“कोस कोस पर बदले पानी और चार कोस पर वाणी “

लद्दाख से लेकर कन्याकुमारी तक ,और गुजरात से अरूणाचल प्रदेश तक भारत में वर्णित संस्कृति अनूठी पंरपराओं के इतने रूप है की देखने वाला चकित और अभिभूत हुए बिना नहीं रहता .भारत भले ही राज्यों में विभाजित जरूर है,लेकिन उनके अपने रंग भारतीयता के आत्मा की रंग है |

26 जनवरी को ही क्‍यों मनाते हैं गणतंत्र दिवस?

26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के रूप में भारत अपने भविष्य के प्रति एक निर्णय लिया .जिसमें समाजिक ,आर्थिक ,और राजनीतिक न्याय के साथ समता की बात पक्के इरादे के साथ स्थापित किया गया, जिसमें व्यक्ति की गरिमा अगर राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित कराने वाली बंधुता को बढावा मिला .आज इस सफर के 73 बर्ष पुरे हो रहे है ,और सुमचा देश आज फिर से राजपथ पर खड़ा है ,और अपनी इस शानदार यात्रा का गवाह एक बार फिर से बनने जा रहा है . रायसीना की हिल्स रंग बिरंगे प्रकाश से सज चुकी है .इनका इतिहास सिर्फ भवन तक ही नहीं रूकता बल्की दुनिया के सबसे बडे गणतंत्र होने का गवाह भी बनता है .

लॉर्ड माऊॅटबेटन के नेतृत्व में भारत 15अगस्त 1947 को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप बन गया .इतिहास के तहखान में यह साल द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद मित्र देशों की शक्तियों को जापान की आधीनता की दूसरी वर्षगांठ के रूप में चिन्हित करता है, भारत के स्वतंत्र होने के बाद इसका अपना कोई संविधान नहीं था कानून एक समान्य प्रणाली और भारत सरकार अधिनियम 1935 के एक संशोधित संस्करण पर आधारित थे, इसे ब्रिटिश सरकार द्वारा लाया गया था |

डॉक्टर बी आर अम्बेड़कर के अध्यक्ष रूप में भारतीय संविधान का मसौदा समिति नियुक्त की गई थी .भारतीय संविधान आखिरकार 26 नवंबर1949 को तैयार और अपनाया गया ,जिसे “संविधान दिवस “के रूप में जाना जाता है .इसी के साथ महज दो महिने के बाद 26जनवरी 1950को संविधान लागु किया गया .19दिसंबर 1929को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने लाहौर अधिवेशन में ” पूर्ण स्वराज्य “या स्व शासन का एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया गया था.26 जनवरी 1930 के रूप में भारतीयों द्वारा स्वतंत्रता दिवस के रूप में मानने का निर्णय लिया गया .वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लौहार में रावी नदी के तट पर तिरंगा फहराया इस दिन को अगले 17 वर्षो तक पूर्ण स्वराज दिवस के रूप मनाता जाता था .

इस प्रकार जब 26 नंवबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाया गया तो ,कई लोगों ने राष्ट्रीय गौरव से जुड़े एक दिन पर दस्तावेज को मानना और लागू करना सही समझा .वह दिन था 26 जनवरी  देश की राजधानी दिल्ली में बुधवार की सुबह कड़कड़ाती ठंड भी दिल्ली के राजसी राजपथ के सरगर्मियों में अपनी ठिठुरन पैदा नहीं कर पायी .देश के 73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर बुधवार को राजपथ पर अद्भूत नज़ारा देखने को मिला .

जहाँ एक ओर भारत की अनेकता में एकता और समरसता वाली संस्कृति की झलकियों को प्रदर्शित किया गया ,वही दूसरी तरफ विश्व में उभरती ताकत और बदलती तस्वीर के जरिए परेड में मार्चिंग दस्तो के जरिए दिखाया गया .काफी सुरक्षा के सतर्कता बरतने के साथ साथ मात्र पाचँ हजार लोग ही शामिल हुए जिन्होंने टीकों की दोनों खुराक लेने के अलावा सभी दोहरे मास्क पहन रखे थे .

समारोह स्थल के चप्पे -चप्पे पर सुरक्षाबल की चौकस निगाह बनी रही .कुर्सियों को समाजिक दूरी का पालन करते हुए लगया गया था . हर बार से अलग इस बार का गणतंत्र दिवस कई मायनों में कुछ नए बदलावों के साथ मनाया जा रहा है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले इंडिया गेट के पास बने नेशनल वॉर मेमोरियल जाकर पुष्पांजलि अर्पित की हर बार से अलग इस बार का गणतंत्र दिवस कई मायनों में कुछ नए बदलावों के साथ मनाया जा रहा है.देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले इंडिया गेट के पास बने नेशनल वॉर मेमोरियल जाकर पुष्पांजलि अर्पित की.

उसके बाद उन्होंने देश की तीनों सेनाओं के अध्यक्षों समेत देश के रक्षा मंत्री से भेंट की और उनका अभिवादन किया.इसके बाद देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का काफ़िला राजपथ पहुंचा, जहां पीएम मोदी ने राष्ट्रपति का अभिवादन किया.आज़ादी के 75वें साल में हो रहे इस बार के गणतंत्र दिवस में कई बदलाव किए गए हैं. केंद्र सरकार ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मना रही है, लिहाज़ा इस गणतंत्र दिवस को ख़ास बनाने की पूरी कोशिश की जा रही है.

सबसे बड़ा बदलाव तो ये हुआ है कि इस बार से अब हर साल गणतंत्र दिवस का आयोजन आठ दिनों तक चलेगा.साथ ही इस बार परेड सवेरे 10 बजे की बजाय 10.30 बजे शुरू हुई. जिसमें देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित राज्यों के साथ 9 मंत्रालयों की झांकियों का प्रदर्शन किया गया.गणतंत्र दिवस परेड की पहली टुकड़ी 61 कैवेलरी थी. यह दुनिया की एकमात्र सेवारत सक्रिय हॉर्स कैवेलरी रेजिमेंट है.दिल्ली के राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में सेंचुरियन टैंक, PT-76, MBT अर्जुन MK-I और APC पुखराज की टुकड़ी ने भी भाग लिया.भारतीय वायुसेना की टुकड़ी के साथ रफ़ाएल लड़ाकू विमान की पहली महिला फ़ाइटर पायलट, फ्लाइट लेफ़्टिनेंट शिवांगी सिंह भी परेड में शामिल हुईं