Wednesday, May 15, 2024
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आखिर कब तक उड़ान भरेगा गगनयान मिशन?

आज हम आपको बताएंगे कि गगनयान मिशन उड़ान कब भरेगा! भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो अपने गगनयान मिशन पर काम रही है। चंद्रयान और आदित्य एल-1 की सफलता के बाद ये मिशन इसरो को और ऊंचाइयों पर पहुंचाएगा। गगनयान भारत का पहला मानव मिशन होगा। इसरो ने गगनयान मिशन के लिए ‘सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन’ तैयार कर लिया है। बुधवार को इसरो ने इस इंजन का सफल परीक्षण भी किया। गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए एलवीएम लॉन्चिंग पैड के ‘क्रायोजेनिक चरण’ को शक्ति प्रदान करता है। इसरो ने कहा कि सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन मानव मिशन के लिए अंतिम परीक्षणों में सफल रहा। इंजन की टेस्टिंग से इसकी की क्षमता का पता चलता है। इसरो के मुताबिक, पहली मानव रहित उड़ान ‘एलवीएम3 जी1’ के लिए पहचाना गया सीई-20 इंजन सभी जरूरी परीक्षणों से गुजरा। अब मिशन के अगले चरण के लिए इसरो तैयार है। भारत का पहला मानव मिशन गगनयान की खासियत क्या हैं, और ये कैसे स्पेस जगत में इसरो की धाक और मजबूत करेगा? आइए समझते हैं। गगनयान मिशन ISRO द्वारा विकसित भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस मिशन में तीन अंतरिक्ष मिशन शामिल हैं। इन तीन मिशनों में से 2 मानवरहित होंगे, जबकि एक मानव युक्त मिशन होगा। गगनयान मिशन भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है। इस मिशन के तहत तीन चालक दल के सदस्यों को 400 किलोमीटर की कक्षा में तीन दिनों के मिशन के लिए लॉन्च करना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। इसरो ने इस मिशन की टेस्टिंग पिछले साल की थी। वहीं बुधवार को इसरो ने इसके क्रायोजेनिक इंजन की टेस्टिंग की। इस मिशन में ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर का खास योगदान है।

इसरो के गगनयान मिशन में तीन एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। ये तीनों एस्ट्रोनॉट तीन दिनों तक 400 किलोमीटर की पृथ्वी की कक्षा में रहेंगे और फिर वापस पृथ्वी पर आएंगे। इसरो के गगनयान मिशन साल 2025 तक लॉन्च होगा। हालांकि इसके शुरुआती चरणों को इसी साल यानी 2024 तक पूरा किया जा सकता है। इसमें दो मानवरहित मिशन को अंतरिक्ष में भेजना शामिल है। जब ये मिशन सफल होंगे उसके बाद ही एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

गगनयान मिशन पांच चरणों में पूरा होगा। इसका अंतिम चरण तब खत्म होगा जब एक अंतरिक्ष यान में तीन इंसान को बैठाकर अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इससे पहले इसरो कई स्तरों पर यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इस मिशन में कोई कमी न रह जाए। इसलिए पिछले साल एजेंसी ने टेस्ट फ्लाइट किया, जिसके जरिए ये टेस्ट किया गया कि इंसानों को ले जाने वाला कैप्सूल सुरक्षित रूप से धरती पर वापस लौट सकता है। मिशन के चरणों में सबसे पहले कई ड्रॉप टेस्ट इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट किए गए हैं और यह सुनिश्चित किया गया है कि हवा से जमीन पर कैप्सूल गिरने से क्या कोई नुकसान हो रहा है या नहीं। इसके बाद मिशन के तहत पैड एबॉर्ट टेस्ट और टेस्ट व्हीकल उड़ानों की टेस्टिंग की जाएगी।

HSFC (ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर) का मुख्य काम इसरो के गगनयान कार्यक्रम को आगे बढ़ाना है। इसमें पूरे भारत में इसरो के केंद्रों, रिसर्च लैब्स, विश्वविद्यालयों और उद्योगों को जोड़कर काम किया जाता है। HSFC इंसानों को अंतरिक्ष भेजने से जुड़े कामों का प्रमुख केंद्र है, इसलिए वे सुरक्षा और विश्वसनीयता के मानकों का पालन करते हैं। वे नई तकनीकों पर रिसर्च करते हैं, जैसे अंतरिक्ष में सांस लेने के लिए जरूरी सिस्टम, इंसानों के लिए जरूरी डिजाइन, अंतरिक्ष जीव विज्ञान, अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग और अंतरिक्ष के लिए उपयुक्त उपकरण बनाना। ये सब आने वाले समय में इंसानों को अंतरिक्ष में लंबे समय तक रखने, अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और चांद, मंगल और आसपास के ग्रहों पर जाने के मिशन के लिए बहुत जरूरी हैं।

गगनयान मिशन के लिए जिन एस्ट्रोनॉट को भेजा जाएगा उनकी बेंगलुरु में स्थित स्पेस यात्री ट्रेनिंग फैसिलिटी में खास ट्रेनिंग चल रही है। उन्हें मिशन से जुड़ी हर जरूरी जानकारी की क्लास, फिजिकल फिटनेस, सिम्युलेटर और स्पेस सूट की ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग में थ्योरी, गगनयान के सिस्टम को समझना, जीरो ग्रेविटी में काम करना और रहना, अंतरिक्ष में जीवित रहना और सुरक्षित वापसी की ट्रेनिंग, उड़ान के तरीके सीखना और सिम्युलेटर पर अभ्यास करना शामिल है। इसके अलावा डॉक्टरों की सलाह, नियमित उड़ान अभ्यास और योग भी ट्रेनिंग का हिस्सा हैं।

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