Friday, October 18, 2024
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क्या नेपाल के साथ भड़केगा सीमा विवाद?

यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अब नेपाल के साथ सीमा विवाद भड़क सकता है या नहीं! नेपाल में सीपीएन-यूएमएल पार्टी के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली को नयी गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने के लिए रविवार को तीसरी बार देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। ये वही ओली हैं, जिनके कार्यकाल में भारत-नेपाल सीमा विवाद गहरा गया था। ओली ने पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की जगह ली है, जो शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हार गए थे। इसके बाद संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने ओली को नेपाल-यूनीफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) और नेपाली कांग्रेस गठबंधन सरकार का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। ओली नई मंत्रिपरिषद के साथ सोमवार को शपथ लेंगे। शुक्रवार देर रात ओली ने नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया और प्रतिनिधि सभा के 165 सदस्यों के हस्ताक्षर वाला समर्थन पत्र सौंपा, जिसपर उनकी पार्टी से 77 तथा नेपाली कांग्रेस से 88 सदस्यों के दस्तखत थे। ओली ने इससे पहले 11 अक्टूबर 2015 से तीन अगस्त 2016 तक और फिर पांच फरवरी 2018 से 13 जुलाई 2021 तक नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था।

ओली के पिछले कार्यकाल में भारत-नेपाल सीमा विवाद चरम पर था। उनकी सरकार ने नेपाल का नया राजनीतिक नक्शा प्रकाशित किया था, जिसमें भारत के कालापानी, लिंपियाधुरा, लिपुलेख जैसे कई इलाकों को नेपाल का हिस्‍सा बताया गया था। ओली ने कई सार्वजनिक भाषणों में भारत से जमीन का वह हिस्सा वापस लेने का दंभ भी भरा था। उन्होंने यहां तक कहा था कि नेपान उन हिस्सों को वापस लेने में सक्षम है। तब भारत ने नेपाल के इस नक्शे पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। हालांकि उनकी सरकार गिर जाने के बाद मानचित्र विवाद ठंडे बस्ते में चला गया था। ऐसे में ओली के एक बार फिर नेपाल का प्रधानमंत्री बनने से भारत के साथ सीमा विवाद भड़कने के आसार हैं।

ओली ने अपने गठबंधन सहयोगी नेपाली कांग्रेस के साथ नयी गठबंधन सरकार में शामिल किए जाने वाले मंत्रियों की सूची तैयार करने को लेकर शनिवार को विचार विमर्श किया। नेपाली कांग्रेस और यूएमएल के करीबी सूत्रों ने बताया, ‘‘राष्ट्रपति सोमवार सुबह नए प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों को शपथ दिला सकते हैं। शपथ ग्रहण समारोह शुरू होने से पहले सोमवार को एक छोटे मंत्रिमंडल की घोषणा होने की संभावना है।’’

ओली के एक करीबी सूत्र ने बताया कि कुल 21 मंत्रालयों में से नेपाली कांग्रेस को नौ मंत्रालय और सीपीएन-यूएमएल को आठ मंत्रालय मिलेंगे, साथ ही प्रधानमंत्री का पद भी मिलेगा। सूत्र ने बताया, ‘‘गृह, विदेश, वित्त और ऊर्जा जैसे प्रमुख पदों को एनसी और यूएमएल के बीच बांटा जाएगा। नेपाली कांग्रेस को गृह मंत्रालय मिलने की संभावना है, जबकि वित्त मंत्रालय यूएमएल को मिलेगा।’’ इससे पहले, शनिवार को सीपीएन-यूएमएल ने भविष्य की रणनीति पर चर्चा करने और नए मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले मंत्रियों के नामों को अंतिम रूप देने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की।नेपाल में जनमत से उसे राहत मिल सकती है, जो अब चीन के बहुत करीबी आने की लंबे समय तक कीमत, कर्ज के जाल में फंसने के जोखिम और भारत की तुलना में चीनी क्षमताओं के मामले में सीमाओं के बारे में बहुत सतर्क है। 1950 की संधि और सीमा मुद्दे जैसे पारंपरिक अड़चनों को सहयोग की भावी दिशाओं को प्रभावित करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, पार्टी के वरिष्ठ नेता और स्थायी समिति के सदस्य राजन भट्टराई के अनुसार, शुरुआत में एक छोटा मंत्रिमंडल होगा, जिसका बाद में विस्तार किया जाएगा।

सीमा के दोनों ओर पिरामिड के निचले हिस्से में रहने वाले लोगों के लिए एक परिवर्तनकारी भविष्य को प्राप्त करने के लिए एक एक्सपर्ट ग्रुप क्यों नहीं बनाया जा सकता? रोटी-बेटी, भोजन और विवाह बंधन के पुराने नारे के बजाय इस समय के उत्साहवर्धक विषय के रूप में ‘सर्वांगीण विकास में तेजी’ आज के परिवर्तित नेपाल में गूंज सकती है। माओवादियों के मुख्यधारा में आने के बाद से वामपंथी अधिकांश सरकारों में सत्ता में रहे हैं, क्योंकि यह जाति, लिंग या संस्कृति के आधार पर पारंपरिक असमानताओं को कम करने की संभावनाएँ प्रदान करता है। भले ही इसका प्रदर्शन अब तक निराशाजनक रहा हो। अस्थिरता के बावजूद द्विपक्षीय सहयोग में सर्वसम्मति आधारित निरंतरता सुनिश्चित करने का यही एकमात्र तरीका है।भारत के लिए नेपाल के वामपंथियों के साथ गहन रूप से जुड़ना भी महत्वपूर्ण है, भले ही पारंपरिक मित्रों के साथ मजबूत संबंध बने रहें।

 

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