Friday, December 1, 2023
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विदेशी शादी जोड़ी के लिए क्या बोले पीएम मोदी?

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हाल ही में पीएम मोदी ने विदेशी शादी जोड़ी के लिए एक बयान दिया है! शादियों का मौसम है। जरूर आपके यहां इनव‍िटेशन कार्ड आने लगे होंगे। 23 नवंबर से शादी के ल‍िए शुभ मुहूर्त शुरू हो चुका है। यह 15 दिसंबर तक रहेगा। इस दौरान भारत में करीब 32 लाख शादियां होनी हैं। यह किसी से छुपा नहीं है कि भारतीय शादियों में कितना खर्च करते हैं। दौलतमंद भारतीय तो शादियों पर पानी की तरह पैसा बहाते हैं। यह अपनी शानो-शौकत दिखाने का उनके पास सबसे बड़ा मौका होता है। बीते कुछ सालों में इन अमीरों में एक और ट्रेंड बढ़ा है। ये विदेश जाकर शादियां करने लगे हैं। अंग्रेजी में इसे ‘फॉरेन ड‍िस्‍ट‍िनेशन वेड‍िंंग’ कहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शादियों की इस ‘मेगा इकोनॉमी’ को बारीकी से पकड़ा है। रविवार को साप्‍ताहिक रेडियो प्रोग्राम ‘मन की बात’ में उन्‍होंने इसका जिक्र कर दिया। पीएम ने विदेश में ऐसे आयोजनों पर होने वाले बेशुमार खर्च पर पीड़ा जताई। साथ ही धनी परिवारों से अपील भी की कि वे भारत की धरती पर ही इस तरह के समारोह आयोजित करें। इससे देश का धन देश ही में रहेगा। पीएम मोदी की यह अपील बहुत लाजिमी और तर्कसंगत है। क्या परदेस जाकर ही घर बसाने की शुभ शुरुआत हो सकती है? पीएम मोदी के मैसेज में कई बातें छुपी हुई हैं। इन्‍हें समझेंगे तो प्रधानमंत्री की अपील के मायने समझ आ जाएंगे। भारत में शादी सिर्फ शादी नहीं होती है। यह एक लाइफटाइम इवेंट होता है। लोग इसे यादगार बनाने के लिए पैसे को पैसा नहीं समझते हैं। इसमें बहुत कुछ शामिल होता है। बैंक्‍वेट हॉल, होटल, फूल, टेंट, खानपान, लाइट-साउंड, डीजे, बैंड, ऑर्केस्ट्रा, कपड़े और न जाने क्‍या-क्‍या। फेहरिस्‍त बहुत लंबी है। लेकिन, इस फेहरिस्‍त से बिजनस जुड़ा है। कई स्‍तरों पर लोग इसमें हिस्‍सेदार बनते हैं। इन सभी को इसका फायदा होता है। इसमें छोटे से लेकर बड़े कारोबारी तक शामिल होते हैं। इसके अलावा भारत में न तो खूबसूरत लोकेशंस की कोई कमी है, न उन हाथों की जो सपनों की शादी को सपना जैसा बना दें। जब यही शादी का इवेंट विदेश में जाकर आयोजित होता है तो इसका फायदा हमारे लोगों को नहीं मिलता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने यही पीड़ा जाहिर की है। उन्‍होंने शादियों को ‘वोकल फॉर लोकल’मुहिम से भी जोड़ दिया है। इसी के तहत पीएम मोदी ने देशवासियों से ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को सिर्फ त्योहारों तक ही सीमित न रखने की अपील की। साथ ही लोगों से यह भी कहा कि उन्हें शादी के मौसम में भी स्थानीय उत्पादों को महत्व देना चाहिए। उन्‍होंने इस दौरान कुछ व्यापार संगठनों के अनुमानों का हवाला भी दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि इस साल शादियों के मौसम में करीब पांच लाख करोड़ रुपये के कारोबार की उम्‍मीद है। प्रधानमंत्री ने विदेश में शादी करने के ट्रेंड पर सवाल उठाया। ऐसा करने वाले दौलतमंद परिवारों से कहा कि अगर वे भारत की मिट्टी में और भारत के लोगों के बीच शादी-ब्याह मनाएं तो देश का पैसा देश में रहेगा।

पीएम मोदी की यह अपील बहुत लॉजिकल है। इससे भारत में कमाई के मौके बढ़ते हैं। जिन हाथों में यह पैसा जाता है वो कुछ और बेहतरी में इसे खर्च करते हैं। यह अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूत करता है। पीएम अर्थव्‍यवस्‍था को समझते हैं। वह जानते हैं कि इसमें जान फूंकने के लिए क्‍या-क्‍या किया जा सकता है। उन्‍होंने ऐसा बिल्‍कुल नहीं कहा कि शादियों पर जमकर खर्च नहीं करें। बस, उन्‍होंने यह अपील की है कि इसे विदेश में जाकर न उड़ाएं।’वोकल फॉर लोकल’ हो या ‘मेक इन इंडिया’। इन कैंपेन का मकसद एक ही रहा है। देश की चीजें देश में रहें और देशवासी इसके कंज्‍यूमर बनें। यह आत्‍मनिर्भर भारत के लिए जरूरी है। भारत दुनिया में सबसे बड़े मार्केट में से एक है। यह दुनिया को अपने इशारों पर नचाने की कुव्‍वत रखता है। पीएम की अपील उस क्षमता को चैनलाइज करने की दिशा में है। इन सभी को इसका फायदा होता है। इसमें छोटे से लेकर बड़े कारोबारी तक शामिल होते हैं। इसके अलावा भारत में न तो खूबसूरत लोकेशंस की कोई कमी है, न उन हाथों की जो सपनों की शादी को सपना जैसा बना दें। जब यही शादी का इवेंट विदेश में जाकर आयोजित होता है तो इसका फायदा हमारे लोगों को नहीं मिलता है।पीएम ने अमीरों से अपील के जरिये घर की लक्ष्‍मी घर में रहने देने की बात की है। यह न केवल देश को समृद्ध बनाने के लिए जरूरी है। अलबत्‍ता, 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के पीएम के लक्ष्‍य के भी अनुरूप है।

क्या भारत में भी हो सकता है इजरायल जैसा हमला?

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भारत में भी इजरायल जैसा हमला कभी भी हो सकता है! अमेरिका के अफगानिस्तान से हटने, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी भूमिका बढ़ाने और यूक्रेन युद्ध के बाद ऐसा लग रहा था कि देशों के बीच खींचतान का दौर वापस आ गया है और आतंकवाद का मुद्दा नजरों से कहीं ओझल हो गया है। हालांकि, हमास के विभत्स हमले ने सुरक्षा विश्लेषकों को याद दिलाया कि धोखेबाज सरकारों द्वारा समर्थित आतंकवादी समूहों की अंधेरी दुनिया मानव सभ्यता और उसके मूल्यों को चुनौती देती रहती हैं। पहले वास्तविक मकसद और विचारधारा की भूमिका आती है। चाहे वह कश्मीर और मुंबई में लश्कर-ए-तैयबा एलईटी के हमले हों या इजराइल में हमास के हमले, इनकी जड़ों में धार्मिक कट्टरपन है। मुस्लिम समुदाय के भीतर ही ऐसे चरमपंथी समूह शिया, सूफी और अहमदियों को निशाना बनाते हैं क्योंकि वे धर्म की उनकी चरमपंथी व्याख्या के अनुरूप जीवन नहीं जीते। 7 अक्टूबर के हमास के हमले का कारण नागरिक अधिकारों या दो देशों की आपसी लड़ाई नहीं था। इसके बजाय, इसका प्रेरणा विशुद्ध रूप से एक चरमपंथी धार्मिक विश्वास था कि यहूदियों को मार डाला जाना चाहिए और इजराइल को अस्तित्व में रहने का कोई अधिकार नहीं है। इजरायली नागरिकों की हत्या उनकी धार्मिक पहचान के कारण हुई थी। इसी तरह, कश्मीर में हिंदू अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों को मार दिया गया और कुछ अन्य को राजनीतिक कारणों से नहीं बल्कि पूरी तरह से जिहादी विचारधारा से निकलने वाले कारणों से अपनी जमीन छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।

