Tuesday, May 21, 2024
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जब देश में 7 घंटे तक होती रही बैंक में चोरी!

हाल ही में देश में 7 घंटे तक एक बैंक में चोरी होती रही! बैंक रॉबरी में अक्सर लुटेरे एक प्लान बनाते हैं और फिर बैंक में धावा बोलकर पैसा लूट लेते हैं, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ, लेकिन इसके बावजूद बैंक और एटीएम मशीन से निकल गए 94 करोड़ रुपये। सांत घंटे तक लूट होती रही, बैंक प्रशासन इसे रोकने में पूरी तरह से लाचार नजर आया। एक के बाद एक एटीएम मशीन से पैसे निकलते चले गए, लेकिन कोई इसे रोक नहीं पाया। दुनिया के 28 देशों में मौजूद एटीएम मशीनों से पैसे निकले और ये सब हुआ पुणे में बैठे लुटेरों की वजह से। ये बैंकिंग की दुनिया की सबसे बड़ी लूट थी जिसे सर्वर को हैक करके अंजाम दिया गया था। ये बात है साल 2018 की। अगस्त महीने का 18वां दिन था। कभी 2 लाख, कभी दस 10 लाख, न जाने कितनी ही ट्रांजेक्शन हो चुकी थी। रात दस बजते-बजते करीब 80 करोड़ रुपये बैंक से निकाले जा चुके थे। भारत में भी 2089 बैंकिंग ट्रांजेक्शन हुई और 2.50 करोड़ रुपये लोगों के अकाउंट से निकाले गए। लूटी गई रकम का बड़ा हिस्सा हॉन्गकॉन्ग के बैंक में भी ट्रांसफर किया गया।सामान्य तरीके से बैंकिंग का काम चल रहा था, लेकिन 3 बजते ही अचानक वो हुआ जिसकी कभी भी कल्पना नहीं जा सकती थी। फिर पूरी दुनिया के 28 देशों की अलग-अलग एटीएम मशीनों से एक के बाद एक कर पैसे निकाले जाने लगे। जांच शुरू हुई,बैंलेकिन क्रिमिनल्स का कोई पता नहीं चला, लेकिन अब पांच साल बाद जाकर इसी साल इस मामले में पुणे के 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनके पास से पुलिस ने 5 करोड़ 72 लाख रुपये बरामद भी किए।कॉसमॉस कोऑपरेटिव बैंक के हेड ऑफिस के सर्वर को क्रिमिनल्स ने हैक कर लिया। सर्वर हैक हुआ तो ग्राहकों के बैंक की पूरी जानकारी निकाल ली गई। ग्राहको के डेबिट कार्ड की डिटेल इन हैकर्स तक पहुंच गई और फिर पूरी दुनिया के 28 देशों की अलग-अलग एटीएम मशीनों से एक के बाद एक कर पैसे निकाले जाने लगे।

बैंक प्रशासन नींद उड़ गई। ट्रांजेक्शन पर ट्रांजेक्शन हो रही थी, लेकिन बैंक कुछ नहीं कर पा रहा था। करीब 500 ग्राहकों डेबिट कार्ड क्लोन हो चुके थे। जितने घंटे बढ़ रहे ट्रांजेक्शन उतनी बढ़ रही थी। आईटी की टीम काम पर जुटी हुई थी, लेकिन कुछ नहीं हो रहा था। हर मिनट बैंक के लिए भारी पड़ रहा था। ग्राहकों के बैंक अकाउंट खाली होने लगे थे। 28 देशों में करीब 12000 हजार बैंक ट्रांजेक्शन हुई। कुछ ऑनलाइन ट्रांजेक्शन हुईं , कही एटीएम मशीन से पैसे निकाले गए।

3 बजे से बैंकिंग की लूट का ये खेल शुरू हुआ और रात 10 बजे तक चलता रहा। कई टीमें इसे रोकने पर लगी थी। ग्राहकों तक भी खबर पहुंच चुकी थी, क्योंकि जैसे ही अकाउंट डेबिट होता ऑटो जेनरेटेड मैसेज आता। हर तरफ हड़कंप मच गया। कभी एक लाख, कभी 2 लाख, कभी दस 10 लाख, न जाने कितनी ही ट्रांजेक्शन हो चुकी थी। रात दस बजते-बजते करीब 80 करोड़ रुपये बैंक से निकाले जा चुके थे। भारत में भी 2089 बैंकिंग ट्रांजेक्शन हुई और 2.50 करोड़ रुपये लोगों के अकाउंट से निकाले गए। लूटी गई रकम का बड़ा हिस्सा हॉन्गकॉन्ग के बैंक में भी ट्रांसफर किया गया।

दो दिन बाद यानी 13 अगस्त को फिर ऐसा ही कुछ हुआ और स्विफ्ट सिस्टम के जरिए 14 करोड़ रुपये और चुरा लिए गए। बैंकिंग की ये सबसे बड़ी हैकिंग थी। 11 और 13 अगस्त को 94 करोड़ रुपये जा चुके थे और ये पता नहीं था कि ये लूट किसने की।बैंकिंग का काम चल रहा था, लेकिन 3 बजते ही अचानक वो हुआ जिसकी कभी भी कल्पना नहीं जा सकती थी। कॉसमॉस कोऑपरेटिव बैंक के हेड ऑफिस के सर्वर को क्रिमिनल्स ने हैक कर लिया। सर्वर हैक हुआ तो ग्राहकों के बैंक की पूरी जानकारी निकाल ली गई। 500 ग्राहकों डेबिट कार्ड क्लोन हो चुके थे। जितने घंटे बढ़ रहे ट्रांजेक्शन उतनी बढ़ रही थी। आईटी की टीम काम पर जुटी हुई थी, लेकिन कुछ नहीं हो रहा था। हर मिनट बैंक के लिए भारी पड़ रहा था। ग्राहकों के बैंक अकाउंट खाली होने लगे थे। 28 देशों में करीब 12000 हजार बैंक ट्रांजेक्शन हुई। कुछ ऑनलाइन ट्रांजेक्शन हुईं , कही एटीएम मशीन से पैसे निकाले गए।ग्राहको के डेबिट कार्ड की डिटेल इन हैकर्स तक पहुंच गई और फिर पूरी दुनिया के 28 देशों की अलग-अलग एटीएम मशीनों से एक के बाद एक कर पैसे निकाले जाने लगे। जांच शुरू हुई,बैंलेकिन क्रिमिनल्स का कोई पता नहीं चला, लेकिन अब पांच साल बाद जाकर इसी साल इस मामले में पुणे के 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनके पास से पुलिस ने 5 करोड़ 72 लाख रुपये बरामद भी किए।

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