हाल ही में हमारे देश के द्वारा 75वां गणतंत्र दिवस मनाया गया… इस दौरान कई प्रकार की झांकियां कर्तव्य पथ पर नजर आई, साथ ही साथ इस बार गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी उपस्थित रहे… लेकिन एक सवाल कि आखिर इन मुख्य अतिथियों का चयन कौन करता है और इसकी प्रक्रिया क्या होती है? तो आज हम आपको इसी बारे में जानकारी देने वाले हैं!
आपको बता दें कि देश इस बार अपना 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस राष्ट्रीय पर्व को खास बनाने के लिए इस बार कई बदलाव किए गए। जहां गणतंत्र दिवस की थीम महिलाओं को केंद्र में रखते हुए बनाई गई तो वहीं परेड और झाकियों में भी महिला प्रतिनिधित्व रहा। इस बार के समारोह के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुख्य अतिथि रहे। इससे पहले 2023 में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी हमारे मुख्य अतिथि थे। यानी हर साल हर देश के प्रमुख को गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में चुना जाता है… आइए अब आपको बताते हैं कि यह प्रक्रिया कैसे निभाई जाती है? तो आपको बता दें कि यह प्रक्रिया आयोजन से करीब छह महीने पहले शुरू हो जाती है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान विदेश मंत्रालय शामिल रहता है। किसी भी देश को निमंत्रण देने के लिए सबसे पहले यह है देखा जाता है कि भारत और संबंधित अन्य राष्ट्र के बीच मौजूदा संबंध कितने अच्छे हैं। इसका निर्णय देश के राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य और वाणिज्यिक हितों को भी केंद्र में रख कर लिया जाता है। पहले विदेश मंत्रालय संभावित उम्मीदवारों की एक सूची तैयार करता है और फिर इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास भेजा जाता है। इसके बाद संबंधित मुख्य अतिथि की उपलब्धता देखी जाती है। अगर उनकी उपस्थिति उपलब्ध हैं तो भारत आमंत्रित देश के साथ आधिकारिक संचार करता है। जानकारी के लिए बता दें कि 26 जनवरी 1950 को भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह से ही इसमें मुख्य अतिथियों को आमंत्रित करने की शुरुआत हुई थी। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के पहले गणतंत्र दिवस परेड के पहले मुख्य अतिथि थे। आइए अब आपको बताते हैं कि हमारे देश के मुख्य अतिथि कौन-कौन से देश रहे हैं? तो आपको बता दें कि इतिहास की तरफ देखें तो 1950-1970 के दशक के दौरान भारत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन और पूर्वी ब्लॉक से जुड़े कई देशों को अतिथि बनाया। दो बार 1968 और 1974 में ऐसा हुआ जब भारत ने एक ही गणतंत्र दिवस पर दो देशों देशों के मुख्य अतिथि को आमंत्रित किया गया। 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निधन के कारण कोई निमंत्रण नहीं भेजा गया था। इंदिरा गांधी ने गणतंत्र दिवस से केवल दो दिन पहले यानी 24 जनवरी 1966 को शपथ ली थी। 2021 और 2022 में भी भारत में कोरोना महामारी के कारण कोई मुख्य अतिथि नहीं था। भारत ने सबसे ज्यादा 36 एशिया एशिआई देशों को समारोह में अतिथि बनाया है। इसके बाद यूरोप के 24 देश और अफ्रीका के 12 देश गणतंत्र दिवस में हमारे मेहमान बने हैं। वहीं दक्षिण अमेरिका के पांच देश, उत्तरी अमेरिका के तीन और ओशिनिया क्षेत्र के एकलौते देश का भारत ने आतिथ्य किया है। बता दें कि 2024 के गणतंत्र दिवस समारोह के लिए भारत ने फ्रांस को अतिथि देश बनाया। यहां के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों 75वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि रहे। परेड में फ्रांस की 95 सदस्यीय मार्चिंग टीम और 33 सदस्यीय बैंड दल ने भी शिरकत किया। भारतीय वायु सेना के विमानों के साथ एक मल्टी रोल टैंकर ट्रांसपोर्ट विमान और फ्रांसीसी वायुसेना के दो राफेल लड़ाकू जेट ने भी फ्लाई-पास्ट में हिस्सा लिया। अतिथि देश का चयन रणनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक हितों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद ही किया जाता है। यूं कहें कि गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि का निमंत्रण भारत और आमंत्रित व्यक्ति के देश के बीच मैत्रीपूर्ण सबंधों की मिशाल माना जाता है।
तो यह थी वह प्रक्रिया जिसके माध्यम से हमारा देश हर साल गणतंत्र दिवस पर अन्य देशों को मुख्य अतिथि बनता है…विदेश मंत्रालय शामिल रहता है। किसी भी देश को निमंत्रण देने के लिए सबसे पहले यह है देखा जाता है कि भारत और संबंधित अन्य राष्ट्र के बीच मौजूदा संबंध कितने अच्छे हैं। इसका निर्णय देश के राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य और वाणिज्यिक हितों को भी केंद्र में रख कर लिया जाता है। पहले विदेश मंत्रालय संभावित उम्मीदवारों की एक सूची तैयार करता है और फिर इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास भेजा जाता है। इसके बाद संबंधित मुख्य अतिथि की उपलब्धता देखी जाती है। आपको यह जानकारी कैसी लगी, अपना जवाब हमारे कमेंट बॉक्स में जरूर दीजिएगा!