इस लिहाज से हमास और आईएसआईएस एक ही हैं। हमास मुस्लिम ब्रदरहुड की एक शाखा है जिसने कभी भी अपने इस्लामी चरित्र और एक शरिया शासित राज्य स्थापित करने के उद्देश्यों को नहीं छिपाया है। उनके लिए यहूदी राज्य के खिलाफ लड़ाई राजनीतिक नहीं बल्कि पूरी तरह से धार्मिक है। इसलिए, हमास और आईएसआईएस, अल-कायदा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, एलईटी और जैश-ए-मोहम्मद जेईएम जैसे अन्य अंतरराष्ट्रीय इस्लामी समूहों के बीच वैचारिक, रणनीतिक, संगठनात्मक और अन्य आपसी रिश्तों की जांच करने पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। मुझे कश्मीर में शोध करते हुए एलईटी और जेईएम के कई पूर्व आतंकवादियों का साक्षात्कार इंटरव्यू करने का मौका मिला। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इस्लाम का पहला दुश्मन यहूदी राज्य है। जब मैंने इजरायल पर उनके विचारों के बारे में पूछा तो शिया मुसलमानों के भारी बहुमत ने ईरान की नीति का समर्थन किया।

दूसरे, सुरक्षा विश्लेषकों को आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र इकोसिस्टम को देखना चाहिए। इस इकोसिस्टम में आतंक के फाइनैंसर, कट्टरपंथी धार्मिक प्रचारक और प्रचार युद्ध के सैनिक प्रॉपगैंडा वॉर के सोल्जर्स शामिल हैं। इजराइल-हमास युद्ध में हमलावरों ने अपने अमानवीय हमलों को वैध ठहराने के कारण बताए तो उसकी प्रचार शाखा पूरी तरह से सक्रिय हो गई।

पूरे पश्चिमी देशों में बड़े पैमाने पर फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शन हुए, जिनमें वामपंथी तत्वों ने इस्लामियों का खुलकर साथ दिया। ये प्रदर्शन पूरी तरह से एकतरफा थे, जिनमें किसी ने भी हमास की क्रूरता की निंदा नहीं की। ये प्रचार अभियान आतंकवादी समूहों द्वारा लोकतांत्रिक समाजों के खिलाफ छेड़े गए युद्ध का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। इस तथ्य में कोई विवाद नहीं है कि नागरिकों की मृत्यु हुई है, लेकिन प्रॉपगैंडा मशीनरी ने इजराइल द्वारा अस्पतालों पर बमबारी करने के फर्जी वीडियो प्रसारित किए हैं। वे समाज का ब्रेनवॉश करने के लिए झूठ और विकृतियों को फैलाने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मानवाधिकार और कानून के शासन का लाभ उठाते हैं। मानवीय सहायता का उपयोग आतंकवादी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है। यानी लोगों को कट्टरपंथी बनाना और हथियार बनाना, जैसा कि गाजा के मामले में हुआ था।

तीसरा, इजराइल को यह सोचने की जरूरत है कि हमास को गाजा से बाहर निकालने के बाद क्या होगा। यदि इजराइल बंधकों को वापस करने और हमास को गाजा से बाहर निकालने में जल्दी सफल होता है, तो भी यह समस्या समाप्त नहीं होगी- तुर्की, कतर, ईरान और मलेशिया जैसे देश हमास का समर्थन करते हैं। पिछले कुछ समय से चीन को भी उसका समर्थक माना जाता है। इसके नेताओं और कैडरों को उनके लाभार्थी देशों में सुरक्षित आश्रय मिल जाएगा। कुछ वर्षों के बाद वे इजराइल पर हमला करने के लिए वापस आएंगे क्योंकि उनका मकसद यहूदियों को अनंत काल तक मारना है।अंत में, भारत को हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करना चाहिए, न केवल भारत-इजराइल मित्रता के कारण बल्कि महत्वपूर्ण सुरक्षा बाध्यताओं के कारण भी। जब हमास और तालिबान इस तरह की अल्पकालिक जीत हासिल करते हैं, तो यह भारत सहित सभी लोकतंत्रों में जिहादी समूहों को प्रेरित और प्रोत्साहित करता है। यह तथ्य कि हमास नेता खालिद मशाल ने केरल में कुछ मुस्लिम समूहों को संबोधित किया और उनके व्याख्यान को जिस तरह का उत्साही समर्थन मिला, उससे यह स्पष्ट होता है कि हमास और भारत केंद्रित जिहादी समूहों के बीच ऑपरेशनल लिंकेज मौजूद हैं।

क्या नीतीश कुमार के लिए उल्टा पड़ सकता है जातीय सर्वे?

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खबरों के मुताबिक नीतीश कुमार के लिए जातीय सर्वे उल्टा पड़ सकता है! लोकसभा चुनाव की राजनीतिक विसात पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मोहरे सजाने शुरू कर दिए हैं। केंद्र की बीजेपी नीत सरकार को अपदस्थ करने की रणनीति पर काम कर रहे नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुद्दों से घेरने की व्यूह रचना कर दी है। भले जातीय सर्वे, आर्थिक सर्वेक्षण या फिर विशेष राज्य का दर्जा जैसे मुद्दे सामाजिक विषमता के दूर करने के उद्देश्य को पूरा करता हुआ दिखता है, पर इन सभी मुद्दों का मूल मकसद राजनीति से प्रेरित भी है। यहां मूल मकसद नमो की सरकार को लाचार या फिर सामाजिक न्याय का विरोधी बताया जाना है। आइए समझते हैं कि नीतीश कुमार ने नमो को कठघरे में खड़ा करने हेतु कैसी व्यूह रचना की है। देश को भाजपा मुक्त कराने की दिशा में नीतीश कुमार ने सबसे पहले जातीय सर्वे की आधारशिला रखी। मामला कोर्ट में भी गया जहां जातीय सर्वे का विरोध के पीछे कहा गया कि जनगणना कराने का अधिकार केंद्र को है फिर राज्य सरकार यह कैसे करा रही है। तब राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जनगणना नहीं, बल्कि जातीय सर्वे कराया जा रहा है। और इस सर्वे का मूल मकसद आबादी के अनुसार योजनाओं में हिस्सेदारी को ध्यान में रख कर किया जाना है। इसके बाद पटना उच्च न्यायालय ने सर्वे की इजाजत दे दी।

इसी तरह से महागठबंधन नीत सरकार का आर्थिक सर्वेक्षण बिहार की गरीबी और अविकसित राज्य बताना है। इसके लिए कुछ आंकड़ों का सहारा लिया गया है। मसलन, बिहार में छह हजार तक 63 प्रतिशत जनसंख्या की आमदनी 10 हजार या इससे नीचे है। मात्र 03.9 प्रतिशत ही लोग 50 हजार आमदनी कर पाते हैं। शिक्षा की दयनीय स्थिति को भी इस सर्वेक्षण में जताते कहा गया कि मात्र 7 प्रतिशत ही स्नातक या इससे ज्यादा ऊपर की डिग्री हासिल किए हुए हैं। शेष 93 प्रतिशत में प्रथम वर्ग से लेकर 12 तक शिक्षा प्राप्त करने वालों के साथ अशिक्षितों की एक बड़ी फौज भी बिहार में है। पक्का मकान की बात करें तो 36.76 प्रतिशत लोगों के पास ही पक्का मकान है। 48 प्रतिशत या तो खपरैल या टीन अच्छादित मकान या झोपड़ी में रहते हैं। इन आंकड़ों के हवाले से बिहार सरकार ने विशेष राज्य का दर्जा की मांग कर दी।

बिहार सरकार जानती है कि जातीय सर्वे के आधार पर बढ़ाए गए आरक्षण के प्रतिशत को न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। ऐसा इसलिए की जातीय सर्वे में कई त्रुटियां रह गई हैं। जानिए क्या क्या

