आज हम आपको बताएंगे कि अपने कार्यकाल के दौरान कौन-कौन से सांसद लोकसभा से जुदा थे! हाल ही में संसद का बजट सत्र संपन्न हुआ। इसी के साथ संसद की 17वीं लोकसभा में आखिरी सत्र संपन्न हो गया। इन पांच सालों में तमाम सांसदों ने बताैर प्रतिनिधि अपने अपने इलाके के लोगों के सरोकार, मुृद्दे और आवाज को सदन में उठाने की कोशिश की। लेकिन लोकसभा के 543 सांसदों में से कुछ ऐसे भी थे, जिन्होंने संसदीय गतिविधि में न के बराबर भाग लिया। इनमें प्रमुख नाम ‘गदर’ व ‘गदर2’ जैसी फिल्मों के हीरो सनी देओल और पूर्व मंत्री व सांसद रह चुके शत्रुघ्न सिन्हा भी शामिल हैं।लोकसभा सूत्रों के मुताबिक, बंगाल से टीएमसी सांसद दिब्येंदु अधिकारी, कर्नाटक से बीजेपी सांसद व पूर्व राज्य मंत्री अनंत कुमार हेगड़े, बीजेपी सांसद वी श्रीनिवास प्रसाद और बीजेपी सांसद बी एन बचे गौडा, पंजाब से बीजेपी सांसद सनी देओल, असम से बीजेपी सांसद प्रदान बरुआ ऐसे सांसद हैं, जो लोकसभा के अपने पांच साल के कार्यकाल में सदन में एक शब्द भी नहीं बोले। इन लोगों ने किसी भी संबोधन व चर्चा में भाग नहीं लिया। हालांकि इन सांसदों ने भले मौखिक रूप से कोई भागीदारी न दिखाई हो, लेकिन लिखित रूप से भागीदारी जरूर दिखाई। इन लोगों ने लिखित सवाल या लिखित रूप से अपनी भागीदारी जरूर दिखाई।
वहीं दूसरी ओर संसद में तीन सांसद ऐसे भी थे, जिन्होंने सदन में लिखित या मौखिक किसी भी रूप में अपनी भागीदारी दर्ज नहीं कराई। इनमें बॉलिवुड से नेता बने वेस्ट बंगाल से टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, यूपी से बीएसपी सांसद अतुल राय और कर्नाटक से बीजेपी सांसद व पूर्व राज्य मंत्री रमेश सी जिगजिगानी शामिल हैं। गौरतलब है कि शत्रुघ्न सिन्हा जहां 2022 में ही चुन कर लोकसभा पहुंचे। वहीं राय लोकसभा चुनाव जीतने के तुरंत बाद आपराधिक मामले में जेल चले गए, जहां वह चार साल तक लगातार जेल में रहे। पिछले साल अगस्त में ही उनकी रिहाई हुई। जबकि जिगजिगानी के लिए कहा जाता है कि वह अपनी सेहत के चलते लोकसभा में सक्रिय नहीं रह पाए।लोकसभा से मिली जानकारी के मुताबिक, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 17वीं लोकसभा के आखिरी सत्र से पहले तमाम ऐसे सांसदों को लेकर कोशिश की कि जो लोग एक बार भी सदन में नहीं बोले हैं, उन्हें बोलने का मौका दिया। कहा जाता है कि सनी देओल को दो बार बोलने के लिए कहा गया, लेकिन वह दोनों बार ही बिना बोले चले गए।
वहीं दूसरी ओर लोकसभा चुनाव से पहले संसद का यह आखिरी सत्र है। ऐसे में सरकार ने मंगलवार को सर्वदलीय बैठक की। रक्षा मंत्री और लोकसभा में सदन के उपनेता राजनाथ सिंह, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी और संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बैठक में सरकार का प्रतिनिधित्व किया। संसद भवन परिसर में हुई इस बैठक में उपस्थित नेताओं में कांग्रेस के नेता कोडिकुनिल सुरेश, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय शामिल हुए। इनके अलावा डीएमके नेता टी आर बालू, शिवसेना के राहुल शेवाले, समाजवादी पार्टी के नेता एसटी हसन, जेडीयू नेता रामनाथ ठाकुर और टीडीपी के जयदेव गल्ला शामिल थे।राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का बैठक में प्रतिनिधित्व कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने किया। उन्होंने इस दौरान असम में राहुल गांधी के नेतृत्व वाली ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ पर ‘हिंसक हमले’ और उस पर राज्य सरकार की लगाई गई पाबंदियों का मुद्दा उठाया। राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि देश में ‘अघोषित तानाशाही’ कायम है। अंतरिम बजट सत्र से पहले कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि जिस तरह से आर्थिक रूप से देश को बर्बाद किया जा रहा है, मैंने वो मुद्दा उठाया है।
प्रमोद तिवारी ने कहा कि असम सरकार राहुल गांधी की यात्रा पर हिंसक हमले करवा रही है। इस सरकार को लगभग 10 साल तो बीत गए। किसान की आय को दोगुना करना तो दूर, लागत निकाल पाना मुश्किल है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 17वीं लोकसभा के आखिरी सत्र से पहले तमाम ऐसे सांसदों को लेकर कोशिश की कि जो लोग एक बार भी सदन में नहीं बोले हैं, उन्हें बोलने का मौका दिया। कहा जाता है कि सनी देओल को दो बार बोलने के लिए कहा गया, लेकिन वह दोनों बार ही बिना बोले चले गए।इसी तरह से जैसे विरोधियों पर ED, CBI और IT की रेड हो रही है वो शर्मनाक और लोकतंत्र के खिलाफ है। इसी बीच संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने बड़ी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस सत्र से ठीक पहले सभी निलंबित सांसदों का निलंबन रद्द कर दिया जाएगा।