Friday, October 18, 2024
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जब वैज्ञानिकों ने बनाया रामसेतु का नक्शा!

हाल ही में वैज्ञानिकों ने रामसेतु का नक्शा बना दिया है! इसरो के वैज्ञानिकों ने अमेरिकी सैटेलाइट से मिले डेटा का इस्तेमाल करके राम सेतु का अब तक का सबसे विस्तृत नक्शा बनाया है। इस नक्शे से भारत और श्रीलंका के बीच बने जमीनी पुल के निर्माण को लेकर चल रहे विवादों को सुलझाने में मदद मिलने की उम्मीद है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने अमेरिका के एक उपग्रह से प्राप्त डेटा का इस्तेमाल करके राम सेतु, जिसे एडम्स ब्रिज भी कहा जाता है, उसका पहला समुद्र के नीचे का विस्तृत मैप तैयार किया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि राम सेतु के निर्माण को लेकर लंबे समय से चले आ रहे विवादों को सुलझाने में मदद मिल सकती है। यह नक्शा 29 किमी लंबे राम सेतु का पहला पानी के नीचे का नक्शा है, जो समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 8 मीटर दर्शाता है। इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर के वैज्ञानिकों ने ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ जर्नल में प्रकाशित अपने अध्ययन में कहा, ‘यह रिपोर्ट नासा के उपग्रह ICESat-2 के जल पारगम्य फोटॉन का इस्तेमाल करके एडम्स ब्रिज के बारे में जरूरी डिटेल्स प्रदान करने वाली पहली रिपोर्ट है। हमारे निष्कर्ष एडम्स ब्रिज और इसकी उत्पत्ति की समझ को और बेहतर बनाने में सहायक हो सकते हैं।

यह उपग्रह एक लेजर अल्टीमीटर से लैस है जो समुद्र के उथले क्षेत्रों में किसी भी संरचना की ऊंचाई को मापने के लिए फोटॉन या प्रकाश कणों को पानी में प्रवेश करने की अनुमति देता है। एडम्स ब्रिज भारत में रामेश्वरम द्वीप के दक्षिण-पूर्वी प्वाइंट धनुषकोडी से श्रीलंका के मन्नार द्वीप में तलाईमन्नार के उत्तर-पश्चिमी छोर तक फैला है। यह चूना पत्थर की छिछली चट्टानों की एक श्रृंखला से बनी पानी के नीचे की चोटी है, जिसके कुछ हिस्से पानी के ऊपर दिखाई देते हैं, लेकिन यहां कोई चट्टान या वनस्पति नहीं है।

जोधपुर और हैदराबाद के एनआरएससी शोधकर्ताओं ने एडम्स ब्रिज के बारे में कई जटिल विवरणों का पता लगाने के लिए नासा सैटेलाइट से खींची गई तस्वीरों का विश्लेषण किया। उन्होंने बताया कि पुल का 99.98 फीसदी हिस्सा समुद्र के पानी में डूबा हुआ है, जिसके कारण जहाजों से क्षेत्र का सर्वेक्षण संभव नहीं है। वैज्ञानिकों ने पुल के नीचे 2-3 मीटर की गहराई वाले 11 संकरे चैनलों का पता लगाया, जो मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरूमध्य के बीच पानी के मुक्त प्रवाह या आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करते हैं।

भूवैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि भारत और श्रीलंका की उत्पत्ति का आपस में गहरा संबंध है। दोनों ही गोंडवाना के प्राचीन महाद्वीप का हिस्सा थे, जो टेथिस सागर में उत्तर की ओर बह गया था। बता दें कि इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर के वैज्ञानिकों ने ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ जर्नल में प्रकाशित अपने अध्ययन में कहा, ‘यह रिपोर्ट नासा के उपग्रह ICESat-2 के जल पारगम्य फोटॉन का इस्तेमाल करके एडम्स ब्रिज के बारे में जरूरी डिटेल्स प्रदान करने वाली पहली रिपोर्ट है। लगभग 35-55 मिलियन वर्ष पहले लौरेशिया नाम के एक अन्य महाद्वीप से टकराकर अपनी वर्तमान स्थिति में आ गया था। बता दें कि वहीं शोध के शोधकर्ताओं के अनुसार, हमारी जांच के नतीजे इस बात की पुष्टि करते हैं कि राम सेतु (एडम्स ब्रिज), धनुषकोडी और तलाईमन्नार द्वीप का एक सबमरीन श्रृखंला है। एडम्स ब्रिज की क्रेस्ट लाइन पर, दोनों तरफ लगभग 1.5 किमी का हिस्सा बेहद उथले पानी के भीतर अचानक गहराई के साथ काफी उतार-चढ़ाव वाला है।

जबकि मौजूदा भूगर्भीय साक्ष्यों से पता चलता है कि यह पुल भारत और श्रीलंका के बीच एक भूतपूर्व जमीनी संबंध है।एडम्स ब्रिज, जिसे भारतीय उपमहाद्वीप में ज्यादातर राम सेतु के नाम से जाना जाता है, श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप और भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर रामेश्वरम द्वीप के बीच उथले पानी की एक श्रृंखला है। स्टडी में कहा गया है, रिसर्च में राम सेतु (एडम्स ब्रिज) के आयतन की गणना की गई, जिससे लगभग 1 km 3 की वैल्यू हासिल हुई। और दिलचस्प बात यह है कि इस आयतन का केवल 0.02 प्रतिशत ही औसत समुद्र तल से ऊपर है, और सामान्य तौर पर, ऑप्टिकल सैटेलाइट इमेजरी में भी यही दिखाई देता है – कुल मिलाकर, एडम्स ब्रिज का लगभग 99.98 प्रतिशत हिस्सा उथले और बहुत उथले पानी में डूबा हुआ है। एडम्स ब्रिज की वर्तमान भौतिक विशेषताओं की पुष्टि करने के लिए, वैज्ञानिकों ने 3डी-व्युत्पन्न मापदंडों के माध्यम से बाथिमेट्रिक डेटा से दृश्य व्याख्याओं का उपयोग किया, जिसमें आकृति, ढलान और वॉल्यूमेट्रिक विश्लेषण शामिल थे।वहीं रामेश्वरम के मंदिर में लगे तमाम अभिलेखों से पता चलता है कि यह राम सेतु 1480 तक पानी के ऊपर था और एक चक्रवात तूफान के दौरान जलमग्न हो गया था। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी गतिविधियों और हिमनदों के पिघलने से जुड़े समुद्र के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण जमीनी पुल ऊपर आ सकता है। रामेश्वरम के मंदिर अभिलेखों से पता चलता है कि यह पुल 1480 तक पानी के ऊपर था और एक चक्रवात के दौरान जलमग्न हो गया था।

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