बिहार जातिगत जनगणना में ग़रीबी की गणना का आधार सिर्फ़ मासिक आय को रखा गया है जबकि ग़रीबी को सिर्फ़ मासिक आय तक सीमित नहीं किया जा सकता है। बिहार जातिगत जनगणना 2022-23 की रिपोर्ट में परिवारों की भूमि स्वामित्व से संबंधित गणना को प्रकाशित नहीं की गई है। पशु स्वामित्व के सवाल को तो पूरी तरह से गौण कर दिया गया।

बिहार जातिगत जनगणना रिपोर्ट में यह तो बताया गया है कि किस जाति में कितना प्रतिशत लोग सरकारी नौकरी करते हैं या अलग अलग तरह का रोज़गार करते हैं, लेकिन ये नहीं बताया गया है कि बिहार के विभिन्न संसाधनों पर किस जाति का कितना हिस्सेदारी है।

भारत सरकार या केंद्र सरकार की किसी भी सर्वे या जनगणना रिपोर्ट में गणना किस विधि के अनुसार किया गया, सर्वे के दौरान क्या क्या सवाल पूछे गए थे, इन सभी का विवरण रिपोर्ट में ही लिखा जाता है, लेकिन बिहार जातिगत जनगणना रिपोर्ट में इनमे से कोई भी जानकारी को रिपोर्ट का हिस्सा नहीं बनाया गया है।

जातीय गणना में राजनीति प्रतिनिधित्व की गणना नहीं की गई है। इसके तहत यह बताना चाहिए था किस परिवार में किसी ने किसी भी स्तर का चुनाव लड़ा या नहीं। इस रिपोर्ट में पलायन करने वालों का जिक्र तो है पर, देश के अलग-अलग राज्यों से आकर बिहार में पलायन करके स्थाई या अस्थाई रूप से बिहार में रह रहे हैं, उनके बारे में इस रिपोर्ट में कोई जानकारी नहीं है। जातीय सर्वे को 1931 के आंकड़ों से कोई तुलना नहीं की गई है। प्रायः जनगणना की रिपोर्ट में महिला और पुरुष के आंकड़ों को एक साथ भी दिखाया जाता है और अलग-अलग भी दिखाया जाता है, लेकिन बिहार जातिगत जनगणना में महिलाओं के आंकड़ों को अलग से नहीं दर्शाया है। वेश्याओं की गणना भी नहीं की गई है, जबकि साल 1931 में हुए जातिगत जनगणना में वेश्याओं की अलग से गणना की गई थी।

दरअसल, नीतीश कुमार जानते हैं की जातीय और आर्थिक सर्वेक्षण की त्रुटियों के कारण आरक्षण के बढ़े प्रतिशत पर न्यायालय का ग्रहण लग सकता है। साथ ही विशेष राज्य के दर्जा पाने का कोई आधार नहीं रहने के कारण नीतीश कुमार का विशेष राजनीतिक अभियान भी ध्वस्त होते दिख रहा है। ऐसे में नीतीश कुमार ने राजनीति का एक नया खेल खेल डाला। इसका खुलासा तब हुआ जब कैबिनेट सेक्रेटरी एस सिद्धार्थ ने मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद यह बताया कि बढ़े आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया है। अब नीतीश कुमार केंद्र की सरकार पर यह ठीकरा फोड़ते जनता के बीच जाएंगे कि नमो की सरकार आरक्षण विरोधी है और राज्य का विकास भी देखना नहीं चाहती इसलिए विशेष राज्य का दर्जा भी नहीं दे रही है। जबकि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद भी जानते हैं कि बिहार उन मापदंडों को पूरा नहीं कर पा रही है जो विशेष राज्य का दर्जा दिला सके। यूपीए की सरकार में मंत्री रहे पी चिदंबरम और एनडीए की सरकार में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने भी साफ कहा कि बिहार विशेष राज्य के दर्जा का उचित पात्र नहीं।

बहरहाल, नीतीश सरकार आरक्षण और विशेष राज्य के दर्जा के आड़े केंद्र सरकार को घेरना चाहती है और राज्य की जनता के बीच संदेश भी देना चाहती है कि भाजपा विकास विरोधी है। अब नीतीश कुमार के प्रयास को कितनी सफलता मिलती है यह तो आगामी लोकसभा चुनाव के परिणाम बताएंगे वह भी इस विश्वास के साथ कि साल 2015 की विधान सभा चुनाव में आरक्षण मामले को जिस तरह से राजनैतिक रूप में इस्तेमाल किया, इस बार भी नजरिया कुछ ऐसा ही है।

आखिर कौन है गैंगस्टर अर्श डल्ला?

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आज हम आपको गैंगस्टर अर्श डल्ला के बारे में जानकारी देने वाले हैं! एक बार फिर दिल्ली में दो शूटर गिरफ्तार हुए है, प्लानिंग थी पंजाबी सिंगर की हत्या की और प्लानिंग की गई थी सात समंदर पार बैठकर। कनाडा में बैठकर दिल्ली में दहशत फैलाने के काम कर रहा है गैंगस्टर अर्श डल्ला। पिछले महीने भी दिल्ली से दो शूटर गिरफ्तार हुए थे। ये दो शूटर भी पंजाब के गैंगस्टर अर्शदीप डल्ला के ही थे। इनका प्लान था दिल्ली में बम बलास्ट करना। दिल्ली पुलिस को खुफिया एजेंसियों से इनके बारे में सूचना मिली थी जिसके बाद जाल बिछाया गया था और फिर अर्श डल्ला के शूटर्स गिरफ्तार हुए थे। इनके पास से पुलिस ने हैंड ग्रेनेड, एक पिस्टल और पांच कारतूस बरामद किए थे। एक के बाद एक रोज नई घटनाओं में अर्श डल्ला का नाम जुड़ रहा है। दिल्ली से अर्श के शूटर गिरफ्तार हो रहे हैं। जान लीजिए ये खतरनाक गैंगस्टर कौन है और क्यों ये दिल्ली और इसके आसपास दहशत फैलान चाहता है। अर्शदीप पंजाब में मोगा के डल्ला गांव का रहने वाला है। डल्ला गांव की वजह से ही इसका नाम अर्श डल्ला पड़ गया। कनाडा में अर्शदीप के साथ इसकी पत्नी और एक बेटी भी रहते हैं, जबकि इसके माता-पिता आज भी मोंगा में गांव में ही हैं।

अर्श डल्ला एनआईए की हिट लिस्ट में शामिल गैंगस्टर है। देश के कुछ खतरनाक गैंगस्टर और आतंकियों की लिस्ट एनआईए ने तैयार की है जो विदेशों में रहकर देश में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं और इस लिस्ट में अर्शदीप का नाम भी है। अर्श डल्ला साल 2020 में पंजाब के मोगा से कनाडा फरार हो गया था। इसपर हत्या के आरोप थे, जिसके बाद इसने फर्जी पासपोर्ट तैयार किया और फिर कनाडा चला गया। तब से ये वही खुद को छुपाए हुए है। इसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी है, लेकिन ये बेखौफ अपने परिवार के साथ वहां रह रहा है और और आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।

कनाडा में रहकर अर्श डल्ला ने अपना गैंग तैयार किया और साथ ही वो कट्टरपंथी संगठनों से जुड़ने लगा। खालिस्तान टाइगर फोर्स और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन से अर्श डल्ला के रिश्ते कई बार सामने आए हैं। वह मुख्य रूप से आतंकी मॉड्यूल को खड़ा करने, सीमा पार से हथियारों की सप्लाई की व्यवस्था करने, धन जुटाने का काम करता है। टारगेट किलिंग, एक्सटॉर्शन, टेरर फंडिंग, हत्या की कोशिश, अलग-अलग समुदायों में नफरत और पंजाब के लोगों में दहशत फैलाने के कई मामलों में इसका नाम जुड़ चुका है। अर्श डल्ला जब से कनाडा गया वो खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर से जुड़ा हुआ था। निज्जर अर्शदीप उर्फ डल्ला के साथ मिलकर एक टेरर कंपनी चला रहा था। निज्जर खालिस्तानी टाइगर फोर्स का चीफ था, जिसकी इसी साल हत्या हो गई थी। निज्जर के साथ मिलकर अर्श डल्ला ने कई हत्याएं करवाई। जनवरी 2022 में अर्श डल्ला और निज्जर ने 4 सदस्यों वाला केटीएफ मॉड्यूल स्थापित किया था। इसका मकसद था ग्रेनेड हमलों को देश में अंजाम देना। इसके अलावा अर्श डल्ला और हरदीप निज्जर ने मोगा के एसएसपी हरमन वीर सिंह गिल और मोगा में क्राइम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी विंग के दो इंस्पेक्टरों को निशाना बनाने की भी प्लानिंग की थी।

