Saturday, July 27, 2024
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केन्द्रीय राजमंत्री के बेटा आशीष मिश्रा के जमानत के सियासी मायने क्या है

लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को तिकुनियां में उपद्रव के बाद हिंसा में चार किसान सहित आठ लोगों की मौत के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में बड़ा फैसला किया है. हाई कोर्ट ने इस केस के मुख्य आरोपित केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू  को जमानत मिल  गई है .तीन अक्तूबर को लखीमपुर खीरी में कारों से कुचले जाने से चार किसानों की मौत हुई थी जिसमें से एक कार आशीष मिश्रा की थी. उत्तर प्रदेश पुलिस की एसआईटी इस मामले की जाँच कर रही है और बीते महीने ही इस केस में चार्जशीट दाखिल की गई थी.पांच हज़ार पन्नों की चार्जशीट में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र मुख्य अभियुक्त हैं. साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश दास के भतीजे अंकित दास के अलावा 12अन्य सह अभियुक्त हैं.

पूरा मामला क्या है

बीते साल तीन अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर ज़िले के तिकुनिया क़स्बे में उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का विरोध कर रहे किसानों पर बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा से जुड़े लोगों ने गाड़ियां चढ़ा दी थीं.इस घटना में चार किसानों की कारों से कुचलने से मौत हुई थी. एक पत्रकार की भी कार से कुचलने से मौत हुई थी जबकि मौक़े पर मौजूद भीड़ ने कारों में सवार तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी. कुल आठ लोग इस हिंसा में मारे गए थे.

लखीमपुर खीरी की तिकुनिया पुलिस ने आशीष मिश्रा पर धारा 307 की जगह 279, 326 की जगह 338 और धारा 341 की जगह 304 A लगाया . तहरीर में गोली चलाये जाने का जिक्र है लेकिन, लखीमपुर खीरी पुलिस ने इसे बिल्कुल ही नज़रअंदाज कर दिया. लेकिन बाद में  SIT ने यूपी पुलिस की उस गलती में सुधार किया है और FIR के मुताबिक इल्ज़ाम की धाराएं बढ़ाई गई  . इसके बीच पुलिस पर भी पक्षपात करने का आरोप लग चुकी है लेकिन, लखीमपुर हिंसा मामले में पुलिस ने यही पर बड़ी चूक कर दी. इसे ही पक्षपात कहा जा रहा है. SIT ने कहा है कि IPC की धारा 279, 338 और 304 A की जगह 307, 326, 34 और आर्म्स एक्ट की धारा 3/25/30 लगायी जाए. IPC की धारा 307 जान से मारने का प्रयास, 326 – खतरनाक आयुधों (डेंजरस वेपन) या साधनों से गंभीर आघात पहुंचाना, 34 – कई व्यक्तियों के साथ मिलकर एक जैसा अपराध करना और आर्म्स एक्ट की धारा 3/25/30 लाइसेंसी हथियार का गलत प्रयोग करना है.

आशीष मिश्रा के खिलाफ 4 अक्टूबर को तिकुनिया थाने में जगजीत सिंह ने जो तहरीर दी थी उसके मुताबिक इन धाराओं को FIR दर्ज करते समय ही लगाया जाना चाहिए था. तहरीर में कहा गया है कि आशीष मिश्रा अपने समर्थकों के साथ फायरिंग करते हुए किसानों को अपनी गाड़ी से रौंदते हुए निकल गए. इसमें चार की मौत और कई गंभीर घायल हो गये. तहरीर में ये भी कहा गया है कि आशीष मिश्रा ने गुण्डईपूर्वक ये कृत्य किया है. और तो और तहरीर में जगजीत सिंह ने साफ साफ लिखा है कि आशीष मिश्रा ने सुनियोजित तरीके से षड्यंत्रपूर्वक घटना को अंजाम दिया है.

