Saturday, October 5, 2024
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आखिर देश में कहां सबसे ज्यादा हुए हैं एनकाउंटर?

आज हम आपको बताएंगे कि देश में कहां सबसे ज्यादा एनकाउंटर हुए हैं! महाराष्ट्र के बदलापुर में स्कूल में 2 बच्चियों से रेप के आरोपी अक्षय शिंदे की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई। ठाणे पुलिस ने बताया कि आरोपी अक्षय शिंदे ने पुलिस का हथियार छीनकर गाड़ी में पुलिस पर फायरिंग की। पुलिस की जवाबी फायरिंग में अक्षय शिंदे को गोली लगी। उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उसकी मौत हो गई। इससे पहले हाल ही में सुल्तानपुर डकैती कांड के एक लाख के इनामी अनुज प्रताप सिंह के एनकाउंटर हुआ था। दोनों ही जगहों पर हुए एनकाउंटर के बाद से देश में इसे लेकर सियासत तेज हो गई है। एनकाउंटर का देश में कैसे सिलसिला शुरू हुआ। कैसे यह चलन में आया, जानते हैं एनकाउंटर की पूरी कहानी। देश में पहला रिकॉर्डेड एनकाउंटर आजादी से बहुत पहले 1922 में रंपा विद्रोह के हीरो रहे अल्लूरी सीताराम राजू का किया गया था। जिन्हें अंग्रेजी राज की पुलिस ने मारा था। इस विद्रोह को मनयम विद्रोह भी कहा जाता है, जो तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जनजातियों का विद्रोह था। यह विद्रोह मद्रास प्रेसीडेंसी में गोदावरी जिले में हुआ था। आंध्र प्रदेश में रंपा विद्रोह की शुरुआत अगस्त, 1922 में हुई थी, जो राजू की मुठभेड़ में मौत यानी मई, 1924 में खत्म हो गई थी। उस वक्त ब्रिटिश पुलिस को राजू को पकड़ने में करीब 40 लाख रुपए खर्च करने पड़े थे। कई महीने तक चले सर्च ऑपरेशन के बाद आखिरकार राजू को आंध्र के जंगल में पकड़ लिया गया और उन्हें पेड़ से बांध दिया गया। फिर पुलिस टीम ने दूर से उन पर तड़ातड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी।

आजादी से पहले हैदराबाद के निजाम ने कई आंदोलनों को दबान और अपने खिलाफ विद्रोह करने वाले लोगों का पुलिस एनकाउंटर करवाया था। 1947 में आजादी के बाद आंध्र प्रदेश में अलग तेलंगाना राज्य के गठन को लेकर कई आंदोलन हुए। कई रिपोर्टों के अनुसार, तेलंगाना आंदोलन में शामिल लोगों का राज्य सरकार ने पुलिस का सहारा लेकर कत्लेआम करवाया। माना जाता है कि पुलिस एनकाउंटर में 3,000 लोगों को मार डाला गया। 60 के दशक के बाद से तेलंगाना के गठन तक एनकाउंटर आम ट्रेंड में रहा। पंजाब में जब आतंकवाद पनप रहा था तो उस दौर में एनकाउंटर शब्द काफी चर्चा में रहा था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यूपी में 20 मार्च, 2017 से लकर 5 सितंबर, 2024 के बीच 12,964 एनकाउंटर हुए हैं। इनमें से 207 अपराधियों को मार गिराया गया। मुठभेड़ में पुलिस के भी 17 लोगों को भी जान गंवानी पड़ी थी। औसतन हर 13 दिन में एक अपराधी को एनकाउंटर में मौत की नींद सुलाया गया। इन सात सालों से प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अनुसार, भारत में बीते 6 साल में 813 लोगों के एनकाउंटर हुए यानी उन्हें पुलिस मुठभेड़ में मार दिया गया। अप्रैल, 2016 के बाद से 2022 तक औसतन हर तीन दिन पर एक एनकाउंटर को अंजाम दिया गया। कोरोना काल के दौरान मुठभेड़ के मामले कम देखे गए। 2019-20 में यह 112 था, जो 2020-21 में घटकर 82 रह गया। हालांकि, इसके बाद एनकाउंटर में 69.5 फीसदी यानी 139 केस की बढ़ोतरी हुई। सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट अनिल कुमार सिंह श्रीनेत के अनुसार, एनकाउंटर किलिंग 20वीं सदी से ज्यादा चलन में आया। खासतौर पर मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और गाजियाबाद शहरों में हुई पुलिसिया मुठभेड़ के बाद से यह ज्यादा सुना और देखा गया। ज्यादातर एनकाउंटर अंडरवर्ल्ड और बेरहम हत्यारों के ही होते थे। बाद में इनमें कुछ और इजाफा हुआ। इसमें कई मुठभेड़ फर्जी एनकाउंटर थे तो कई विवादों में फंस गए थे। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अनुसार, फर्जी एनकाउंटर्स के मामले सबसे ज्यादा 2002 से 2013 तक हुए।

2016 से लेकर 2022 तक सबसे ज्यादा एनकाउंटर नक्सल प्रभावित इलाके छत्तीसगढ़ में हुए। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 110, असम में 79, झारखंड में 52 मुठभेड़ को अंजाम दिया गया। लद्दाख इकलौता है, जहां इन वर्षों में कोई एनकाउंटर नहीं हुआ। गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, केरल ऐसे राज्य हैं, जहां बेहद मामूली संख्या में एनकाउंटर हुए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यूपी में गैर सरकारी मिशन, जिसे ऑपरेशन लंगड़ा कहा जाता है, इसमें एनकाउंटर को बड़ी संख्या में अंजाम दिया गया। 8,472 एनकाउंटर्स में से 3,300 अपराधी घायल हुए। यानी मुठभेड़ के दौरान इनके पैरों में गोली मारी गई। बाद में एनकाउंटर को शूटआउट, खल्लास जैसे शब्दों से भी नवाजा जाने लगा।

ऐसा नहीं है कि एनकाउंटर सबसे ज्यादा भारत में ही होते हैं। पाकिस्तान में भी बड़े पैमाने पर एनकाउंटर होते हैं। ह्यूमन राइट वॉच की 2015 की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में पुलिस एनकाउंटर्स में 2,108 एनकाउंटर हुए, जिसमें 7 महिलाएं और 6 बच्चे भी थे। इन एनकाउंटर्स में से सबसे ज्यादा 696 कराची में हुए। इसके बाद सबसे ज्यादा एनकाउंटर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में एनकाउंटर्स को अंजाम दिया गया। पाकिस्तान में 2014 से 2018 के बीच 3,345 एनकाउंटर हुए।

सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट अनिल कुमार सिंह श्रीनेत कहते हैं कि एनकाउंटर या ज्यूडिशियल किलिंग का संविधान में कोई उल्लेख नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार, हर व्यक्ति को जीवन जीने का मूल अधिकार है। हालांकि, इंडियन पीनल कोड, 1860 के अनुसार, अभी तक सेक्शन 96-106 में कहा गया है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में एनकाउंटर को अपराध की कैटेगरी में नहीं रखा जा सकता है। यह कानून देश के हर नागरिक पर लागू होता है, चाहे वो पुलिस हो या आम आदमी। अगर आत्मरक्षा में किसी की जान चली जाती है तो वह अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा। बशर्ते यह साबित हो जाए कि हत्या में किसी तरह का कोई मोटिव नहीं था। पुलिस को भी अगर कोई अपराधी भाग रहा है या गोली चला रहा है तो उसे घायल करने का अधिकार है।

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