निज्जर के साथ मिलकर अर्श डल्ला एक आतंकी संगठन तैयार किया था। इसमें 700 से ज्यादा शूटर हैं। पंजाब के लड़कों को बहला फुसलाकर ये अपने गैंग का हिस्सा बनाते थे। इन लड़कों को कनाडा बुलाने का लालच दिया जाता और फिर उनसे देश में हत्या और किडनैपिंग जैसे दूसरे काम करवाए जाते। बॉर्डर पार से ये उन्हें मॉडर्न हथियार भी मुहैया करवाते। आतंक फैलाने के लिए MTSS चैनल के जरिए शूटर्स को अलग-अलग तरह से फंड्स भी मुहैया कराया जाता। बाद में एक्सटॉर्शन का पैसा हवाला के जरिए अर्शदीप तक कनाडा पहुंचता। निज्जर की हत्या के बाद खालिस्तानी टाइगर फोर्स को पूरी तरह से अर्श डल्ला ही चला रहा है।

कनाडा में ही बसे एक और गैंगस्टर गोल्डी बराड़ के साथ भी अर्श डल्ला का संबंध रहा है। अक्टूबर 2021 में गैंगस्टर बिक्रम बराड़ और गोल्डी बराड़ के साथ मिलकर इसने 4 सदस्यीय केटीएफ मॉड्यूल बनाया था। इसका काम पंजाब में कुछ लोगों को टारगेट करना था और इस काम के लिए इसने अपने शूटर्स को दो 9 एमएम, एक .30 बोर और एक .315 बोर पिस्तौल और चार मैगजीन भी डिलीवर कीं। इस मॉड्यूल के तहत पंजाब के बिट्टू प्रेमी, शम्मा बदमाश और सिरसा स्थित डीएसएस अनुयायी शक्ति सिंह को निशाना बनाना था। अर्श डल्ला ने डेरा सच्चा सौदा के एक सदस्य मनोहर लाल की भी हत्या करवाई थी। नवंबर 2020 में बठिंडा में डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी मनोहर लाल को मारा गया था। इसके अलावा एक अपराधी सुखप्रीत सिंह की हत्या के जिम्मेदारी भी कनाडा में बैठकर अर्श डल्ला ने ही ली थी। अपने फेसबुक अकाउंट के जरिए अर्श ने हत्या की जानकारी दी थी।

क्या इस्लामी चरमपंथी दुनिया को बर्बाद करना चाहते हैं?

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विश्लेषकों के अनुसार इस्लामी चरमपंथी दुनिया को बर्बाद करना चाहते हैं! 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमास के बर्बर आतंकी हमलों ने 2008 के मुंबई हमलों का जख्म हरा कर दिया। ये दोनों आतंकवादी हमले उन लोकतांत्रिक देशों पर हुए, जो देश के अंदर और बाहर कट्टरपंथी इस्लाम से निपट रहे हैं। चरमपंथी इस्लामी गुट इन दोनों ही देशों को खत्म करना चाहते हैं। ये हमले दोनों देशों की सुरक्षा को लेकर बनी-बनाई धारणाओं पर भी गंभीर सवालिया निशान हैं। दोनों हमलों में आतंकियों ने सुरक्षा एजेंसियों को हैरत में डाल दिया। मुख्य रूप से उनकी बर्बरता और उनके हमलों की बड़े पैमाने पर सफलता ने इस्लामी आतंकवाद के खतरों पर दुनिया को ज्यादा चिंतित कर दिया। कल ही मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों की 15वीं वर्षगांठ थी। इन हमलों को लश्कर-ए-तैय्यबा LeT के 10 आतंकियों ने अंजाम दिया था, जो पाकिस्तान स्थित एक इस्लामी जिहादी संगठन है। ढाई दिनों से ज्यादा वक्त तक चले आतंकी तांड़व में लगभग 170 लोगों की दुखद मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए। बेहद प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस हमलावरों को पाकिस्तानियों से समर्थन मिला। भारत-पाकिस्तान के बीच लंबे समय से जारी तनाव और कट्टरपंथी विचारधारा ने पाकिस्तानी आतंकी संगठनों को इस बर्बर हमले के लिए उकसाया।

सरप्राइजिंग एलिमेंट, लक्ष्यों का चयन और ऐक्शन के पैटर्न से भारतीय सुरक्षा बल उहापोह में फंस गए और स्थिति को नियंत्रित करने में उन्हें 60 घंटे से अधिक का समय लग गया। हमलों का उद्देश्य न केवल भारत में मौजूदा तनावों को बढ़ाना था बल्कि देश के आर्थिक केंद्र मुंबई को निशाना बनाते हुए भीषण आर्थिक क्षति पहुंचाना था। हमलावर जताना चाहते थे कि भारत अपने नागरिकों और पर्यटकों की रक्षा करने में पर्याप्त सक्षम नहीं है।

सोच-समझकर किए गए बड़े पैमाने के हमलों ने भारत की सुरक्षा में कमजोरियों को उजागर किया। उसके बाद महत्वपूर्ण सुधार हुए और खुफिया एजेंसियों के बीच सहयोग बढ़ा। मुंबई हमलों ने विश्व स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। भारत वैश्विक मंच पर आतंक को मुद्दे को प्राथमिकता से उठाने लगा। इन घटनाओं के बाद हमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग हासिल होने लगा। हमारी तरह ही इस्लामी आतंकवाद का सामना कर रहा इजराइल, भारत का स्वाभाविक सहयोगी बन गया। दूसरे देशों के साथ भारत के संबंधों में व्यावहारिक राष्ट्रीय हितों से निर्देशित दृष्टिकोण आतंकवादी हमलों के जियोपॉलिटिकल इंपैक्ट के बावजूद बरकरार रहा। 2008 के मुंबई हमलों के बाद के वर्षों में भारत और इजराइल के बीच सहयोग फलता-फूलता रहा।

दोनों देश ऐसे अभिनव वातावरणों में बातचीत करते हैं जिनमें प्रशिक्षित और सुसज्जित सेनाओं के अस्तित्व की आवश्यकता होती है जो बाहरी और आंतरिक दोनों तरह के खतरों का सामना करती हैं। भारत को सामान्य रूप से आतंकवाद और विशेष रूप से समुद्री आतंकवाद से निपटने के दौरान रचनात्मक होने के लिए बाध्य है। भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अन्य देशों के साथ सहयोग करता है ताकि इस क्षेत्र में तकनीकी विशेषज्ञता को और विकसित किया जा सके।

पश्चिम एशिया में वर्तमान घटनाओं के आलोक में इस क्षेत्र में विशाल ज्ञान वाले देश इजराइल के साथ मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है। पिछले महीनों में इजराइल के लिए भारत के समर्थन ने इस धारणा को और तेज कर दिया है कि इजराइल और भारत महत्वपूर्ण रणनीतिक भागीदार हैं जो 2014 से शुरू हुई एक प्रक्रिया है। फिलिस्तीनियों के साथ संबंध एक जीरो सम गेम नहीं है, बल्कि संतुलनकारी नीति अपनाने की आवश्यकता को उजागर करता है। भारत ने मानवीय सहायता के मामले में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और पश्चिम एशिया में अपनी स्थिति को एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में आकार दिया है। इसलिए, इजराइल और फिलिस्तीनियों के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करना आवश्यक है।

आखिर में, 7 अक्टूबर की घटनाओं की तरह ही भारत के इतिहास में 2008 के मुंबई अटैक एक दर्दनाक अध्याय बना हुआ है, जो कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद की क्रूरता की कड़वी याद दिलाते हैं। इन दुखद घटनाओं ने भारत और इजराइल दोनों में रक्षा-सुरक्षा के क्षेत्र में बड़े सुधारों को प्रेरित किया। इजराइल विशेष रूप से भारत के लचीलेपन और सुरक्षा तंत्र में लागू किए गए परिवर्तनों से सीख सकता है। साझा खतरे को पहचानते हुए दोनों देशों को आतंकवाद का मुकाबला करने और इस वैश्विक चुनौती को प्रभावी ढंग से निपटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने के लिए अपने सहयोगी प्रयासों को जारी रखना चाहिए।

केएल राहुल को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वनडे टीम का नया कप्तान नियुक्त किया गया.

