भारतीय बैंकिग इतिहास में अभी का सबसे बडा घोटाला समाने आया है .इस घोटाला को लेकर खुलासा होना मेन स्ट्रीम मीडिया के संपादकीय होम वर्क से कोसो दूर है . लेकिन आज हम लोग बात करेगें की कैसे 23000 हजार करोड़ का घोटाला सरकार के नाक के नीचे से होती रही .ऋषि कमलेश अग्रवाल कौन है. इस व्यक्ति पर आरोप है कि इसने 28 बैंकों के साथ करीब 23 हज़ार करोड़ रुपये का फ्राड किया है .इंटरनेट में मौजूद तमाम खबरों को सर्च करने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि कैसे यह सरकार और एबीजी शिपयार्ड कंपनी के बीच खेल चलता रहा .भले सरकारे बदली लेकिन खेल अपनी रफ्तार से घोटालों के तर्ज पर चलता रहा . जब सीबीआई FIR करती है7 फरवरी को सीबीआई FIR करती है, जब विपक्ष आवाज़ उठाना शुरू करता है तब रविवार को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से एक प्रेस रिलीज़ जारी की जाती है.भारतीय स्टेट बैंक जानता था की 2013 में ही इस कंपनी का लोन NPA हो गया था ,लेकिन राशि कितनी थी इसकी कोई जानकारी एसबीआई के पास मौजूद नहीं है .पहले मार्च 2014 में इसके खाते को restructured किया गया लेकिन जहाजरानी सेक्टर में अब तक की सबसे भयंकर गिरावट आने के काऱण इसे उबारा नहीं जा सका. उसके बाद जुलाई 2016 में इसके खाते को फ़िर से NPA घोषित कर दिया गया. पैसा भारत के बाहर भेजा गया है या भीतरदो साल बाद अप्रैल 2018 में अर्नस्ट एंड यंग नाम की एक एजेंसी नियुक्त की गई थी .नवंबर 2019 में SBI ने पहली बार CBI से शिकायत की.बैंकों ने 2013 में ही पकड़ लिया था कि कंपनी ने जो लोन लिया है वह NPA हो गया है. क्या उस स्तर पर 28 बैंक को नहीं लगा कि लोन गलत दिया गया है, या लोन का पैसा लेकर कंपनी कहीं बाहर पैसा भेज रही है? 23000 करोड़ का लोन डूब रहा है और फ्राड होने का पता लगाने की कार्रवाई ये बैंक अप्रैल 2018 में शुरू करते हैं. रिपोर्ट आती है जनवरी 2019 में और सीबीआई के पास पहली शिकायत दर्ज कराई जाती है दिसंबर 2019 में. 11 महीने के बाद. SBI के जवाब से कुछ और सवाल पैदा होते हैं अगर सबसे अधिक लोन ICICI ने दिया है तो उसने CBI से क्यों नहीं शिकायत की,SBI ने क्यों की? SBI ने कहा है कि सबसे अधिक लोन ICICI ने दिया, फिर IDBI ने और फिर SBI ने इस प्रेस रिलीज़ में क्यों नहीं बताया कि लोन की राशि क्या है, यह भी साफ नहीं है कि यह पैसा भारत के बाहर भेजा गया है या भीतर ही है.23000 करोड़ का लोन NPA हो रहा है, फ्राड हो रहा होगा इसकी जांच के लिए 28 बैंकों को ध्यान आता है सीधे 2018 में आकर पता चलता है .यह खुद में काफी संदेहास्पद है . कांग्रेस का प्रेस रिलीज़ क्यों है अहमकांग्रेस पार्टी ने 15 फरवरी 2018 को एक प्रेस कांफ्रेंस की थी. कांग्रेस की इस प्रेस रिलीज़ में लिखा है कि एबीजी शिपयार्ड का ऋषि अग्रवाल भारत से भाग गया है. इसमे लिखा है कि 26 जुलाई 2016 को PMO में इसकी शिकायत दर्ज कराई गई थी. लेकिन मोदी सरकार के तहत फ्राड पकड़ने का सिस्टम बंद कर दिया गया है. कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा, ये देश का सबसे बड़ा घोटाला 22842 करोड़ हुआ ABG शिपयार्ड ने किया ABG पर 5 साल तक सरकार चुप रही. आफिस आफिस खेला गया 5 सालो तक. मोदी सरकार की स्कीम है एज ऑफ डूइंग फ्रॉड चल रहा है. कांग्रेस ने 15 फऱवरी 2018 में आरोप लगाया था कि एबीजी कंपनी ने 30 बैंकों के साथ फ्राड किया है. और ऋषि अग्रवाल भारत से भाग गया है .