यूक्रेन (Ukraine) बॉर्डर पर लगातार बिगड़ रहे हालात के बीच भारत ने यूक्रेन में रह रहे अपने नागरिकों के लिए नई एडवाइजरी जारी की है. इस एडवाइजरी में वहां रह रहे सभी भारतीय नागरिकों को अस्थाई रूप से यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी गई है.
सरकार ने जारी की नई एडवाइजरी
भारत सरकार ने एडवाइजरी में कहा, यूक्रेन (Ukraine) में सैन्य तनाव और अनिश्चितता लगातार बनी हुई है. इसे देखते हुए यूक्रेन में रह रहे ऐसे भारतीय नागरिकों, जिनका वहां रहना बहुत जरूरी नहीं है. उन्हें भारत वापस लौटने की सलाह दी गई है. इसके साथ ही वहां पढ़ाई के लिए गए सभी छात्रों को भी अस्थाई रूप से यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी गई है.
सरकार ने यूक्रेन में रह रहे सभी भारतीय नागरिकों को कहा कि वे भारत वापस लौटने के लिए मौजूद सभी कर्मशल और चार्टर उड़ानों का इस्तेमाल कर सकते हैं. वे जितना जल्दी यूक्रेन से निकल आएं, उतना उचित रहेगा.
भारतीय दूतावास के टच में रहने की अपील
सरकार ने भारतीय छात्रों को यह भी सलाह दी कि वे चार्टर उड़ानों की अपडेट स्थिति जानने के लिए संबंधित कांट्रेक्टर के टच में रहें. साथ ही यूक्रेन (Ukraine) में भारतीय दूतावास की वेबसाइट, फेसबुक और ट्विटर अकाउंट को भी फॉलो करते रहें. जिससे उन्हें हालात की नवीनतम जानकारी मिल सके.
यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने वहां फंसे लोगो की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर +380 997300428, +380 997300483 जारी किए हैं. इसके साथ ही ईमेल आईडी cons1.kyiv@mea.gov.in भी जारी किए गए हैं. इन नंबरों और ईमेल के जरिए यूक्रेन (Ukraine) के हालात और फ्लाइट्स की स्थिति समेत बाकी सभी जानकारी जुटाई जा सकती है. दूतावास ने कहा कि ये हेल्पलाइन 24 घंटे जारी रहेगी.
सरकार जारी कर चुकी हेल्पलाइन नंबर
इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय भी यूक्रेन में फंसे भारतीयों की मदद के लिए कंट्रोल रूम तैयार कर उसका नंबर जारी कर चुका है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि अगर यूक्रेन (Ukraine) में फंसे किसी भी व्यक्ति को अपने परिजनों को लेकर कुछ मदद या जानकारी चाहिए तो वो हेल्पलाइन नंबर 011-23012113, 011-23014104 और 011-23017905 पर कॉल कर सकता है. इसके साथ ही टोल फ्री नंबर 1800118797 पर कॉल या ईमेल आईडी situationroom@mea.gov.in भी विदेश मंत्रालय से जानकारी ली जा सकती है. इसके अलावा एक फैक्स नंबर 011-23088124 भी जारी किया जा चुका है.
यूक्रेन में फंसे हैं 18 हजार छात्र
बता दें कि यूक्रेन (Ukraine) में करीब 18 हजार भारतीय छात्र फंसे हुए हैं. इनमें से ज्यादातर वहां मेडिकल की पढ़ाने करने गए छात्र हैं. इन लोगों ने यूक्रेन पर युद्ध के बादल मंडराते देख भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है. वहीं अपने नागरिकों को यूक्रेन से निकालने के लिए नागरिक विमानन मंत्रालय ने भारत और यूक्रेन की बीच उड़ानों पर लगी पाबंदी को हटा दिया है.
यूक्रेन से रूस का विवाद क्या है?
