Sunday, May 19, 2024
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जब बाप और बेटे को पेड़ से बांधकर पिटवाया गया!

एक ऐसी घटना जिसमें  बाप और बेटे को पेड़ से बांधकर पिटवाया गया! 25 जनवरी साल 2005 को देश भर में गणतंत्र दिवस आयोजन की तैयारियां चल रही थीं। उसी दिन प्रयागराज के धूमनगंज थाना क्षेत्र के नेहरू पार्क मोड़ जीटीरोड पर सरेराह दिन दहाड़े विधायक राजू पाल की गाड़ी को घेरकर गोलियां बरसाई जाती हैं। हमले में बसपा विधायक राजू पाल समेत कुल 3 लोगों की मौत हो जाती है। इस हमले में रुखसाना बेगम को कंधे पर दो गोलियां लगीं। उनके अलावा ओमप्रकाश पाल और सैफ को भी गोली लगती है। रुखसाना बेगम काफी गम्भीर रूप से घायल थीं। लेकिन वह जिंदगी-मौत के बीच जंग जीत जाती हैं। इसके बाद वह अपने पति सादिक के जिगरी दोस्त और विधायक राजू पाल हत्याकांड की चश्मदीद गवाह बन जाती हैं। लेकिन इसकी उन्‍हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ी जो आज भी जारी है। राजूपाल की पत्नी पूजा पाल के साथ करीब दर्जन भर लोगों ने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के खिलाफ गवाही देने की हिम्मत दिखाई। यह हिमाकत बाहुबली माफिया अतीक अहमद को नागवार गुजरी। फिर शुरू होता है इन गवाहों को तोड़ने का अतीक अहमद और उनके गुर्गों का बेखौफ सिलसिला। वैसे तो राजूपाल हत्याकांड में अतीक, अशरफ और उनके गुर्गों के खिलाफ पुलिस और सीबीसीआईडी की जांच के दौरान एक दर्जन से ज्यादा गवाह शामिल थे, लेकिन सीबीआई कोर्ट में 15 गवाहों ने गवाही दी। इनमें चश्मदीद घायल गवाह रुखसाना बेगम की गवाही बेहद खास थी। 25 जनवरी 2005 को राजू पाल SRN के पोस्टमॉर्टम हाउस से लौट रहे थे। चौफटका पुल पर रुखसाना बेगम और उनके पति सादिक अपनी स्कूटर को पैदल ही ले जा रहे थे। उन्‍हें देख राजू पाल रुक गये। सादिक ने बताया कि शायद पेट्रोल खत्म होने से स्कूटर बन्द हो गया है। राजू पाल ने सादिक से कहा कि स्कूटर ठीक करवाकर आप नीवां आ जाएं, हम भाभी को घर ले जा रहे हैं। इतना कहकर राजू पाल ने रुखसाना को अपनी गाड़ी में आगे बैठाया और स्वयं ड्राइविंग सीट पर बैठ गए।

सादिक ने भी पेट्रोल भरवाया और पीछे-पीछे चल पड़ा। कुछ ही मिनट में राजू पाल की गाड़ी नेहरू पार्क मोड़ पर पहुंचकर जीटीरोड से अंदर मुड़ने वाली थी तभी हमलावरों ने सामने गाड़ी लगाकर रास्‍ता रोक लिया गया। सामने और अगल-बगल से अंधाधुंध फायरिंग शुरू हो गई।

चश्मदीद गवाह रुखसाना बेगम बताती हैं कि सबसे पहले सामने दो गोली उसके कंधे में घुस गईं। लेकिन राजूपाल को ड्राइविंग सीट पर देख सभी ने राजू पाल को निशाना बना गोलियां दागनी शुरू कर दीं। हमलावर इतने निडर थे कि पूरी गाड़ी को घेर कुछ देर तक फायरिंग करते रहे। इतना ही नहीं गम्भीर रूप से घायल राजू पाल को जब टेम्पो में डालकर लोग हॉस्पिटल ले जाने लगे तो पीछे से गाड़ी लगाकर फायरिंग की गई। वह कहती हैं, यहीं से मेरे पति सादिक और परिवार के अन्य सदस्यों पर अतीक अहमद की निगाहें टेड़ी हो गईं। महीने भर बाद जब मेरी स्थिति में सुधार हुआ तो गवाही न देने या गवाही बदलने का दबाव शुरू हुआ। मेरे पति सादिक ने निर्णय किया कि राजू पाल उनका जिगरी दोस्त था। उसके हत्यारों को सजा दिलाएंगे इसके लिए चाहे कुछ भी हो जाए। पति के इस निर्णय में मैं भी साथ थी। हमें भी मात्र 9 दिन की विवाहिता पूजा पाल के सिंदूर उजड़ने का बहुत दुख था। हमने हर हाल में हत्यारों को सजा दिलवाने की ठान ली।

हमने पुलिस और सीबीसीआईडी में बयान दिया। इसी बीच अतीक़ अहमद व उनके लोगो ने हमें और सादिक को तोड़ने के लिए पहले पैसे, जमीन, कारोबार का लालच दिया। लेकिन हम लोग उसके झांसे में नहीं आए तो उसने ऐसे जुल्मो-सितम ढाए जिनको बयान करने में अब भी रोएं कांप जाते हैं। मेरे पति, बेटे और परिवार के दूसरे सदस्यों पर फर्जी मुकदमे लगवाए। पुलिस से दबाव बनवाया। जेल भेजकर बहुत यातनाएं दिलवाईं। रिश्तेदारों तक को परेशान किया गया। जो भी हमसे जुड़ता उसको धमकी मिलती, परेशान किया जाता। वह कहती हैं कि यह सब हमने वर्षों झेला लेकिन कभी अंदर से नहीं टूटे। बस यही उम्मीद थी जब सही समय आयेगा, मौका मिलेगा तो हम राजू पाल के हत्यारों के खिलाफ गवाही देकर रहेंगे। सीबीआई जांच के दौरान योगी सरकार ने हमारी सुरक्षा सुनिश्चित की। आखिरकार 19 बरस बाद ही सही योगी सरकार में हमें न्याय मिला। विधायक राजूपाल के हत्यारों को सजा मिली।

तत्कालीन विधायक राजू पाल हत्याकांड की वादी पूजा पाल ने भी उस पल को याद करते हुए कहा, मेरी शादी को केवल 9 दिन बीते थे। ऐसे में मेरे पति की दिन-दहाड़े घेरकर हत्या कर दी गई। इतना ही नहीं मैं रोती-बिलखती रही पर पुलिस ने मुझे मेरे पति का अंतिम दर्शन भी नहीं करने दिया। पुलिस ने मुझे राजू पाल की डेडबॉडी भी नहीं थी। बाद में जब मैं आगे बढ़ी तो मुझे और मेरे गवाहों को तोड़ने के लिए पहले लालच दिया। नहीं मनाने पर हर तरीके की यातनाएं, जुल्मो-सितम किया गया। सुप्रीम कोर्ट से राजूपाल हत्याकांड की सीबीआई जांच के आदेश कराने के बाद कुछ राहत मिली। योगी सरकार ने गवाहों को सुरक्षा दी। अतीक़ अहमद के आतंक से राहत मिली। सीबीआई कोर्ट ने न्याय किया, हत्यारों को सजा मिली। इसके लिए सीबीआई ,कोर्ट और सहयोगियों,सभी गवाहों सहयोगी के साथ योगी सरकार को धन्यवाद देती हूं।

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