तब उसके बाद चार साल बाद फरवरी 2022 में FIR होती है. बीजेपी का आरोप है कि बैंकों ने लोन UPA के समय दिया था .और मोदी सरकार के समय पकड़ा गया.क्या यह खुद में पुरा लग रहा है जो अभी एफआईआर के तीन दिन हो गये है और गिरप्तारी तक नहीं हुई है . वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का दलील क्यों है आधारहीनवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कहती है की फ्राड पकड़ने में 52- 56 महीने लगते हैं इस बार कम समय लगा हैजून 2017 से इस कंपनी के NPA की जानकारी RBI के पास थी और FIR होती है .फरवरी 2022 में.अगर आप जून 2017 से गिने तो 66 महीने हो जाते हैं.21 मार्च 2019 के हिन्दू बिजनेस लाइन की खबर है कि यह कंपनी बैकरप्ट होने के कगार पर है.लंदन की जिस लिबर्टी हाउस ने इसे उबारने का जो प्लान दिया है उसे लोन देने वाले बैंकों ने ठुकरा दिया है. हिन्दू बिजनेस लाइन ने लिखा है कि एबीजीपी उन 12 कंपनियों में से एक है जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैकरप्सी कोड के तहत दिवालिया घोषित करने या स्वामित्व बदलने की योजना बनाई थी.सवाल अब भी शेष रह जाता है RBI ने जून 2017 में बैकरप्सी कोड में डालने की योजना बनाई तब भी क्या फ्राड की आशंका नहीं हुई थी?23000 करोड़ के फ्राड के मामले में FIR के तीसरे दिन भी ऋषि अग्रवाल की गिरफ्तारी और मीडिया के सामने उसके हाज़िर होने की तस्वीरें नहीं हैं.क्या यह खुद में एक असफल तंत्र का नमूना नहीं हो सकता है ?फिलहाल इनके बेबसाइट भी बंद है और लिकंडिन पर इनके बारे में कुछ देखने और पढने को मिल सकता है .यह कपंनी ऐसा दावा करती है कि ABG Shipyard Ltd के पास 500 से 1000 कर्मचारी है .और इनके व्यापार विदेशों तक फैला हुआ है . जाहिर सी बात है विदेशों तक व्यापार फैलना सरकारी आकडों में जानकारी जरूर होगी .कंपनी ने दावा किया है कि स्थापना के 15 साल के भीतर यह भारत की सबसे बड़ी शिपबिल्डिंग कंपनी बन जाती है .कारपोरेट आफिस मुंबई में है. . भारत में प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां, नौ सेना, और अंडमान निकोबार प्रशासन अपनी ज़रूरत के हिसाब से अलग अलग आर्डर दे रहे हैं. दुनिया के कई देशों की कंपनियों के साथ जहाज़ बनाकर देने के करार की सूचना है.भारत सरकार की एक वेबसाइट है . संस्था है का नाम India Brand Equity Foundation है .यह एक एजेंसी है जो निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई है ताकि दुनिया के बाज़ार में भारतीय उत्पादों की बिक्री बढ़े. यह संस्था 2003 में बनाई गई थी. इसकी वेबसाइट पर एक बुकलेट मिला है जिसमें एबीजी शिपयार्ड के बारे में ब्यौरा है. इसमें एबीजी शिपयार्ड के बारे में लिखा है कि यह प्राइवेट सेक्टर में जहाज़ बनाने की भारत की सबसे बड़ी कंपनी है. यह भी लिखा है कि इस कंपनी ने 99 जहाज़ बनाए हैं और बेचे हैं. पहली बार इस कंपनी ने नार्वे को जहाज़ निर्यात किया था. यह कंपनी है और जहाज़ बनाती है तो इसकी जानकारी इसमें होगी | |
भारतीय बैंकिग इतिहास में अभी तक का सबसे बडा घोटाला!
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