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वर्ल्ड कप फाइनल में हार के बाद भारत की वनडे टीम की कप्तानी बदल दी गई. रोहित शर्मा दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए भारत की वनडे टीम में नहीं हैं. उनकी जगह लोकेश राहुल को कप्तान बनाया गया है. रोहित के साथ-साथ विराट कोहली भी साउथ अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज में नहीं खेलेंगे. विराट ने पहले ही बोर्ड को बता दिया था कि वह सफेद गेंद से क्रिकेट नहीं खेलना चाहते हैं. इसीलिए उन्हें टीम में नहीं रखा गया. रोहित ने भी यही अनुरोध किया. उनकी जगह कई युवा क्रिकेटरों को टीम में शामिल किया गया है. कप्तान के रूप में राहुल के नाम की घोषणा की गई, लेकिन उप-कप्तान की घोषणा नहीं की गई।
भारत की विश्व कप टीम के केवल तीन क्रिकेटर दक्षिण अफ्रीका दौरे पर हैं। उस लिस्ट में राहुल के अलावा श्रेयस अय्यर और कुलदीप यादव भी हैं. बाकी 13 क्रिकेटर नए हैं. इनमें से कई भारत की टी20 टीम में हैं. इस टीम को देखकर ऐसा लग रहा है कि भारत 50 ओवर के क्रिकेट में बदलाव की राह पर चलने वाला है.
संजू सैमसन और रजत पाटीदार को वनडे टीम में बुलाया गया है। संजू को टीम में शामिल न किए जाने को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं. इस बार उन्हें वनडे टीम में मौका दिया गया है. पाटीदार ने आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन किया. उन्हें भारतीय टीम में भी मौका मिला. हालांकि सूर्यकुमार यादव को वनडे टीम से बाहर कर दिया गया है. वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में भारत की हार के पीछे सूर्यकुमार की धीमी पारी को वजह के तौर पर देखा गया.
वनडे टीम: लोकेश राहुल (कप्तान), रुतुराज गायकवाड़, साई सुदर्शन, तिलक वर्मा, रजत पाटीदार, रिंकू सिंह, श्रेयस अय्यर, संजू सैमसन, अक्षर पटेल, वाशिंगटन सुंदर, कुलदीप यादव, युजवेंद्र चहल, मुकेश कुमार, अबेश खान, अर्शदीप सिंह, दीपक चाहर. भारत दक्षिण अफ्रीका का दौरा करेगा. दौरे की शुरुआत 10 दिसंबर से टी20 सीरीज से होगी. क्रिकेट के तीन फॉर्मेट होंगे. विराट कोहली ने पहले घोषणा की थी कि वह सफेद गेंद वाली श्रृंखला में नहीं खेलेंगे। बोर्ड ने गुरुवार को दौरे के लिए टीम की घोषणा की। सूर्यकुमार यादव को टी20 सीरीज में भारत का कप्तान बनाया गया है. रोहित शर्मा नहीं खेलेंगे.
गुरुवार को बोर्ड की बैठक थी. पहले सुनने में आया था कि रोहित को टी20 टीम का कप्तान बनाए रखा जाएगा. लेकिन आखिरी वक्त में तस्वीर बदल गई. रोहित की जगह सूर्या को कप्तान बनाया गया है. सूर्या ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चल रही टी20 सीरीज में भी भारत के कप्तान हैं. इसलिए बोर्ड उन पर भरोसा कर रहा है. रवींद्र जड़ेजा को उपकप्तान बनाया गया है.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलने वाली टीम के लगभग सभी खिलाड़ी साउथ अफ्रीका सीरीज के लिए जाएंगे. कुछ अतिरिक्त क्रिकेटरों को चुना गया है। टी20 टीम में शुभमन गिल, श्रेयस अय्यर, कुलदीप यादव, मोहम्मद सिराज, दीपक चाहर को मौका दिया गया है. बोर्ड के फैसले से साफ है कि उन्होंने अगले साल होने वाले विश्व कप को ध्यान में रखते हुए टीम का चयन किया है.
वह वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे. लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 सीरीज के लिए उन्हें आराम दिया गया था. विराट कोहली की छुट्टियां बड़ी होती जा रही हैं. कोहली साउथ अफ्रीका के खिलाफ व्हाइट बॉल सीरीज में नजर नहीं आएंगे. बोर्ड से अनुरोध किया कि उन्हें सफेद गेंद की सीरीज से आराम दिया जाए.
ऐसी उम्मीद थी कि कोहली विश्व कप के बाद ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी20 सीरीज में नहीं खेलेंगे. क्योंकि, हाल ही में कोहली समेत भारत के कई टॉप क्रिकेटर ट्वेंटी-ट्वेंटी फॉर्मेट में खेलते नजर नहीं आ रहे हैं. लेकिन कई लोगों ने नहीं सोचा था कि कोहली खुद को वनडे सीरीज से हटा लेंगे. हालांकि प्रोटियाज के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उनके प्रदर्शन को लेकर कोई संदेह नहीं है.
बोर्ड के एक सूत्र ने एक वेबसाइट को बताया, ”कोहली ने बोर्ड और चयनकर्ताओं को सूचित किया है कि वह सफेद गेंद वाले क्रिकेट से थोड़ा और ब्रेक चाहते हैं। जैसे ही सफेद गेंद का क्रिकेट खेलने के लिए तैयार होगा, इसकी घोषणा कर दी जाएगी। फिलहाल उन्होंने कहा है कि वह लाल गेंद वाले क्रिकेट पर ध्यान देना चाहते हैं. परिणामस्वरूप, वह दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दो टेस्ट मैचों के लिए उपलब्ध रहेंगे।”
कोहली इस समय लंदन में छुट्टियां मना रहे हैं। वर्ल्ड कप की वजह से उन्होंने पिछले कुछ महीनों में लगातार क्रिकेट खेला. आखिरी बार सितंबर में छुट्टी ली थी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले दो वनडे में नहीं खेले.

आयुष्मान खुराना ने सौरव गांगुली की बायोपिक में दादा का किरदार निभाने का संकेत दिया.

