Tuesday, May 14, 2024
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क्या कांग्रेस पार्टी के पास सचमुच खत्म हो चुके हैं पैसे?

यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या कांग्रेस पार्टी के पास सचमुच पैसे खत्म हो चुके हैं! कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी के बैंक खातों को फ्रीज करने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा चुनावों के मद्देनजर एक साजिश बताया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने कांग्रेस को पंगु बनाने की चाल चली है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी के पास खर्च करने के लिए एक रुपया भी नहीं है और वह मतदान से पहले अपना चुनाव अभियान शुरू नहीं कर पाई है, जबकि भाजपा पूरे देश में पहले की तरह पैसा खर्च कर रही है। उन्होंने मांग की कि कांग्रेस को अपने बैंक खातों का उपयोग करने की अनुमति दी जाए। उधर, आयकर विभाग इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का दावा है कि कांग्रेस पार्टी मामले का निपटारे की बजाय इसे खींचना चाहती है। डिपार्टमेंट के सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस पार्टी ने ही पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में अपने पास 340 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति के अलावा 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और नकदी होने की जानकारी टैक्स ट्राइब्यूनल को दी थी। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण की दिल्ली पीठ में कांग्रेस की याचिका का विरोध करते हुए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के वरिष्ठ स्थायी वकील जोहेब हुसैन ने कहा कि टैक्स ऑफिसरों की कार्रवाई से पार्टी को कोई कठिनाई नहीं हुई क्योंकि उसने मार्च 2023 के अंत में 657 करोड़ रुपये की संपत्ति और 388 करोड़ रुपये की नकदी एवं अन्य संपत्तियां होने की जानकारी दी थी। इस महीने की शुरुआत में ट्राइब्यूनल ने आईटी डिपार्टमेंट की कांग्रेस के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगाने की पार्टी की मांग खारिज कर दी।

टैक्स डिपार्टमेंट के सूत्रों ने सोनिया और राहुल गांधी के इस आरोप का मुकाबला करने के लिए वकील की दलीलों की ओर इशारा किया कि पार्टी के पास अपना अभियान चलाने के लिए कोई पैसा नहीं बचा है। बैंक खातों को फ्रीज करने के दावों का खंडन करते हुए एक सूत्र ने कहा कि पार्टी के देशभर में कई खाते हैं और विभाग ने दिल्ली में पांच बैंक शाखाओं में बैंक खातों और सावधि जमा से 135 करोड़ रुपये वसूल किए हैं। एक सूत्र ने कहा, ‘हम खातों को फ्रीज करने के दावे को सिरे से खारिज करते हैं।’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने निर्धारित अवधि के भीतर मांग पर रोक नहीं लगाई जिसके परिणामस्वरूप कार्रवाई हुई।

मामला वित्तीय वर्ष 2017-18 का है जब पार्टी ने दिसंबर 2018 की विस्तारित समय सीमा तक अपना रिटर्न दाखिल नहीं किया था, जो रजिस्टर्ड राजनीतिक दलों को उपलब्ध टैक्स छूट के विकल्प का दावा करने के लिए एक पूर्व शर्त है। पार्टी 20 हजार रुपये से अधिक के नकद दान की स्वीकृति से संबंधित एक और आवश्यकता को पूरा करने में भी विफल रही। विभाग ने कहा कि पार्टी ने 14 लाख रुपये से अधिक के नकद दान स्वीकार किए, जिस कारण उसको मिला टैक्स छूट का विकल्प खत्म हो गया। अब पार्टी को ‘व्यक्तियों का संघ’ माना जा रहा है और उसे सामान्य टैक्स लाइबिलिटी का सामना करना पड़ रहा है।

जुलाई 2021 में टैक्स रिटर्न के आकलन के बाद आईटी डिपार्टमेंट ने कांग्रेस से 105 करोड़ रुपये टैक्स डिमांड रखी, लेकिन पार्टी ने केवल 2.5 करोड़ रुपये का पेमेंट किया। मामले को स्थगित रखने के लिए उसे अपीलीय आयुक्त के सामने 105 करोड़ रुपये की मूल डिमांड का 20%, यानी 21 करोड़ रुपये का भुगतान करना था। ब्याज सहित टैक्स डिमांड अब बढ़कर 135 करोड़ रुपये हो गया है और अंतिम भुगतान होने या मामले को खारिज किए जाने तक ब्याज बढ़ता रहेगा। पार्टी ने मांग को चुनौती दी है। आईटी डिपार्टमेंट के सूत्रों ने आरोप लगाया कि कांग्रेस मामले को घसीट रही है, जिसकी ओर आईटीएटी ने भी अपने आदेश में इशारा किया क्योंकि विवेक तन्खा के नेतृत्व में पार्टी के वकीलों ने अपील के ‘त्वरित निपटान’ का विकल्प नहीं चुना।

सूत्रों ने बताया कि पार्टी के 11 में से आठ खाते फ्रीज हैं। पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि आयकर अधिनियम के अनुसार, 2017-18 के खातों को जमा करने में एक महीने की देरी पर अधिकतम 10 हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है, लेकिन कांग्रेस पर 210 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। उन्होंने कहा कि अगर केसरी के कार्यकाल के दौरान 30 साल पहले का आयकर नोटिस जारी किया जा सकता है, तो सरकार महात्मा गांधी के उस दौर में भी जा सकती है जब जमनालाल बजाज कांग्रेस के कोषाध्यक्ष थे। कांग्रेस को आर्थिक रूप से पंगु बनाने के ‘व्यवस्थित प्रयास’ के बारे में बात करते हुए, सोनिया गांधी ने कहा, ‘इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी हम अपने चुनाव अभियान को प्रभावी बनाए रखने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं।’

खरगे ने कहा कि अब कोई लेवल प्लेइंग फील्ड नहीं है क्योंकि भाजपा ने मीडिया विज्ञापनों और एयर ट्रांसपोर्ट पर एकाधिकार स्थापित कर लिया है, जबकि कांग्रेस अपने नेताओं को विभिन्न शहरों में भेजने में भी सक्षम नहीं है और अभी तक रैलियों या मीडिया विज्ञापनों के साथ अपना अभियान शुरू नहीं कर पाई है।उन्होंने कहा, ‘सभी दलों के पास समान रूप से संसाधन होने चाहिए, न कि सत्ता में बैठे लोगों के पास संसाधनों, मीडिया पर एकाधिकार हो और सत्तारूढ़ दल का ईडी, आयकर, चुनाव आयोग और अन्य स्वायत्त निकायों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं हो सकता।’ उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने उजागर किया है कि कैसे भाजपा ने अपने बैंक खातों में करोड़ों रुपये जमा किए हैं, लेकिन उन्हें मिलने वाली नकदी का कोई हिसाब नहीं है, यह कहते हुए कि 70 से अधिक वर्षों से स्थापित एक स्वस्थ लोकतंत्र के रूप में भारत की छवि पर ‘प्रश्न चिह्न’ हैं।

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