Home Global News रूस-यूक्रेन संकट:यूक्रेन पर रूस के हमले का आज चौथा दिन तक क्या- क्या हुआ ?

रूस-यूक्रेन संकट:यूक्रेन पर रूस के हमले का आज चौथा दिन तक क्या- क्या हुआ ?

रूस-यूक्रेन संकट:यूक्रेन पर रूस के हमले का आज चौथा दिन  तक क्या- क्या हुआ ?
people marched against war on Ukraine

यूक्रेन पर रूस के हमले का आज चौथा दिन है. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि कुछ समय में कीएव पर रूस का मिसाइल हमला हो सकता है. राजधानी में रविवार सवेरे से हवाई हमले के सायरन बजते भी सुन गए.

कीएव के मेयर ने नागरिकों को सोमवार सुबह तक घर के अंदर रहने का आदेश दिया है. शनिवार दोपहर से लेकर सोमवार सुबह तक के कर्फ़्यू की घोषणा की गयी है.

इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की लगातार दुनिया के अलग-अलग देशों से समर्थन जुटाने में जुटे हैं. अमेरिका समेत कुछ पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को हथियार भेजने की बात कही है.

26 फ़रवरी का घटना

शनिवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा करने वाला प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ सका था. रूस ने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए इसे रोक दिया.

इसके कुछ देर बाद ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने यूक्रेन में हमला कर रहे रूसी सैनिकों से वापस अपने बैरक में लौटने की अपील की थी.

पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “हमें हार नहीं माननी चाहिए, हमें शांति स्थापित करने के लिए एक और मौक़ा देना चाहिए. सैनिकों को अपने बैरक में लौटने की ज़रूरत है. साथ ही नेताओं को शांति बनाए रखने की और बातचीत के रास्ते पर आगे बढ़ने की ज़रूरत है.”

सड़कों पर छिड़ी जंग

शनिवार को यूक्रेन की राजधानी कीएव में स्थानीय समयानुसार शाम 5 बजे से सुबह 8 बजे तक नए सिरे से कर्फ़्यू लगा दिया गया. यहां सड़कों पर जंग छिड़ गई है. शनिवार सुबह राजधानी कीएव में भारी गोलीबारी की आवाज़ें सुनी गई थी. कीएव में प्रशासन ने कहा , “हमारे मुख्य शहर की सड़कों पर फिलहाल जंग शुरू हो चुकी है.”

उन्होंने कहा कि यूक्रेन की सेनाओं का राजधानी कीएव और उसके आस-पास के मुख्य शहरों पर पूरा नियंत्रण है और यूक्रेन के हर शहर में रूसी सैनिकों को कड़ी टक्कर मिल रही है.

पश्चिमी देशों और रूस के बीच क्या-क्या हुआ?

पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के ऐलान के बाद रूस की तरफ़ से भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. रूस के पूर्व राष्ट्रपति दमित्री मेद्वदेव का कहना है कि उनके देश को पश्चिमी देशों के साथ कूटनीतिक संबंध बनाए रखने की कोई ज़रूरत नहीं है.

इस बीच जर्मनी की ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर ने कहा है कि वो अपने हवाई क्षेत्र में रूसी एयरलाइंस को रोक देंगी. इससे पहले एस्टोनिया, पोलैंड, बुल्गारिया और चेक रिपब्लिक ने भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए हैं. रूस भी कई देशों पर ऐसे ही प्रतिबंध अपनी तरफ़ से लगा रहा ैह.

यूक्रेन इस वक़्त पूरी तरह से रूस का आक्रामक हमला झेल रहा है, साथ ही वो अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है.

यूक्रेन पर रूस के हमले को   दिन बीत चुके हैं. इस बीच रूसी सेना यूक्रेन की राजधानी कीएव तक पहुंच चुकी है. लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आगे क्या होगा?

रूस के लिए सबसे बड़ा इनाम कीएव यानी यूक्रेन की राजधानी है. एक ऐसा शहर जहां अभी लड़ाई जारी है.

ये स्पष्ट है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिम की तरफ़ झुकाव रखने वाले अपने पड़ोसी देश पर क़ब्जे को लेकर अपने डिफ़ेंस चीफ़ की योजना का महीनों अध्ययन किया.

इस योजना के अनुसार यूक्रेन पर आक्रमण उत्तर, पूर्व और दक्षिण – तीन तरफ से किया जाता है, आर्टिलरी और मिसाइल हमले के ज़रिए प्रतिरोध को कम किया जा सकता है, जिसके बाद पैदल सेना और टैंक रणभूमि में उतारे जाते हैं.

पुतिन चाहते हैं कि जल्द से जल्द यूक्रेन की ज़ेलेंस्की सरकार को आत्मसमर्पण कराया जाए और उसकी जगह रूस की तरफ़ झुकाव रखने वाली एक सरकार को सत्ता सौंपी जाए. इसका मकसद देश में राष्ट्रीय प्रतिरोध के लंबे अभियान को गति देने से रोकना भी है.

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फ़ॉर स्ट्रैटिजिक स्टडीज़ के ब्रिगेडियर बेन बैरी का कहना है, “कीएव पर सफ़लतापूर्वक क़ब्ज़ा, रूस के लिए सैन्य और राजनीतिक सफ़लता साबित होगा, जिसका रणनीतिक प्रभाव भी पड़ेगा.”

वो कहते हैं, “लेकिन रूस, यूक्रेन सरकार को ख़त्म नहीं कर सकता, बशर्ते उसके पास देश के पश्चिमी हिस्से में एक नया सरकारी मुख्यालय स्थापित करने की योजना हो.”

लेकिन रूस का हमला पूरी तरह उसके प्लान के मुताबिक़ नहीं रहा है. ब्रिटेन के डिफ़ेंस इंटेलिजेंस का कहना है कि इस हमले में सैकड़ों रूसी सैनिक मारे गए हैं और उन्हें भारी प्रतिरोध झेलना पड़ा है और ये अब भी जारी है. इसके साथ साथ दुनिया   भर मे रूस के  प्रति अन्य देशों मे  नाराजगी का  सुर तेज हो   चला  है.

रूस की सेना यूक्रेन की सेना के मुक़ाबले कई गुना बड़ी है. ये क़रीब एक-तीन के अनुपात में है. यूक्रेन के सैन्य नेतृत्व की क्वॉलिटी पर भी सवाल उठे हैं. ये पूछा जा रहा है कि यूक्रेन की सेना आख़िर कितनी देर तक डटी रह सकती है.