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सौरव की बायोपिक में आयुष्मान हैं स्क्रीन के ‘दादा‘? बड़ा संकेत यह है कि अभिनेता की बायोपिक पिछले दो वर्षों से ‘हो रही’ है और केवल अटकलें हैं। इस बार अभिनेता आयुष्मान खुराना ने इस संदर्भ में संकेत दिया है! सौरव गंगोपाध्याय की बायोपिक को लेकर धुंध खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. पिछले दो साल से यह सिर्फ अटकलें ही हैं। ‘महाराज’ के किरदार में कौन नजर आएगा? इसे लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. कई सितारों के नाम सामने आये. जिनमें सबसे ज्यादा चर्चा में नाम रणबीर कपूर का था। इसके अलावा ऋतिक रोशन का नाम भी सुनने में आया था. हालांकि, सुनने में आ रहा है कि क्रिकेट स्टार की बायोपिक पर काम शुरू हो चुका है. दूसरी ओर, आयुष्मान खुराना हमेशा अच्छा क्रिकेट खेलते हैं। जो इस फिल्म की बुनियादी शर्त थी. अभिनय के मामले में वह हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं। इसलिए रणबीर-ऋतिक से ज्यादा आयुष्मान का नाम सुनने को मिला है। हालांकि इस फिल्म को लेकर कभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई. इसी बीच एक्टर ने एक बड़ा हिंट दिया.
आयुष्मान ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि वह अपनी इच्छा पूरी करने के लिए एक फिल्म बनाने जा रहे हैं। आयुष्मान ने यह भी कहा कि यह फिल्म क्रिकेट पर आधारित है. उन्होंने कहा, ”मैं हमेशा से अपने अभिनय करियर में एक क्रिकेटर के रूप में अभिनय करना चाहता था। बहुत जल्द वह इच्छा पूरी होने वाली है. दर्शकों के एक बड़े हिस्से की तरह, आयुष्मान वास्तव में स्क्रीन का स्वाद हैं। लेकिन आख़िर में क्या होगा, ये तो समय ही बताएगा!
दो साल पहले सौरभ गंगोपाध्याय ने उनकी जीवनी के बारे में बताया था. इसके बाद से अब कौन सा एक्टर पर्दे पर सौरव के किरदार में नजर आएगा? तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं. सुनने में आया था कि रणबीर कपूर दादा के किरदार में नजर आएंगे। इसके अलावा ऋतिक रोशन, रणवीर सिंह का नाम भी सुनने को मिल रहा है. लेकिन अंत में आयुष्मान खुराना ही फाइनलिस्ट हैं। हालांकि, एक्टर अभी भी इस मामले पर चुप हैं। हालाँकि, आयुष्मान स्क्रीन की खुशबू हैं।
भारतीय क्रिकेट में टीम के पूर्व कप्तान के किरदार को निभाने के लिए अगले महीने से कड़ी ट्रेनिंग शुरू होगी. लेकिन एक जगह आयुष्मान की सौरव से समानताएं हैं. सौरव की तरह आयुष्मान भी बाएं हाथ के हैं. इसीलिए मेकर्स की आयुष्मान को लेकर खास पसंद है। रजनीकांत की बेटी ऐश्वर्या रजनीकांत द्वारा निर्देशित इस फिल्म की स्क्रिप्ट को लेकर सौरभ काफी सतर्क थे। फिल्म की स्क्रिप्ट फाइनल होने से पहले सौरभ को अक्सर मुंबई भागते देखा जाता था। आखिरकार आयुष्मान ने इस विषय पर अपना मुंह खोला. उन्होंने कहा, ”मैं कुछ नहीं कहना चाहता. अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. जब ऐसा होगा तो आपको बता देंगे.” जाहिर तौर पर आयुष्मान ने इन अटकलों को और हवा दे दी है. मालूम हो कि यह फिल्म सौरव की जिंदगी की कई अनजानी कहानियां बताएगी. इसके अलावा उनके क्रिकेट जीवन के उतार-चढ़ाव सामने आएंगे।
पिछले दो साल से सौरव गंगोपाध्याय की बायोपिक को लेकर अटकलें चल रही हैं। ऐसा लग रहा था मानों यह इतने लंबे समय से सिर्फ धुंधलापन था। लेकिन इस बार धुंध छंट गई. ‘महाराज’ के किरदार में कौन नजर आएगा? इसे लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. कई सितारों के नाम सामने आये. इनमें रणबीर कपूर का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा. इसके अलावा ऋतिक रोशन का नाम भी सुनने को मिला. सूत्रों के मुताबिक इनमें से कोई नहीं बल्कि एक्टर आयुष्मान खुराना ‘प्रिंस ऑफ कलकत्ता’ के किरदार में नजर आएंगे. स्क्रिप्ट राइटिंग का काम पूरा हो चुका है, शूटिंग साल के अंत में दिसंबर से शुरू होगी।
रजनीकांत की बेटी, ऐश्वर्या रजनीकांत द्वारा निर्देशित, सौरव स्क्रिप्ट को लेकर बहुत सतर्क थे। फिल्म की स्क्रिप्ट फाइनल होने से पहले सौरभ को अक्सर मुंबई भागते देखा जाता था। अंत में आयुष्मान को ही मेकर्स ने पसंद किया है. भारतीय क्रिकेट में टीम के पूर्व कप्तान के किरदार को निभाने के लिए अगले महीने से कड़ी ट्रेनिंग शुरू होगी. लेकिन एक जगह ऐसी है जो आयुष्मान और सौरव के बीच समान है। सौरव की तरह आयुष्मान भी बाएं हाथ के हैं. इसलिए उनके किरदार को निभाना अभिनेता के लिए फायदेमंद माना जाता है। लेकिन एक्टर को परफेक्ट सौरव बनने के लिए काफी ट्रेनिंग की जरूरत है।
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तानों में सौरव से पहले महेंद्र सिंह धोनी से लेकर विवादास्पद कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन तक, बड़े पर्दे की जिंदगी को दर्शाया गया है। दोनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट रहीं. इस बार इन दो स्टार्स की फिल्म को मात दे सकती है सौरभ की बायोपिक!

क्या इस बार गिरफ्तार होने की बारी है राखी की?

