Saturday, May 18, 2024
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जानिए राजनाथ सिंह की नई घोड़े तेजस के बारे में सब कुछ!

हाल के दिनों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को तेजस नाम का एक घोड़ा मिला है! चीन और रूस के बीच चारों तरफ जमीन से घिरा एक देश है मंगोलिया। वही है चंगेज खान का देश। 12वीं सदी में इसी मंगोल शासक का मध्य एशिया में आतंक चरम पर था। एक समय दुनिया के करीब 22 फीसदी हिस्से पर उसकी हुकूमत हुआ करती थी। मंगोल लड़ाके सैकड़ों मील घोड़े पर ही चले जाते थे और उनकी विजय में वे बराबर के हकदार हुआ करते थे। एशिया के अलग-अलग हिस्सों, यहां तक कि सिंधु नदी तक चंगेज खान की फौज घोड़े पर ही चढ़कर आई थी। मंगोलों के लिए घोड़े की उपयोगिता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि उनके बारे में कहा जाता है कि घोड़े के बिना मंगोल बिना पंखों के पक्षी की तरह हैं। यहां आज भी हॉर्स कल्चर फल-फूल रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक मंगोलिया में 30 लाख से अधिक घोड़े हैं और 2020 की आबादी 33 लाख थी। ऐसे में जब कोई विदेशी मेहमान आता है तो मंगोल अपनी सबसे अजीज चीज गिफ्ट करते हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समय मंगोलिया में हैं। वहां के राष्ट्रपति ने उन्हें सफेद रंग का स्पेशल घोड़ा गिफ्ट किया है। उसका तेज देख राजनाथ ने उसे अपना नाम ‘तेजस’ दे दिया है।

अब जरा उस तस्वीर पर नजर दौड़ाइए, जिसमें मंगोलिया के राष्ट्रपति राजनाथ सिंह को घोड़ा दिखा रहे हैं। इसमें पारंपरिक पहनावे में दिख रहा तीसरा शख्स ही घोड़ा लेकर आया था। इसका ड्रेस कुछ वैसा ही है, जैसा चंगेज खान के समय की कल्पना की जाती है। भारत में भी बनाई जाने वाली पेंटिंग्स में चंगेज खान को इसी तरह के ड्रेस में दिखाया जाता है और घोड़े तो मंगोलिया की आत्मा में बसे हैं।

मंगोलिया का नाम वहां की नस्ल के घोड़ों से विशेष रूप से चर्चा में रहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 2015 में मंगोलिया के दौरे पर गए थे तो वहां के समकक्ष नेता ने उन्हें ब्राउन रंग का घोड़ा गिफ्ट किया था। भारत और मंगोलिया की दोस्ती में घोड़े का अहम रोल है। संयुक्त डाक टिकट में भी घोड़े को जगह दी गई थी।

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी मंगोलियाई घोड़े गिफ्ट में मिले थे। बात 1958 की है 16 दिसंबर को चाचा नेहरू की एक तस्वीर मंगोलियाई घोड़े के साथ मौजूद है। मंगोलिया के तत्कालीन प्रमुख ने नेहरू को तीन मंगोल घोड़े गिफ्ट में दिए थे।चंगेज खान के समय से ही मंगोल घोड़ों को दुनिया के बेहतरीन घोड़ों में से एक माना जाता है। उनके बारे में एक बात बड़ी मशहूर है- घोड़े पर बैठकर दुनिया को जीतना आसान है। मंगोल भोजन, पानी, आने जाने, जूते, बख्तरबंद, आग, खेल, संगीत, शिकार, मनोरंजन, आध्यात्मिक शक्ति के लिए अपने घोड़े पर भरोसा करते हैं। मंगोल घोड़ों को कम पानी की जरूरत होती है और यूरोपीय नस्ल के घोड़ों की तुलना में उन्हें रोजाना राशन भी कम लगता है।

अब बात चंगेज खान के घोड़ों की। इस मंगोल शासक के बारे में कहा जाता है कि उसके लड़ाके जिस रास्ते से गुजरते लाशों के ढेर लग जाते। चंगेज खान ने ख्वारिज्मी साम्राज्य को बर्बाद कर दिया था। मोहम्मद शाह का उत्तराधिकारी जलालुद्दीन जान बचाने के लिए भारत की तरफ भागा तो चंगेज ने उसका पीछा किया लेकिन सिंधु नदी तक आकर रुक गया। उसने सिंधु नदी पारकर ‘सोने की चिड़िया’ भारत पर हमला करने के बारे में नहीं सोचा? इतिहासकार इसके अलग-अलग कारण बताते हैं। उस समय मोहम्मद गोरी पृथ्वीराज चौहान को हराकर भारी लूटपाट मचा चुका था। माना जाता है कि चंगेज की सेना और उसके घोड़े थक गए थे।

उस समय दिल्ली का सुल्तान इल्तुतमिश था। चंगेज खान और उसकी सेना भले भारत में नहीं घुसी लेकिन उसने भारतीय सभ्यता और संस्कृति को कुछ हद तक प्रभावित किया। उसके आक्रमणों की वजह से भारत की तरफ कई इस्लामी विद्वानों, कवियों, इतिहासकारों, सूफियों ने रुख किया और शरण ली।चंगेज खान ने ख्वारिज्मी साम्राज्य को बर्बाद कर दिया था। मोहम्मद शाह का उत्तराधिकारी जलालुद्दीन जान बचाने के लिए भारत की तरफ भागा तो चंगेज ने उसका पीछा किया लेकिन सिंधु नदी तक आकर रुक गया। उसने सिंधु नदी पारकर ‘सोने की चिड़िया’ भारत पर हमला करने के बारे में नहीं सोचा? इतिहासकार इसके अलग-अलग कारण बताते हैं। उस समय मोहम्मद गोरी पृथ्वीराज चौहान को हराकर भारी लूटपाट मचा चुका था। माना जाता है कि चंगेज की सेना और उसके घोड़े थक गए थे। जलालुद्दीन खिलजी के समय में कई मंगोल दिल्ली में आकर बस गए थे। मंगोलपुरी नाम आज उनकी याद दिलाता है। कम लोगों को ही पता होगा कि भारत में सब्जियों में दिया जाने वाला पंचफोरन का तड़का उन्हीं की देन है।

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