अब चीन का मेलजोल सऊदी अरब और ईरान से बढ़ सकता है! प्रमुख रक्षा अध्यक्ष सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने शनिवार को कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक, आर्थिक और तकनीकी परिवर्तन दुनिया में अनिश्चितता का माहौल पैदा कर रहे हैं। ये एक ऐसी परिस्थितियां बना रहे हैं, जो अस्थिर, जटिल और संदिग्ध हैं।जनरल चौहान ने कहा कि दुनिया के देश अनिश्चित भविष्य के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। यह उनकी अधिकांश राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियों और रक्षा व्यय में प्रतिबिंबित होता है। सीडीएस ने यहां हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड एचएएल के सहयोग से वायुसेना संघ कर्नाटक शाखा की ओर से आयोजित ‘चौदहवां एयर चीफ मार्शल एलएम कात्रे स्मृति’ व्याख्यान दिया।
जनरल चौहान ने कहा, ‘यदि आप राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियों पर नजर डालें तो जापान, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, पोलैंड, दक्षिण कोरिया, बांग्लादेश और कई अन्य देशों ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियों को पुनर्जीवित किया है। ये वास्तव में यूक्रेन संघर्ष के दौरान पुनर्जीवित हुए, लेकिन अब पश्चिम एशिया में बड़ा बदलाव हो रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘यदि आप इनमें से अधिकांश देशों के रक्षा व्यय को देखें तो उन्होंने इसे लगभग दोगुना बढ़ा दिया है।’ सीडीएस ने कहा कि क्या वैश्विक स्तर पर रक्षा उद्योग इन देशों की मांग को पूरा करने के लिए तैयार है, यह देखना अभी शेष है। उन्होंने कहा, ‘मैं कहता हूं कि यहीं हमारे लिए कुछ अवसर छिपे हैं। जो माहौल बन रहा है वह भविष्य के लिए रक्षा उद्योग के वास्ते अवसर पैदा करता है।’ उन्होंने अंतरिक्ष, साइबर जैसे क्षेत्रों के साथ ही प्रौद्योगिकी संचालित युद्ध की प्रकृति और चरित्र में बदलाव की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘हमें इसके लिए तैयार रहना होगा।’
जनरल चौहान ने कहा, ‘जो बदलाव हो रहा है वह अपरिहार्य है और दूसरों की तरह भारत भी इतिहास के प्रमुख चौराहे पर है और आज हम जो कदम उठाएंगे वह अगले 25 वर्षों में भारत की स्थिति को परिभाषित करेगा।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘जब हम देश की सैन्य तैयारियों को देखते हैं, तो हम एक मजबूत थल सेना, नौसेना और वायुसेना के साथ ही अंतरिक्ष और साइबर जगत को भी देख रहे होते हैं।’ वर्तमान में वैश्विक भू-राजनीतिक वातावरण के बदलाव से गुजरने का उल्लेख करते हुए सीडीएस ने कहा, ‘वास्तव में दुनिया दो व्यवस्थाओं के बीच बदलाव के मार्ग से गुजर रही है, जहां पुरानी व्यवस्था खत्म हो रही है और नई विश्व व्यवस्था के आकार एवं रूपरेखाओं को अब भी स्थिर होना बाकी है। आने वाले समय में यह कैसा होगा इसकी भविष्यवाणी करना काफी कठिन होगा।’
वर्तमान भू-राजनीतिक माहौल के बारे में उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि एक प्रमुख परमाणु शक्ति होने के बावजूद आने वाले समय में रूस का भू-राजनीतिक महत्व कम हो जाएगा। सीडीएस ने कहा कि चीन वर्तमान में भू-आर्थिक विश्व व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है तथा यह सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, और इसकी आर्थिक उन्नति अब राजनीतिक क्षेत्र और राजनयिक क्षेत्र में भी दिखाई दे रही है। उन्होंने आगे कहा कि वे (चीन) सऊदी और ईरान के बीच मेलजोल बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘यह उनकी सैन्य शक्ति में भी परिलक्षित होता है, इसकी झलक दक्षिण चीन सागर और हमारी उत्तरी सीमाओं में पहले से ही दिखाई दे रही है। इसलिए, हम आने वाले समय में और अधिक मुखर चीन देखेंगे।’
उन्होंने कहा, ‘यह उनकी सैन्य शक्ति में भी परिलक्षित होता है, इसकी झलक दक्षिण चीन सागर और हमारी उत्तरी सीमाओं में पहले से ही दिखाई दे रही है। इसलिए, हम आने वाले समय में और अधिक मुखर चीन देखेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘बेशक, रूस और चीन के बीच हितों का संगम होगा तथा उत्तर कोरिया एवं ईरान जैसे कुछ अन्य देश भी आने वाले समय में इस समूह में शामिल हो सकते हैं। चीन और रूस ने पहले ही घोषणा कर दी है कि उनकी दोस्ती की कोई सीमा नहीं है।’
सीडीएस ने कहा कि हिंद-प्रशांत तेजी से उभर रहा है, यह भविष्य में प्रतिस्पर्धा का क्षेत्र है। उन्होंने कहा, ‘वास्तव में यदि आप अधिकांश देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियों को देखेंगे, तो वे हिंद-प्रशांत के बारे में बात करेंगे।’ बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के उदय की उम्मीद व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम एक बहुकेंद्रित और बहुध्रुवीय प्रतिस्पर्धा तथा सहयोग देख सकते हैं।’जनरल चौहान ने आगे कहा कि भारत ग्लोबल साउथ अल्प विकसित राष्ट्रों के नेता के रूप में उभर सकता है और जी-20 की अध्यक्षता का सफल संचालन वास्तव में उस दिशा में एक संकेत है।