यूक्रेन का पूर्वी भाग रूस के बॉर्डर से लगा हुआ है सोवियत संघ के विघटन के साथ लोग अधिकांश रूसी मूल के लोग यूक्रेन में बस गए.इस वजह से दोनों देशों के बीच आपसी तालमेल बेहतर था, लेकिन 2014 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के करीबी विक्टर यानुकोविच की सत्ता चली गई. यानुकोविच के हटने के बाद से रूस और यूक्रेन में सियासी तनाव शुरू हो गया.रूस ने इसके बाद यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर हमला कर कब्जा लिया। यूक्रेन को 1954 में सोवियत संघ के सर्वोच्च नेता निकिता ख्रुश्चेव ने क्रीमिया गिफ्ट में दिया था. क्रीमिया पर रूसी कब्जे के बाद यूक्रेन ने पश्चिमी देशों से मित्रता बढ़ानी शुरू कर दी. ताजा विवाद यूक्रेन के नॉर्थ अटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) में शामिल होने की खबर से शुरू हुई.यूक्रेन के NATO में शामिल होने की अटकलों से नाराज रूस ने सीमा पर लाखों सैनिकों की तैनाती किया .
यूक्रेन-बेलारूसी सीमा के करीब हो रहा है युद्धाभ्यास
यह सैन्य अभ्यास – जिसे एलाइड रिज़ॉल्यूशन 2022 (Allied Resolve 2022) नाम दिया गया – यूक्रेन के साथ बेलारूसी सीमा के करीब आ रहा है, जो 1,000 किमी (620 मील) से थोड़ा अधिक लंबी है.इस अभ्यास ने रूसी सैनिकों को यूक्रेन की राजधानी कीव (Kyiv) के करीब रखा है, ऐसी आशंका है कि अगर रूस यूक्रेन पर
आक्रमण करने की कोशिश करता है, तो शहर पर हमला आसान हो जाएगा.बेलारूस के नेता अलेक्जेंडर लुकाशेंको (Alexander Lukashenko) रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के दृढ़ सहयोगी हैं और दोनों देशों ने एक तथाकथित “संघ राज्य” बनाया है जिसमें आर्थिक और सैन्य एकीकरण शामिल है. क्रेमलिन (Kremlin) ने 2020 में एक विवादित चुनाव के बाद लुकाशेंको का समर्थन किया, जिसके कारण बेलारूस में विरोध हुआ.अमेरिका का कहना है कि बेलारूस के साथ अभ्यास में करीब 30,000 रूसी सैनिकों के भाग लेने की उम्मीद है, हालांकि मॉस्को और मिन्स्क (Minsk) ने प्रतिभागियों की सही संख्या का खुलासा नहीं किया है.
रूस ने कहा था अभ्यास के बाद लौट जाएंगे सैनिक
रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इसका उद्देश्य, “रक्षात्मक अभियान के साथ बाहरी आक्रमण को दूर रखने” का अभ्यास करना है. सैनिक सीमा की सुरक्षा के लिए अभ्यास भी करेंगे और हथियारों और गोला-बारूद के वितरण चैनलों को ब्लॉक करेंगे.रूस इस बात पर जोर दे रहा है कि उसे समझौते के मुताबिक अपने सैनिकों को अपने और सहयोगियों के क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित करने का अधिकार है. रूस ने कहा गया है कि अभ्यास के बाद बेलारूस में सैनिक अपने ठिकानों पर लौट आएंगे.दूसरी तरफ यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने सैन्य अभ्यास पर चिंता व्यक्त की है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने कहा, “सीमा पर बलों का जमा होना हमारे पड़ोसियों की तरफ से मनोवैज्ञानिक दबाव है.”
विशेषज्ञों का कहना है कि रूस इस ताक में है कि अगर नाटो, अमेरिका या यूक्रेन कोई रूस विरोधी कदम उठाता है तो मॉस्को इस बहाने यूक्रेन पर हमला कर सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मॉस्को को धमकी दी है कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो क्रेमलिन पर ऐसे-ऐसे प्रतिबंध लगाए जाएंगे जो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देखे नहीं होंगे.कही एक्सपर्ट का मानना है की रूस -यूक्रेन विवाद तीसरा वर्ल्ड वार का कारण भी बन सकता है .