नई दिल्ली :  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी   ने सोमवार को 29 पुरावशेषों का निरीक्षण किया, जिन्हें ऑस्ट्रेलिया  से भारत वापस लाया गया है। सूत्रों ने कहा कि प्राचीन वस्तुएं विषयों के अनुसार छह व्यापक श्रेणियों में – शिव और उनके शिष्य, शक्ति की पूजा, भगवान विष्णु और उनके रूप, जैन परंपरा, चित्र और सजावटी वस्तुएं. पीएमओ ने सोमवार को इसकी जानकारी दी. प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि ये मुख्य रूप से विभिन्न प्रकार की सामग्री – बलुआ पत्थर, संगमरमर, कांस्य, पीतल, कागज में निष्पादित मूर्तियां और पेंटिंग हैं. भारत में एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए प्राचीन वस्तुएं राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल से हैं. बता दें कि ये पुरावशेष अलग-अलग  समय अवधि से आते हैं, जो 9-10 शताब्दी ईस्वी पूर्व के हैं

बता दें कि पीएम मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन आज यानी सोमवार को एक डिजिटल शिखर बैठक करने वाले हैं, जिसमें व्यापार एवं निवेश के क्षेत्रों समेत दोनों पक्षों के बीच संपूर्ण व्यापक रणनीतिक संबंधों को और आगे बढ़ाने की संभावना है. मोदी और मॉरिसन के बीच जून 2020 में हुई पहली डिजिटल शिखर बैठक के बाद अब सोमवार को इसकी मीटिंग होनी है. उस समय भारत-आस्ट्रेलिया के रिश्तों को ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ के स्तर तक ले जाया गया था. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन आज यानी सोमवार को एक डिजिटल शिखर बैठक करेंगे, जिसमें व्यापार एवं निवेश के क्षेत्रों सहित दोनों पक्षों के बीच संपूर्ण व्यापक रणनीतिक संबंधों को और आगे बढ़ाने की उम्मीद है. मोदी और मॉरिसन के बीच जून 2020 में हुई पहली डिजिटल शिखर बैठक के बाद सोमवार को बैठक होने वाली है. उस वक्त भारत-आस्ट्रेलिया संबंध को ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ के स्तर तक ले जाया गया था. सूत्रों ने बताया कि 152 करोड़ रुपये का कुल पैकेज अलग से नए केंद्र स्थापित करने के लिए रखा जाएगा जो द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेंगे, 97 करोड़ रुपये अलग से कौशल विकास के लिए और 136 करोड़ रुपये अंतरिक्ष में सहयोग बढ़ाने के लिए होगा. उन्होंने बताया कि 1500 करोड़ रुपये का निवेश ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय संबंध में किया गया सबसे बड़ा निवेश होगा.