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टेलीविजन के विवादित सितारों में से एक राखी सबंत इस साल की शुरुआत से ही सुर्खियों में बनी हुई हैं। आदिल खान दुर्रानी से शादी। खबर फैलने के कुछ महीनों बाद तलाक हो गया। रिश्ते में तनाव और उससे जुड़े घोटालों को लेकर उनकी वैवाहिक कलह हमेशा चर्चा के केंद्र में रहती है। राखी की शिकायत के आधार पर आदिल को कई महीनों तक हिरासत में भी रखा गया था। जुलाई में जेल से छूटने के बाद उन्होंने राखी को अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की धमकी दी थी. आदिल अपनी पूर्व पत्नी के खिलाफ ढेर सारी शिकायतें लेकर पुलिस स्टेशन गया। आदिल ने आरोप लगाया कि राखी ने उनके कई पर्सनल वीडियो लीक किए हैं. आदिल की शिकायत के आधार पर इस बार राखीर की होगी गिरफ्तारी? खबर है कि आदिल की शिकायत के आधार पर उनकी गिरफ्तारी हो सकती है- ये आशंका राखी ने पहले जताई थी. इसी सोच के चलते टेली स्टार ने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया. आदिल ने ‘बिग बॉस’ स्टार के खिलाफ अंबोली पुलिस स्टेशन में उनका सीक्रेट वीडियो लीक करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है। ऐसे में उन्होंने कोर्ट से अंतरिम सुरक्षा की गुहार लगाई. खबर है कि कोर्ट उस आर्गीमाफिक राखी को अंतरिम सुरक्षा देने पर सहमत हो गया है. तलाक की घोषणा के बाद राखी ने आदिल पर धोखाधड़ी, घरेलू हिंसा और भारी रकम में अपने नग्न वीडियो बेचने का आरोप लगाया था। राखी की शिकायत पर आदिल को जेल जाना पड़ा था. क्या आदिल इस बार उस घटना का बदला लेने वाला है? आदिल के बाद इस बार गिरफ्तार होने वाली हैं राखी? इसको लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं.
राखी साबंत के पति आदिल दुर्रानी के साथ रिश्ते तनावपूर्ण हैं। उन्होंने इसी साल की शुरुआत में आदिल से शादी कर इस्लाम कबूल कर लिया. राखी का नाम बदलकर फातिमा हो गया. लेकिन कुछ ही महीनों में राखीर ने अपने पति से रिश्ता तोड़ लिया। आदिल को कई शिकायतों के साथ गिरफ्तार किया गया था। राखी-आदिल का तलाक का केस चल रहा है. हालाँकि उन्होंने अपने पति को छोड़ दिया, फिर भी उन्होंने अपना पति धर्म अपना लिया। बुर्का कम ही पहना जाता है. इस साल उमरा करने के लिए मक्का-मदीना जाएं। लेकिन इस बार राखी ने दुर्गा पूजा पर फिर से सुर बदल दिया है. रानी मुखोपाध्याय के घर की पूजा में वह शंख-पाल, सिन्दूर लगाए नजर आईं। अगर हां, तो क्या इस बार उन्होंने किसी बंगाली से शादी की?
मुंबई में मुखर्जी के घर का नाम बताने के लिए दुर्गा पूजा ही काफी है। कई सालों से यह पूजा मुंबई की पारंपरिक पूजाओं में से एक के रूप में जानी जाती है। यह पूजा मशहूर हलकों में भी काफी लोकप्रिय है. रानी मुखोपाध्याय से लेकर काजल और उनकी बहन तनीषा मुखोपाध्याय पूजा के दौरान पूरे दिन यहीं रहती हैं। बोलिपारा के सभी मशहूर सितारे हर बार पूजा में जाते हैं. सप्तमी के दिन कियारा आडवाणी, मधु चोपड़ा, शरबरी बाग और राखी सबंत्रा मुखोपाध्याय के घर पूजा में गईं। राखी सिमरी साड़ी में नजर आईं. उन्होंने दुर्गा प्रतिमा के सामने तस्वीरें भी खिंचवाईं. हाथ में शंख-पाल और सिंथी में सिन्दूर। राखी का नया लुक देख फोटोग्राफर्स ने पूछा, लेकिन क्या कोई अच्छी खबर है? राखी का साफ कहना है कि यह पोशाक केवल दुर्गा पूजा के लिए है। इस दिन प्रियंका चोपड़ा की मां मधु चोपड़ा उन्हें गले लगाती और पैर छूती नजर आती हैं.
कुछ दिनों पहले एक्ट्रेस तनुश्री दत्त ने राखी सबंत के नाम पर एफआईआर दर्ज कराई थी. राखी और तनुश्री की मुश्किलें नई नहीं हैं। हालाँकि, राखी के अपने पति आदिल दुर्रानी के साथ रिश्ते ख़राब हो गए क्योंकि राखी-तनुश्री का पुराना झगड़ा अचानक सिर उठाने लगा। तनुश्री ने राखी के नाम से नई शिकायत दर्ज कराई है. इस बार राखी ने पलटवार किया.
तनुश्री-राखी की मुश्किलें 2009 में आई फिल्म ‘हॉर्न ओके प्लीज’ के दौरान शुरू हुईं। उस वक्त इस फिल्म से राखी को हटाकर तनुश्री को लेने में दिक्कत आ रही थी. हालांकि बाद में राखी को इस फिल्म में कास्ट कर लिया गया। हालांकि तनुश्री ने कहा, यह पूरा मामला पब्लिसिटी स्टंट था। और राखी खुद इसका हिस्सा थीं. इसके बाद चार साल पहले ‘मी टू’ मूवमेंट के दौरान राखी ने तनुश्री के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. तनुश्री ने राखी को शारीरिक रूप से परेशान किया. इतने सालों बाद 2023 में तनुश्री ने राखी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और कहा, ‘राखी के लिए मैं काफी मानसिक और शारीरिक पीड़ा से गुजर चुकी हूं। उन्होंने मेरे नाम पर जो कुछ कहा, मैं उसे स्वीकार नहीं कर सका। हर साल राखी एक नई थीम लेकर आती हैं। क्योंकि, वह प्रचार की रोशनी में रहना चाहते हैं। उन्हीं के कारण मुझे अपमानित और अपमानित होना पड़ा है। ”मैंने उसके लिए शादी नहीं की है.” इस बार राखी ने उन्हें जवाब दिया. बॉलीवुड की ‘ड्रामा क्वीन’ ने कहा, ”मैं उनका नाम नहीं लेना चाहती.” लेकिन मैं एक बात कह सकता हूं कि वह चार साल तक क्या कर रहे थे? चार साल बाद अचानक अब क्यों? किसी भी गलत काम के बाद उसकी शिकायत एक साल के भीतर दर्ज करानी होगी। इस मामले को चार साल बीत चुके हैं. तनुश्री को कैसे मिल रहा है ये खास फायदा?

सुहाना खान ने हाल ही में रिलीज़ हुए फिल्मी गाने से अपना डेब्यू किया है.

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एक्टिंग से संतुष्ट नहीं हैं शाहरुख-बेटी, डेब्यू से पहले सुहाना के सिर जुड़ा नया पंख! बस कुछ दिन और इंतजार करना है. इसके बाद शाहरुख खान की बेटी सुहाना खान पर्दे पर बतौर एक्ट्रेस डेब्यू करने जा रही हैं. बादशा-कन्या ‘द आर्चीज़’ सीरीज़ के जरिए ओटीटी प्लेटफॉर्म पर डेब्यू कर रही हैं। बस कुछ दिन और इंतजार करना होगा. इसके बाद अब शाहरुख खान की बेटी बॉलीवुड में एंट्री करने जा रही हैं. जोया अख्तर की ‘द आर्चीज’ सीरीज के जरिए सुहाना खान बॉलीवुड में बतौर एक्ट्रेस डेब्यू करने जा रही हैं. यह सीरीज ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली है। ये सीरीज अगले महीने रिलीज होने वाली है. फिलहाल राजा और बेटी उनके अभियान में व्यस्त हैं. लेकिन सुहाना सिर्फ एक्ट्रेस ही नहीं बल्कि सिंगर के तौर पर भी डेब्यू करने जा रही हैं. शाहरुख-कन्या ने ‘द आर्चीज’ सीरीज का गाना गाया.
सीरीज़ की पहली झलक और प्रमोशनल झलक के बाद समय-समय पर ‘द आर्चीज़’ के कई गाने भी रिलीज़ किए गए हैं। सीरीज का नया गाना ‘जब तुम ना थी’ हाल ही में रिलीज हुआ है। उस गाने को सुहाना ने आवाज दी थी. सुहाना ने यह गाना बॉलीवुड के मशहूर और लोकप्रिय संगीतकार टीम शंकर-एहसान-लॉय की धुन पर गाया है। लेकिन उस गाने में सुहाना ही नहीं, डॉट, तेजस और जावेद अख्तर जैसे सीनियर कलाकार भी उनके साथ हैं. हाल ही में सुहाना ने गाने की एक झलक सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, ”मैंने अपनी जिंदगी का पहला गाना गाया. मुझे यह अवसर देने के लिए जोया अख्तर, शंकर महादेवन को धन्यवाद।
स्केटिंग से लेकर बैले तक, सुहाना और बाकी क्रू ने ‘द आर्चीज़’ सीरीज़ में अभिनय करने के लिए कठोर प्रशिक्षण लिया है। स्केटिंग जूते पहनकर चिकने फर्श पर नृत्य का अभ्यास करते समय वे बार-बार गिरे हैं। इसके बावजूद शाहरुख-कन्या ने हार नहीं मानी। वीडियो पहले ही जारी किया जा चुका है. न केवल स्केटिंग, उन्होंने श्रृंखला के लिए बैले भी सीखा। बैले सीखते समय वह जमीन पर गिर गये और घायल हो गये। कुछ महीने पहले सुहाना ने सोशल मीडिया पेज पर एक ऐसी ही तस्वीर पोस्ट की थी. लेकिन सुहाना अपने पिता की तरह अपने टैलेंट और मेहनत से बॉलीवुड में अपनी जगह बनाना चाहती हैं. राजा की बेटी ने खुद को योग्य साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उस गाने को सुहाना ने आवाज दी थी. सुहाना ने यह गाना बॉलीवुड के मशहूर और लोकप्रिय संगीतकार टीम शंकर-एहसान-लॉय की धुन पर गाया है। लेकिन उस गाने में सुहाना ही नहीं, डॉट, तेजस और जावेद अख्तर जैसे सीनियर कलाकार भी उनके साथ हैं. हाल ही में सुहाना ने गाने की एक झलक सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, ”मैंने अपनी जिंदगी का पहला गाना गाया. मुझे यह अवसर देने के लिए जोया अख्तर, शंकर महादेवन को धन्यवाद।
आलिया भट्ट इस समय बॉलीवुड की सबसे सफल अभिनेत्रियों में से एक हैं। सारा अली खान से लेकर जान्हवी कपूर तक, अनन्या पांडे की प्रेरणा आलिया हैं। मात्र 11 वर्ष की अल्पायु में ही वे सफलता के शिखर पर पहुंच गये। इस बार पंचमुख सुहाना खान ने आलिया की तारीफ की. कुछ दिनों बाद शाहरुख-बेटी ‘द आर्चीज’ सीरीज के जरिए बॉलीवुड में डेब्यू करने जा रही हैं। इस बार आलिया के चाहने वालों में सुहाना का नाम भी जुड़ गया है. लेकिन आलिया की परफॉर्मेंस से नहीं बल्कि अन्य कारणों से सुहाना ने कहा कि एक्ट्रेस प्रभावित हैं. आलिया ने 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता। इस दिन के इवेंट में आलिया की साड़ी सबसे ज्यादा ध्यान खींचने वाली थी। अभिनेत्रियां किसी भी इवेंट या अवॉर्ड लेने पर लाखों रुपए खर्च कर डिजाइनर कपड़े पहनती हैं। लेकिन आलिया पूरी तरह से कंफ्यूज हैं. जिंदगी के इस खास पल में उन्होंने कोई नई ड्रेस नहीं बल्कि अपनी खुद की शादी की साड़ी पहनी थी. आलिया की सलाह है कि हर मौके पर बिल्कुल नए कपड़े न पहनें, बल्कि पुराने कपड़े पहन लें। इतनी सफल एक्ट्रेस होने के बावजूद सुहाना नेचर के बारे में सोचकर आलिया के इस कदम से खुश हैं. एक्ट्रेस की तारीफ में पंचमुख शाहरुख-बेटी उन्होंने कहा, ”आलिया वाकई अद्भुत हैं. आलिया राष्ट्रीय पुरस्कार की तरह अपनी पुरानी साड़ी पहनकर मंच पर आईं और उन्होंने बताया, ”अगर आलिया भट्ट अपने कपड़े बदल सकती हैं, तो हम भी कर सकते हैं।” शाहरुख के परिवार के आलिया के साथ अच्छे रिश्ते हैं। हाल ही में सुहाना आलिया-रणबीर की बेटी राहा के बर्थडे पर उनके लिए गिफ्ट लेकर गई थीं।

