Friday, March 29, 2024
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भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड अभिषेक दीक्षित को डेढ़ वर्ष बाद बहाल

 

नई दिल्ली :  यूपी शासन ने भ्रष्टाचार के संगीन आरोप में निलंबित 2006 बैच के आइपीएस अभिषेक दीक्षित  को डेढ़ वर्ष बाद बहाल कर दिया है। तत्कालीन एसएसपी प्रयागराज रहे अभिषेक दीक्षित को उनके मूल कैडर तमिलनाडू में भेजने का निर्णय लिया गया है। गृह विभाग की ओर से उन्हें रिलीव किए जाने का आदेश भी दिया गया है, जिसके बाद मंगलवार को उनकी रवानगी होगी। उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने आठ सितंबर 2020 को सस्पेंड कर दिया था। डिप्टेशन पर यूपी आए अभिषेक को सबसे पहले पीएसी में तैनाती दी गई थी। उसके बाद पीलीभीत का एसपी बनाया गया था। उसके बाद अभिषेक को 17 जून 2020 को प्रयागराज का एसएसपी बनाया गया था। निलंबन के बाद उनके विरुद्ध विभागीय जांच लखनऊ कमिश्नरेट के संयुक्त पुलिस आयुक्त   नीलाब्जा चौधरी को सौंपी गई थी।

आइपीएस अभिषक दीक्षित पर एसएसपी प्रयागराज रहने के दौरान अधीनस्थ पुलिसकर्मियों के तबादले व तैनाती को लेकर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे। साथ ही उनके विरुद्ध पुलिस मुख्यालय के निर्देशों का अनुपालन न करने व कार्य में शिथिलता बरतने की शिकायतें भी थीं। उनके विरुद्ध विजिलेंस जांच का आदेश भी दिया गया था, जिसमें वह विभागीय अनियमितता बरतने के दोषी पाए गए थे। विजिलेंस ने शासन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही की संस्तुति की थी। दीक्षित ट्रांसफर-पोस्टिंग की पहली ही लिस्ट आते ही अधिकारियों की नजर में आ गए थे। चौकी प्रभारियों की इस सूची में लगभग 50 नाम ऐसे थे, जिन्हें दागी होते हुए भी मलाईदार चौकियों में तैनाती दी गई थी। इसके बाद 27 इंस्पेक्टर व 10 दरोगा की सूची जारी हुई, जिन्हें थानेदार बनाया गया। जिसमें कई ऐसे इंस्पेक्टर के नाम शामिल थे जिन्हें पूर्व में गंभीर आरोपों में हटाया गया था साथ ही विजिलेंस जांच का आदेश भी दिया गया था। जिसमें वह विभागीय अनियमितता बरतने के दोषी पाए गए थे। विजिलेंस ने शासन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की संस्तुति की थी।डेढ़ वर्ष बाद आइपीएस अभिषेक दीक्षित को बहान करने का निर्णय लिया गया है। हालांकि अभिषेक को अब गृह विभाग की ओर से रिलीव किए जाने के बाद उन्हें उनके मूल कैडर तमिलनाडू में भेजने का निर्णय लिया गया है। । आइपीएस अभिषेक दीक्षित को 8 सितंबर 2020 को निलंबित किया गया था। निलंबन के बाद उनके विरुद्ध विभागीय जांच लखनऊ कमिश्नरेट के संयुक्त पुलिस आयुक्त नीलाब्जा चौधरी को सौंपी गई थी।

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