीत के तौर पर मनाते हैं। 1971 की 3 दिसंबर ही वो तारीख थी जब हमारे भारतीय रणबांकुरों ने पूर्वी पाकिस्तान जिसे आप बांग्लादेश कहते हैं, उसकी रक्षा में पाक सेना के खिलाफ जंग की शुरुआत कर दी थी। इस युद्ध में पहली बार भारतीय नौसेना ने जहाज पर अटैक करने वाली एंटी शिप का इस्तेमाल किया था। नौसेना ने जंग की ऐसी शुरुआत की कि पाकिस्तान के 3 जहाज नष्ट हो गए थे। हालांकि इस हमले में भारत का आईएनएस खुकरी भी डूब गया था। उस समय उसमें 18 अधिकारियों सहित 176 नौसैनिक सवार थे।

आपके मन में सवाल होगा कि आखिर इस ऑपरेशन का प्लान कैसे बना था? और इसे किसने लीड किया था? उस दौरान भारतीय नौसेना के प्रमुख या कहें चीफ थे एडमिरल एसएम नंदा। उनके लीडरशिप में ही ऑपरेशन ट्राइडेंट प्लान बनाया गया था। टास्क की जिम्मेदारी 25वीं स्कॉर्डन कमांडर बबरू भान को दी गई थी। इसके बाद 4 दिसंबर 1971 को भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान पर पहला हमला किया था। उसने यह हमला कराची स्थित पाकिस्तानी नौसेना हेडक्वॉर्टर पर किया था। इस हमले में पाकिस्तान के एम्यूनिशन सप्लाई शिप समेत कई जहाज तबाह कर दिए थे। पाक के ऑयल टैंकर बी इस हमले में तबाह कर दिए थे।

एडमिरल एसएम नंदा ने ऑपरेशन ट्राइडेंट को शुरू करने से पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से इस ऑपरेशन की स्वीकृति के लिए खुद उनके पास गए थे। पूछा था कि हम सीमा के बाहर जाकर कराची पर अगर हमल करेंगे को कोई मसला तो नहीं होगा? इसपर पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने कहा कि एडमिरल, इफ देयर इज वार, देयर इज वार। मतलब अगर लड़ाई है तो लड़ाई होगी। यदि हर कोई हद में रहे तो जंग नहीं होगी। एडमिरल को अपना जवाब मिल चुका था।

सबसे पहले भारतीय नौसैनिक के बेड़े को कराची से 250 किलोमीटर की दूरी पर रोका गया। इसके बाद जैसे ही शाम हुई नौसैनिक बेड़े को 150 किलोमीटर और पास जाने का आदेश जारी कर दिया गया था। भारतीय नौसैनिकों का अपने बेड़े को जितना पास ले जा रहे थे, उतना ही वह पाकिस्तान की पहुंच से दूर हो रहा था। भारतीय नौसैनिकों ने अपना पहला हमला निपट, निर्घट और वीर मिसाइल से किया। सभी बोट्स 4-4 मिसाइलों से लैस थीं। स्कॉर्डन कमांडर बबरू भान खुद निपट बोट पर मौजूद थे। इस हमले में पाकिस्तान के पीएनएस खैबर, पीएनएस चैलेंजर और पीएनएस मुहाफिज को मिसाइल से तबाह कर पानी में डुबो दिया गया। भारतीय नौसेना के इस हमले के ताबड़तोड़ हमले से पाकिस्तानी नौसेना भी अलर्ट मोड पर आ गई। उसने दिन और रात कराची पोर्ट के चारों ओर छोटे विमानों से निगरानी रखनी शुरू कर दी।

भारतीय नौसेना ने अपने हमले में पाकिस्तान केराची पोर्ट में ऑयल डिपो को भी तबाह कर दिया था। आग की लपटों को 60 किलोमीटर दूर तक देखा जा सकता था। भारतीय नौसेना के इस हमले की आग ऐसी थी कि कराची तेल डिपो 7 दिन तक जलता रहा था। इसे चाहकर भी 7 दिन तक नहीं बुझाया जा सका था। जैसे ही ऑपरेशन खत्म हुआ भारतीय नौसैनिक अधिकारी विजय जेरथ ने एक संदेश भेजा। संदेश था, ‘फॉर पीजन्स हैप्पी इन दन नेस्ट रीज्वाइनिंग।’ इस संदेश का उनको जवाब मिला, ‘ एफ 15 से विनाश के लिए इससे अच्छी दिवाली हमने आज तक नहीं देखी।’ पाकिस्तान की जंग के इतिहास में सबसे बड़ी हार थी।

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