सुप्रीम  कोर्ट को क्यों आना पड़ा बीच मे

सुप्रीम कोर्ट  लखीमपुर खीरी कांड में जांच की निगरानी के लिए सेवानिवृत्त पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया . और SIT रिपोर्ट के जरिए यह खुलासा किया गया की    केन्द्रीय  राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा  घटनास्थल पर मौजूद थे .इसके पहले की पूछताछ के जरिए और मिडिया इंटरव्यूज में आशीष  मिश्रा खुद को उस घटना स्थल पर मौजूद नहीं बता रहा था .लेकिन जांच में सहयोग नहीं करने के आरोप में आशीष को गिरफ्तार कर लिया गया. लगभग 12 घंटे तक चली पूछताछ के बाद आशीष को गिरफ्तार किया गया है. गौरतलब है कि क्राइम ब्रांच ने आशीष मिश्रा को समन किया था. क्राइम ब्रांच की ओर से आशीष मिश्रा को समन कर 9 अक्टूबर को दिन में 11 बजे तक पेश होने को कहा गया था.12 घंटे के पूछताछ  के  दौरान  3 अक्टूबर को दिन में 2:36 से 3:30 बजे तक कहां था, इसका जवाब भी  नहीं  दे पाया था .

अब लखीमपुर हिंसा केस में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आशीष मिश्रा को जमानत दे दी है. इस मामले पर सुनवाई पहले ही पूरी हो चुकी थी. कोर्ट ने अब फैसला सुनाते हुए जमानत दे दी है.इसको लेकर एक बार फिर कानून व्यवस्था और  आशीष मिश्रा पर लगने वाले संगीन  अपराधों  की धराए विपक्षी  पार्टियों के निशाने पर है .किसान आंदोलन  के सबसे बड़ा  चेहरा राकेश टिकैत का कहना है कि ‘कोई आम आदमी होता तो इतनी जल्दी जमानत मिलती क्या’,हमारा तो यह कहना है कि 302 के इतने गंभीर मामले में दूसरे लोगों को भी बेल मिली हो तो ठीक है, नहीं मिली हो तो देख लो. वही प्रियंका गांधी ने एक रैली को संबोधित करने के  समय आशीष   मिश्रा के रिहाई को लेकर  बोली “अब वो खुला घूमेगा ‘वही अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कर  योगी सरकार और मोदी सरकार के कानून    पर सवाल खडा किया है और  जनता को’ सावधान ” रहने के लिया  बोला  है .

आशीष मिश्रा के जमानत के सियासी मायने क्या है

उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को एक मजबूत वोट बैंक के रूप में देखा जा रहा है, जिसे अपने पाले में करने के लिए हर पार्टी पूरा जोर लगाए हुए हैं. जब चुनाव का ऐलान भी नहीं हुआ था, तभी से सारी पार्टियां पूरे प्रदेश में प्रबुद्ध ब्राह्मण सम्मेलन, सभाएं कर रही थीं.इसके साथ यह भी कई मायने निकाला जा रहा है की बार बार विरोधी गुट को कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करने से वर्तमान योगी सरकार कानून व्यवस्था के घेरे में आ जाती थी . आशीष मिश्रा के पिता केंदीय गृह मंत्री है .इसको लेकर भी लोगों के मन-मस्तिष्क में सवाल उठ रहे है .राजमंत्री अजय मिश्र टेनी का मोदी सरकार का इस्तीफा नहीं लेना कानून व्यवस्था की मजबुती से मजबुरी की ओर इशारा कर रही है . और इसके साथ 115सीटो पर ब्रम्हाण समुदाय का गेमचेंचर होना और 15 प्रतिशत यूपी में ब्रम्हाण वोट बैक कानून व्यवस्था का बेबसी आसानी से देखी जा सकती है .और इसको साधने का मौका बीजेपी कही से नहीं छोडना चाहती है इसलिये आशीष मिश्रा का जमानत सियासी मायनों में एक ब्रम्हाण वोट बैक पाने के लिये मास्टर स्ट्रोक जैसा है .

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