रोहित की जगह सूर्या को कप्तान बनाया गया है.

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भारत दक्षिण अफ्रीका का दौरा करेगा. दौरे की शुरुआत 10 दिसंबर से टी20 सीरीज से होगी. क्रिकेट के तीन फॉर्मेट होंगे. विराट कोहली ने पहले घोषणा की थी कि वह सफेद गेंद वाली श्रृंखला में नहीं खेलेंगे। बोर्ड ने गुरुवार को दौरे के लिए टीम की घोषणा की। सूर्यकुमार यादव को टी20 सीरीज में भारत का कप्तान बनाया गया है. रोहित शर्मा नहीं खेलेंगे. गुरुवार को बोर्ड की बैठक थी. पहले सुनने में आया था कि रोहित को टी20 टीम का कप्तान बनाए रखा जाएगा. लेकिन आखिरी वक्त में तस्वीर बदल गई. रोहित की जगह सूर्या को कप्तान बनाया गया है. सूर्या ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चल रही टी20 सीरीज में भी भारत के कप्तान हैं. इसलिए बोर्ड उन पर भरोसा कर रहा है. रवींद्र जड़ेजा को उपकप्तान बनाया गया है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलने वाली टीम के लगभग सभी खिलाड़ी साउथ अफ्रीका सीरीज के लिए जाएंगे. कुछ अतिरिक्त क्रिकेटरों को चुना गया है। टी20 टीम में शुभमन गिल, श्रेयस अय्यर, कुलदीप यादव, मोहम्मद सिराज, दीपक चाहर को मौका दिया गया है. बोर्ड के फैसले से साफ है कि उन्होंने अगले साल होने वाले विश्व कप को ध्यान में रखते हुए टीम का चयन किया है. भारत की टी20 टीम: सूर्यकुमार यादव (कप्तान), रवींद्र जड़ेजा (उप-कप्तान), यशस्वी जयसवाल, शुबमन गिल, रुतुराज गायकवाड़, तिलक वर्मा, रिंकू सिंह, श्रेयस अय्यर, इशान किशन, जीतेश शर्मा, वॉशिंगटन सुंदर, रवि बिश्नोई, कुलदीप यादव , अरशदीप सिंह, मोहम्मद सिराज, मुकेश कुमार, दीपक चाहर।
वनडे वर्ल्ड कप ख़त्म हो चुका है. अगले साल होने वाले टी20 वर्ल्ड कप से पहले भारत की नजरें एक बार फिर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप पर हैं. दिसंबर में दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज है. दो टेस्ट में अच्छे नतीजे से अंत में भारत को फायदा मिल सकता है। यही कारण है कि चयनकर्ता पूरी ताकत वाली भारतीय टीम चुनना चाह रहे हैं। गुरुवार को टीम की घोषणा होने की उम्मीद है. इस दिन एक साथ चार टीमों का चयन किया जाएगा। दक्षिण अफ्रीका में तीनों फॉर्मेट की टीमों के साथ-साथ उस देश का दौरा करने वाली भारत ‘ए’ टीम की भी घोषणा की जाएगी. विराट कोहली पहले ही कह चुके हैं कि वह सफेद गेंद क्रिकेट में नहीं खेलेंगे. परिणामस्वरूप, 50-ओवर और 20-ओवर की टीमों की घोषणा उनके बिना की जाएगी। रोहित शर्मा को लेकर अटकलें तेज हैं. यह देखने के लिए कि वह सफेद गेंद से क्रिकेट खेलता है या नहीं.
हालांकि चयनकर्ता टेस्ट क्रिकेट पर ज्यादा ध्यान देना चाहते हैं. उस प्रारूप के लिए केवल सबसे मजबूत टीम का चयन किया जाएगा। भारत आज तक दक्षिण अफ्रीका में कोई टेस्ट सीरीज नहीं जीत सका है. पिछली बार वे आगे निकल गए थे और सीरीज हार गए थे. अगर वे इस बार जीतते हैं तो टेस्ट वर्ल्ड कप में भारत को फायदा होगा. गेंदबाजी विभाग में जसप्रित बुमरा, मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज शामिल होंगे। देखिये और कौन लेता है. दिल्ली और मुंबई में प्रदूषण के कारण आतिशबाजी का प्रदर्शन निलंबित कर दिया गया है। लेकिन भारत के ज्यादातर मैदानों में मैच के बाद आतिशबाजी होती देखी जाती है. ईडन में विराट कोहली के जन्मदिन पर आतिशबाजी का प्रदर्शन कुछ ज्यादा ही शानदार था। मैच ख़त्म होने के बाद आसमान में आतिशबाजी होने लगी. इसे दूर से देखा गया है. लेकिन समस्या कहीं और है.
चुंगी मैदान से पटाखे फोड़े गए। प्रदर्शनी शुरू होते ही ईडन स्क्वायर में घुड़सवार पुलिस के घोड़े तेज आवाज में अव्यवस्थित व्यवहार करने लगे। दोनों घोड़े अचानक क्रोधित हो गए और इधर-उधर भागने लगे। दो घुड़सवार पुलिसकर्मी भी घायल हो गये. उन्हें अलीपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. दो प्रशंसक खेल देखने आये। इन पर घोड़े भी चढ़े हुए हैं। दोनों घायल हो गये. पुलिस कमिश्नर ने रात में दोनों समर्थकों से मुलाकात की। शोर से घोड़े को तुरंत दिल का दौरा पड़ जाता है। बाद में उनकी मृत्यु हो गई. दो टेस्ट में अच्छे नतीजे से अंत में भारत को फायदा मिल सकता है। यही कारण है कि चयनकर्ता पूरी ताकत वाली भारतीय टीम चुनना चाह रहे हैं। गुरुवार को टीम की घोषणा होने की उम्मीद है. इस दिन एक साथ चार टीमों का चयन किया जाएगा। दक्षिण अफ्रीका में तीनों फॉर्मेट की टीमों के साथ-साथ उस देश का दौरा करने वाली भारत ‘ए’ टीम की भी घोषणा की जाएगी. क्रिकेट के तीन फॉर्मेट होंगे. विराट कोहली ने पहले घोषणा की थी कि वह सफेद गेंद वाली श्रृंखला में नहीं खेलेंगे। बोर्ड ने गुरुवार को दौरे के लिए टीम की घोषणा की। सूर्यकुमार यादव को टी20 सीरीज में भारत का कप्तान बनाया गया है.

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