डॉलर के बढ़ते दाम को लेकर हाल ही के दिनों में विपक्ष ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि 2014 से पहले जो डॉलर 62 के आसपास का आज 80 के आंकड़े पर पहुंच रहा है। क्या सरकार सो रही है? क्या सरकार ने इसके लिए कोई कदम उठाया? बढ़ती महंगाई को लेकर विपक्ष ने भारत सरकार को उद्योगपतियों की मदद करें और गरीबों को लूटने जैसे आरोप लगाए साथ ही विपक्ष में डॉलर के मुकाबले कमजोर पड़ते रुपए पर चिंता व्यक्त की।
इस पर वित्त मंत्रालय ने जवाब देते हुए कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपए में कमी जरूर आई है लेकिन यह कोई बड़ी चिंता की वजह नहीं है। हमें इसको लेकर बेवजह परेशान ही होना चाहिए साथ ही मंत्रालय ने कहा कि भारतीय रुपया वन पाउंड और यूरो के मुकाबले मजबूत हुआ है। आपको बता दें कि मंगलवार को मुद्रा बाजार में सुबह रुपया डॉलर के मुकाबले 80 के स्तर पढ़ रहा लेकिन बाजार बंद होने तक सोमवार को रुपया औरों के मुकाबले साथ 79.92 के स्तर पर बंद हुआ। इससे पहले लोकसभा के मॉनसून सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा ने कहा था कि रुपए में गिरावट जरूर आई है पर भारतीय रुपया रुपया येन, पाउंड और यूरो के मुकाबले मजबूत हुआ है। निर्मला सीतारमण के साथ-साथ आर्थिक मामलों के विभागीय सचिव अजय सेठ ने इस पर भारत सरकार की रणनीति को मीडिया के आगे रखा। अजय सेठ ने मीडिया को बताया कि पिछले कुछ महीनों में डॉलर रुपया से कुछ प्रतिशत मजबूत जरूर हुआ है। लेकिन डॉलर के मजबूत होने के कोई खास कारण नहीं है उन्होंने कहा कि डॉलर के मजबूत होने का एकमात्र कारण है।अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक ने अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की इस वजह से डॉलर में मजबूती आई। साथ ही अजय सेठ ने कहा कि अब निवेशक दूसरे देशों से पैसा निकालकर अमेरिका में निवेश कर रहे हैं वहीं दूसरे देशों की मुद्राओं के मुकाबले भारतीय रुपए में मजबूती देखने को मिली। उन्होंने कहा कि अगर आप रुपये को येन, पाउंड और यूरो के मुकाबले देखेंगे तो आप रुपए को मजबूत ही पाएंगे। हमें इस तथ्य को ध्यान रखना चाहिए कि भारत में होने वाले सारे निर्यात और आयात का भुगतान सिर्फ डॉलर में नहीं होता। सेठ ने कहा कि आपको पता होना चाहिए कि पिछले 2 सालों में देश में सस्ते कर्ज का दौर था लेकिन स्थिति अब बदल रही है। अजय सेठ ने कहा कि जहां तक भारत की इज्जत का सवाल है तो मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव रोकने की कोशिश जारी है ताकि आयातकों और निर्यातकों के लिए माहौल सही जा सके और हम आशा करते हैं कि धीरे-धीरे स्थिति में सुधार होगा और रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत होता दिखाई देगा।
निवेशक को की निकासी बनी समस्या।
आर्थिक मामलों के विभागीय सचिव अजय सेठ ने बताया कि मुद्रा बाजार में भारी उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए केंद्रीय बैंक और भारत सरकार अपने सभी प्रयास कर रही है। साथ ही अजय सेठ ने मीडिया को बताते हुए कहा कि अप्रैल से अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय बैंकों से $14 अरब निकाले हैं। अमेरिका में महंगाई के नए आंकड़े आने के बाद विदेशी संस्थागत निवेशको ने भारत समेत तमाम विकासशील बाजारों से पैसा निकालने शुरू कर दिए हैं। आपको बता दें कि अप्रैल 2005 से अभी तक निवेशक 14 अरब डॉलर की निकासी कर चुके हैं रुपए की गिरावट के लिए यह भी एक वजह बताई जा रही है। इसके साथ साथ रुपए मे गिरावट कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से भी आई है।आपको बता दें कि कच्चे तेल की कीमत जो जनवरी 2022 में $75 प्रति बैरल थी ,लेकिन आज कीमत 105 प्रति डॉलर है। और जून महीने में यह कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल रहा। जिसकी वजह से भारत सरकार ने डॉलर के रूप में काफी ज्यादा खर्च वहन किया यह विदेशी मुद्रा भंडार में दिखाई दे रहा है।
आपको बता दे की इन सब के पीछे का वजह है करेंट डेफिसिट अकाउंट ।
आइए जानते है क्या होता है चालू खाता घाटा? चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) तब होता है, जब किसी देश द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य उसके द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मूल्य से अधिक हो जाता है। वस्तुओं के निर्यात तथा आयात के संतुलन को व्यापार संतुलन कहा जाता है।