रूस ने यूक्रेन में विद्रोहियों के क़ब्ज़े वाले इलाकों दोनेत्स्क और लुहान्स्क को मान्यता दे दी है. इसके बाद अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने उस पर सीमित प्रतिबंध लगाने का एलान कर दिया हैअभी रूस पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाए गए हैं. हालांकि इसकी भी तैयारी पिछले कुछ समय से चल रही है .उधर, यूक्रेन पर रूस के हमले की आशंकाओं के बीच आयरलैंड ने भी चेतावनी देते हुए कहा है कि उसके तटीय इलाके में जंग जैसे हालात नहीं पैदा होने दिए जाएंगे.दूसरी तरफ़, यूक्रेन पर रूसी हमले की सूरत में अमेरिका और यूरोपीय संघ कड़ी जवाबी कार्रवाई के लिए साझा कदम उठाए जाने की संभावनाओं पर गौर कर रहे हैं. रूस ने अपने पड़ोसी देश यूक्रेन की सीमा पर तकरीबन एक लाख सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती कर रही है. इसे लेकर भारी तनाव की स्थिति है. हालांकि रूस इस बात से इनकार करता है कि उसकी योजना उक्रेन पर हमला करने की है. यूक्रेन पर रूस के मंडराते खतरे के देखते हुए देश की महिलाएं बड़े तौर पर यूक्रेन की सेना में हिस्सा ले रही हैं. ताकि वह अपने देश की रक्षा कर सकें. पुरुषों के साथ अपने देश की हिफाजत के लिए एक बार फिर से यूक्रेन की महिलाओं ने मोर्चा संभालने का फैसला लिया. आइये इस बारे में आगे विस्तार से जाने.
यूक्रेन पर संकट को बढ़ता देख सेना में महिलाओं की भर्तीरिपोर्टों के अनुसार, रूस के साथ युद्ध के खतरे को देखते हुए बड़ी तादाद में यूक्रेन की महिलाएं सेना में शामिल हो रही है. जिसमें कई अलग-अलग व्यवसाय की महिलाएं शामिल हैं. जिन्होंने देश की रक्षा करने का जिम्मा उठाया है. सेना में महिलाओं की भर्ती कर उन्हें बुनियादी ट्रेनिंग दी जा रही है जिसमें उन्हें बन्दुक चलाना, बेसिक फर्स्ट-ऐड, आत्म-रक्षा की ट्रेनिंग शामिल है. पिछले साल दिसंबर में यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने 18 से 60 साल तक की महिलाओं को सैन्य सेवा के लिए फिट बताया था. सेना में शामिल हो रही महिलाओं का बस एक लक्ष्य है कि वह अपने देश की रक्षा कर सके. बाबुश्खा बटालियन-बुजुर्ग महिलाओं की फौजदेश की रक्षा करने में यूक्रेन की उम्रदराज महिलाएं भी किसी से कम नहीं हैं. यहाँ पर ‘बाबुश्खा बटालियन’ नाम से एक संगठन है जो इन बूढी महिलाओं का है. इस बटालियन में शामिल महिलाएं युद्ध के समय सेना की कई प्रकार से मदद करती हैं. ‘बाबुश्खा बटालियन’ की महिलाएं सैन्य आपूर्ति, चिकित्सा सेवा, और ख़ुफ़िया संसथान के लिए भी काम करती हैं. इस में शामिल वैलेनटाइना कोंस्तान्तिनोवस्का जो की 79 वर्ष की हैं वो आज भी हथियार उठा के रूसी सेना से लड़ने को तैयार हैं. पहले भी शक्ति प्रदर्शन कर चुकी है यूक्रेन की महिलाएंये पहली बार नहीं हैं, जब यूक्रेन की महिलाओं ने अपने देश की रक्षा के लिए हथियार उठाएं हैं. ये पहले भी युद्ध के मैदान में पुरुषो के साथ कंधे से कन्धा मिला के देश की रक्षा के लिए लड़ चुकी हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2014 के बाद से ही यूक्रेन में महिला सैनिक संख्या दोगिनी हो गई हैं. 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया पर रूस ने हमला कर उस पर कब्ज़ा कर लिया था. उस दौरान भी महिला सैनिको ने रूस का डटकर सामना किया था. उस हमले के दौरान लगभग 14 हजार से ज्यादा यूक्रेनी सैनिक और सिविलियंस मारे गए थें. जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी थी. वर्तमान समय में महिलाओं की हिस्सेदारीवर्तमान समय में यूक्रेन सेना में महिला सैनिको की संख्या लगभग 31 हजार हैं. जिसमें से 1100 महिलाएं सैन्य अफसर हैं, 13 हजार से ज्यादा महिलाएं युद्ध क्षेत्रो में तैनात हैं. यूक्रेन में महिला सैनिको की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी है। अलगाववादी गुटो को रूस का समर्थनयूक्रेन का आरोप हैं कि इन अलगाववादियों के साथ रूसी सेना मिल कर यूक्रेन से लड़ रही हैं और रूस इन्हें हथियारों से मदद करती है. यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में इनका अधिक प्रभाव है. 2014 के बाद से इन अलगाववादियों की हिम्मत और बढ़ गयी थी और इनसे लड़ने में भी यूक्रेन की महिला सैनिक एक अहम भूमिका निभा रही है. यूक्रेन-रूस विवाद क्या है
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महिलाओं ने संभाला यूक्रेन की सुरक्षा का जिम्मा ,रूसी सैनिक को ऐसे देगी जवाब
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