आज हम आपको बताएंगे कि कार सेवा प्रमुख बाबा तरसेम सिंह की हत्या में आखिर किन लोगों पर मुकदमा चलाया गया है! नानकमत्ता गुरुद्वारा के कार सेवा डेरा प्रमुख बाबा तरसेम सिंह हत्याकांड में पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया है। इस हत्याकांड में पुलिस ने सरबजीत सिंह निवासी ग्राम मिवां भिंड जिला तरनतारन पंजाब और बाइक पर पीछे बैठे अमरजीत सिंह उर्फ बिट्टा निवासी सिरोही बिलासपुर उत्तर प्रदेश को मुख्य आरोपी बनाया है। वहीं संदेह के आधार पर तीन और लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसमें एक पूर्व आईएएस भी बताया जा रहा है। हालांकि अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। गुरुवार को नानकमत्ता कार सेवा डेरा प्रमुख बाबा तरसेम सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जांच के दौरान पुलिस को आरोपियों के कमरे से एक आईडी कार्ड मिला था, जो तरनतारन पंजाब निवासी का था। इसके बाद पुलिस की टीमें उत्तर प्रदेश और पंजाब के लिए रवाना हो गई थी। बाबा तरसेम सिंह के हत्यारे 19 मार्च से गुरुद्वारा सराय में ठहरे हुए थे। इन लोगों ने चंपावत स्थित रीठा साहिब जाने की बात कह कर कमरा बुक कराया था। गुरुद्वारा सराय में कातिल 19 मार्च से ठहरे हुए थे। हत्यारों ने सराय का कमरा नंबर 23 को बुक कराया था। दो दिन के बाद वे दोनों कहां चले गए, किसके यहां रुके, इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं। वे दोनों गुरुवार सुबह ही कमरे पर पहुंचे थे। अब सवाल यह उठ रहा है कि यदि हत्यारे पंजाब के रहने वाले हैं तो वह नानकमत्ता कैसे पहुंचे। कार, बाइक या ट्रेन से वे दोनों नानकमत्ता आए थे। पंजाब से नानकमत्ता की दूरी 418 किलोमीटर के लगभग है तो ऐसे में पंजाब से बाइक पर आना मुश्किल है। बिना नंबर की बाइक उन दोनों को किसने उपलब्ध कराई यह भी जांच का विषय है।
इन दोनों के इस कमरे में ठहरने और गुरुवार को बाबा तरसेम सिंह की हत्या के मामले में संदेह है कि इन दोनों ने इतने दिनों तक यहां रेकी करी और गुरुवार सुबह बाबा तरसेम सिंह जब डेरे में कमरे के बाहर बाहर अकेले बैठे दिखे तो गोलियां चलाकर उनकी हत्या कर दी। पुलिस के अनुसार जल्द ही मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा कर दिया जाएगा। पुलिस ने गुरुवार को ही इस मामले में एसआईटी गठित कर दी थी। पुलिस को दी गई तहरीर के अनुसार दोनों हत्यारोपी सराय में बिना किसी निजी वाहन के आए थे। इस दौरान उनके पास कोई हथियार भी नहीं देखा गया था।
घटना के दौरान प्रयुक्त की गई मोटरसाइकिल और हथियार किसी स्थानीय व्यक्ति ने ही उनको उपलब्ध कराई हैं। तहरीर में यह भी कहा गया है कि वारदात को अंजाम देने वाला दूसरा व्यक्ति जो मोटरसाइकिल में पीछे बैठा हुआ था, उसका नाम अमरजीत सिंह उर्फ बिट्टू उर्फ पुत्र सुरेंद्र सिंह ग्राम सिरोही थाना बिलासपुर जिला रामपुर है। बाबा तरसेम सिंह डेरा कर सेवा गुरुद्वारा साहिब की संपत्ति को खुर्द होने से रोकते थे, इसीलिए कुछ और लोग भी इस हत्याकांड में शामिल हो सकते हैं। कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की गई थी, जिसके बाद से बाबा तरसेम सिंह की हत्या का संदेह जताया जा रहा था।
पुलिस ने हत्याकांड में दो मुख्य आरोपियों के साथ ही गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी श्री नानकमत्ता साहिब के प्रधान और पूर्व आईएएस हरबंस सिंह चुघ, तराई महासभा के उपाध्यक्ष प्रीतम सिंह संधू निवासी खेमपुर गदरपुर और गुरुद्वारा श्री हरगोविंद सिंह रतनपुर नवाबगंज के मुख्य जत्थेदार अनूप सिंह को भी आरोपी बनाया गया है। इन सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर किया गया है। बता दें कि बाबा तरसेम सिंह की गुरुवार की सुबह 6:30 बजे के लगभग डेरे के बाहर उस समय हत्या कर दी गई थी जब वे अकेले बैठे हुए थे। डेरा प्रमुख बाबा तरसेम सिंह की हत्या के बाद नानकमत्ता कार सेवा डेरा परिसर में अर्ध सैनिक बल तैनात कर दिया गया है।
शुक्रवार को फेसबुक में सरबजीत पुत्र स्वरूप सिंह निवासी तरनतारन पंजाब ने एक पोस्ट डाली। इस पोस्ट में लिखा है ‘वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह। नानकमत्ता में प्रधान सेवक तरसेम सिंह से बदला ले लिया गया। मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि तरसेम सिंह ने उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी के स्वागत के लिए गुरुघर में लड़कियों को नचाया था। यह सिखों की भावना को आहत करने वाली बात थी। कई सिख संगठनों ने विरोध किया, लेकिन वह साधु सरकारी साहब के दम पर गुंडागर्दी करता था।
यहां सवाल यह भी उठ रहा है कि गुरुद्वारा सराय में आईडी देकर कोई भी 2 दिन तक रह सकता है। इतने दिनों तक इन दोनों को कैसे रूकने दिया गया। अगर कोई हत्याकांड को अंजाम देने के लिए आया था तो वह अपना पहचान पत्र क्यों देगा। हत्यारों के पास बंदूक पूनिया थी, लेकिन उन्हें किसी ने भी नहीं रोका। तरनतारन से उधम सिंह नगर तक अगर वह बंदूक पूनिया लेकर आए तो पुलिस की पकड़ में क्यों नहीं आए।
जमीन के विवाद को लेकर भी हत्या करने की चर्चा है जबकि हत्यारों में से एक का आईडी कार्ड पंजाब का होने के कारण हत्या को आतंकवाद से जोड़कर भी देखा जा रहा है। सवाल यह भी उठ रहा है कि कड़ी सुरक्षा के बीच हत्यारे बंदूक पूनिया लेकर डेरा तक कैसे पहुंचे और उनके पास बाइक कहां से आई। बाबा के डेरे में अकेले बैठे होने की खबर हत्यारों को किसने दी।