हाल ही में नोएडा में महा ठगी का काला धंधा पकड़ लिया गया है! राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा में एक बहुत बड़े पैमाने पर ठगी का खेल चल रहा था। एक ऐसा खेल जो अगर कामयाब हो जाता तो देश की इज्जत को बड़ा नुकसान पहुंचता। नोएडा से 50 हजार अमेरिकी नागरिकों के डाटा बरामद हुए हैं। उसकी जानकारी यहां से छापेमारी के दौरान निकाली गई है। नोएडा में बैठकर अमेरिका के नागरिकों को ठगा जा रहा था और वो भी एक दो नहीं 50 हजार अमेरिकी नागरिक इन लुटेरों के निशाने पर थे। नोएडा पुलिस को खबर मिली थी कि नोएडा में डार्क वेब का इस्तेमाल हो रहा है। वैसे तो खबरे लंबे समय से इस बात की आ रही थी, लेकिन एक अमेरिकी नागरिक कुछ दिन पहले कुछ पुख्ता सबूत दिए जिसके बाद टीम बनाई गई और फिर नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अलग-अलग हिस्सों में छापेमारी की गई। यहां अलग-अलग जगह पर 4 कॉल सेंटर चल रहे थे।
इन कॉल सेंटर में करीब 40 लोग काम पर लगे हुए थे। इनका काम था डार्क वेब की मदद से अमेरिकी नागरिकों का पता लगना। उनसे जुड़ी पूरी जानकारी हासिल करना, उनके बैंक अकाउंट के नंबर निकालना। जब इन कॉलसेंटर्स में छापेमारी हुई तो यहां पर ऐसे ही कई अमेरिकी नागरिकों के डाटा मौजूद थे। करीब 50 हजार विदेशी नागरिक इन लोगों की रडार पर थे। न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी, कैलिफोर्निया के कई लोगों के साथ पहले ही ठगी की जा चुकी थी। ये लोग पहले डेटा इकट्ठा करते और फिर इस डेटा की मदद से उन्हें फोन करके ट्रैप किया जाता। ट्रैप करने के बाद पैसे की मांग होती और ये पैसा फिर हॉन्कॉन्ग के बैंक अकाउंट्स में ट्रांसफर किया जाता। करीब 4 साल से इसी तरह से काम चल रहा था। न सिर्फ नोएडा बल्कि गाजियाबाद में भी इस तरह के कॉल सेंटर ऑपरेट हो रहे थे। ताजा रेड में आरोपियों के पास 8 लग्जरी कारें, 23 लैपटॉप, 36 मोबाइल फोन, 4 लाख की नगदी और विदेशी करंसी भी बरामद हुई है।
मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक पिछले 5 सालों में 250 से ज्यादा ऐसे कॉल सेंटर पकड़े गए हैं जो विदेशी नागरिकों को अपना निशाना बना रहे थे। दरअसल इसके लिए विदेशी नागरिकों को ठगना बेहद आसान होता है। वजह होती है ऐसी ठगी में इन लोगों के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं हो पाता और इनका काम आराम से चलता रहा है। ये लोग लाखों रुपये लूट लेते हैं, लेकिन पीड़ित विदेश में होने की वजह से भारत नहीं आ पाते और इनके खिलाफ कोई गवाही सूबत नहीं होते। ऐसे में अगर इन्हें पुलिस रेड डालकर इनको गिरफ्तार भी करती है तो बड़ी ही आसानी से इनको जमानत मिल जाती है और फिर बाहर आकर वही लूट का धंधा शुरू कर देते हैं। यहि नहीं आपको बता दें कि नोएडा में सांठगांठ से अपात्र भूस्वामियों को नोएडा प्राधिकरण द्वारा मुआवजा देने का बड़ा घोटाला होने के संकेत मिल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट पहुंचे केस और कोर्ट के आदेश में दर्ज टिप्पणियों से ऐसा आभास होता है। सुप्रीम कोर्ट ने लाखों-करोड़ों रुपये का मुआवजा देने के इस मामले की सच्चाई सामने लाने के लिए जांच सीबीआइ जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपने के संकेत दिए हैं।
कोर्ट ने एक ऐसे ही मामले में नोएडा प्राधिकरण के दो अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान 14 सितंबर को ये संकेत दिए। कोर्ट ने कहा कि ऐसा नोएडा प्राधिकरण के एक या दो अधिकारियों के इशारे पर नहीं किया जा सकता। पहली निगाह में पूरा नोएडा प्राधिकरण नोएडा सेट अप इसमें शामिल प्रतीत होता है। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने बाद में उत्तर प्रदेश सरकार के एडीशनल एडवोकेट जनरल अरधेन्दु मौलिकुमार प्रसाद द्वारा राज्य सरकार से निर्देश लेने के लिए कुछ समय मांग लिए जाने पर मामले की सुनवाई टाल दी और केस को पांच अक्टूबर को फिर सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया। मौजूदा मामले में नोएडा प्राधिकरण के दो अधिकारियों विरेन्द्र सिंह नागर और एक अन्य ने कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई थी।
यह मामला नोएडा के सेक्टर-20 थाने में नोएडा प्राधिकरण के दो अधिकारियों और एक भूस्वामी के विरुद्ध फर्जीवाड़े व धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं, आइपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 13(1)(ए) के तहत दर्ज है। आरोप के मुताबिक नोएडा प्राधिकरण के दो अधिकारियों ने आपराधिक साजिश करके अपात्र भूस्वामी को गलत तरीके से 7,26,80,427 रुपये मुआवजा दे दिया। उस भूस्वामी को मुआवजा पाने का कानूनन अधिकार नहीं था। ऐसा आपराधिक साजिश के चलते किया गया।