यह सवाल सभी के मन में आता होगा कि आखिर मौसम विभाग मौसम की सटीक भविष्यवाणी कैसे कर लेता है! दो दिन पहले तक यहां खिली धूप थी और सामान्य इंसान इस बारिश का अंदाजा तक नहीं लगा पाए। लेकिन हमारी तीसरी आंख ‘IMD’ को तो जैसे भविष्य का पता हो। उन्होंने हमें साफ-साफ बता दिया था कि दिल्ली-एनसीआर में तीन दिन बारिश की भविष्यवाणी होगी। सोमवार शाम तक तो मौसम ने कोई करवट नहीं ली लेकिन रात में जमकर बारिश हुई। यानी मौसम विभाग ने जो कहा वही हुआ। अब ऐसे में सवाल उठता है कि हाल के दिनों में आखिर IMD की लगभग हर भविष्यवाणी सच कैसे हो रही है। आखिर कैसे मौसम विभाग बारिश, गर्मी, लू, शीतलहर की भविष्यवाणी करता है? मौसम की भविष्यवाणी आसान शब्दों में कहें तो, विज्ञान और तकनीक का इस्तेमाल करके किसी जगह के आने वाले समय में हवा का हाल बताना है। लोग सदियों से अनौपचारिक रूप से मौसम का अंदाजा लगाते आए हैं, लेकिन आधिकारिक तौर पर इसे उन्नीसवीं सदी से किया जा रहा है। पहले हाथ से की जाने वाली मौसम भविष्यवाणी हवा के दबाव, मौसम के हाल और आसमान के हिसाब से होती थी, अब कंप्यूटर के मॉडल कई तरह के हवा के पहलुओं को ध्यान में रखते हैं। असली मौसम का डाटा एकत्र करके और भविष्य के बारे में विज्ञान की मदद से अंदाजा लगाकर भविष्यवाणी बनाई जाती है। इंसानों का अनुभव भी सही मॉडल चुनने में मदद करता है। मौसम की भविष्यवाणी अर्थव्यवस्था का हिस्सा है, उदाहरण के लिए, अमेरिका ने 2009 में मौसम की भविष्यवाणी के लिए $5.1 अरब डॉलर खर्च किए थे। आइए देखें कि मौसम की भविष्यवाणी का महत्व और उसे बताने के अलग-अलग तरीके क्या हैं।
IMD इस तरह की भविष्यवाणी अगले 1-2 दिनों के लिए करता है। मौसम हमारे रोजाना के जीवन, फसलों के उत्पादन पर बहुत प्रभाव डालता है। हालांकि, सटीक भविष्यवाणी बहुत महत्वपूर्ण है। विभिन्न विश्लेषणों के लिए भविष्यवाणी एक महत्वपूर्ण उपकरण है। ECMWF सबसे सटीक वैश्विक मॉडल है। ECMWF, GFS से काफी बेहतर काम करता है। ये भविष्यवाणी 3-4 दिन से लेकर 2 हफ्ते तक के लिए होती है। बिजनेस बजट और विकास के क्षेत्र में ये बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन्हीं पर आधारित कंपनी के बजट बनाए जाते हैं। अगर इस तरह की भविष्यवाणी सटीक नहीं होगी तो इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। ये भविष्यवाणी चार हफ्तों से अधिक समय के लिए होती है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से संगठन के बड़े रणनीतिक फैसलों के लिए किया जाता है। ये भविष्यवाणियां बताती हैं कि लंबे समय में संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जाए। ये विशिष्ट चीजों के बजाय सामान्य रुझानों पर ध्यान केंद्रित करती हैं। जब चीजें भविष्यवाणी के बिल्कुल विपरीत होती हैं, तो भविष्यवाणी करने वाले को दोष दिया जाता है और आलोचना का सामना करना पड़ता है।इसके अलावा मौसम विभाग अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट चित्रों के जरिए भी मौसम की सटीक भविष्यवाणी करता है। इन चित्रों के जरिए कोहरा से लेकर चक्रवाती तूफान के बारे में सही जानकारी दी जाती है।इनसेट 3DS से मिलेगी पुख्ता जानकारी
इसरो द्वारा कुछ दिन पहले छोड़े गए सैटेलाइट INSAT-3DS को लॉन्च किया है। आधुनिक तकनीकों से लैस यह सैटेलाइट मौसम पूर्वानुमान और प्राकृतिक आपदा चेतावनियों का अध्ययन करेगा। इसरो ने कहा कि 2,274 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट भारतीय मौसम विज्ञान विभाग आईएमडी सहित पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत विभिन्न विभागों को सेवा प्रदान करेगा।
सिनोप्टिक विधि: यह विधि बड़े क्षेत्र के पिछले मौसम आंकड़ों के सिस्टेमैटिक अध्ययन पर आधारित होती है। इसमें वर्तमान स्थिति को पिछली परिस्थितियों से जोड़ा जाता है, और ये मानकर भविष्यवाणी की जाती है कि वर्तमान परिस्थिति भी पिछले की तरह ही व्यवहार करेगी। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से संगठन के बड़े रणनीतिक फैसलों के लिए किया जाता है। ये भविष्यवाणियां बताती हैं कि लंबे समय में संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जाए। ये विशिष्ट चीजों के बजाय सामान्य रुझानों पर ध्यान केंद्रित करती हैं। मौसम भविष्यवाणी या न्यूमेरिकल वेदर अनुमान मौसम का अनुमान लगाने के लिए कंप्यूटर मॉडल का इस्तेमाल करती है। ये मॉडल मौसम संबंधी आंकड़ों हवा का तापमान, दबाव, आर्द्रता आदि का इस्तेमाल करके गणितीय समीकरणों की मदद से भविष्य की स्थिति का अनुमान लगाते हैं। मान लीजिए कि आपके मोबाइल ऐप पर बारिश होने की भविष्यवाणी दिख रही है। यह भविष्यवाणी इसी विधि से की गई हो सकती है। यह विधि मध्यम अवधि की भविष्यवाणी कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक के लिए सबसे सटीक मानी जाती है।