यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या कांग्रेस महाराष्ट्र और बंगाल के साथ गठबंधन बना पाएगी या नहीं! आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस अलग-अलग राज्यों में सहयोगियों के साथ गठबंधन में जुटी है। आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस की बात बन चुकी है। दोनों ही दलों के साथ अलग-अलग राज्यों में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सामने भी आ चुकी है। बावजूद इसके पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में अभी भी कांग्रेस की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रहीं। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस नेतृत्व को मन मुताबिक डील नहीं मिल पा रही। जानकारी के मुताबिक, बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के साथ सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई है। महाराष्ट्र में भी कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के बीच सीटों के बंटवारे पर गतिरोध नजर आ रहा। यही वजह है कि यूपी में समाजवादी पार्टी और दिल्ली, हरियाणा, गुजरात में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने के बावजूद, कांग्रेस आलाकमान की चुनौतियां कम होती नजर नहीं आ रहीं। बंगाल में कांग्रेस की कोशिश तृणमूल कांग्रेस को फिर से बातचीत की टेबल पर लाने की है। टीएमसी चीफ और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह कांग्रेस के साथ सीटों के बंटवारे की असफल वार्ता के बाद अकेले चुनाव लड़ेंगी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अधीर रंजन चौधरी के नेतृत्व वाली राज्य कांग्रेस इकाई ने लगभग 10 सीटों की मांग की थी। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस ने केवल दो सीट की ही पेशकश की थी। ममता बनर्जी की अधीर रंजन चौधरी ने आलोचना की थी, जिसके बाद, उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने उनके सभी प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया है। हालांकि, राहुल गांधी सहित कांग्रेस आलाकमान अब भी ममता बनर्जी को गठबंधन में वापस लाने के प्रयास कर रहा है।
हालांकि, अब तक की सूचना के मुताबिक कांग्रेस-टीएमसी में सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई है। अधीर रंजन चौधरी लगातार तृणमूल पर निशाना साध रहे हैं। उनका दावा है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर टीएमसी के भीतर मतभेद हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी दुविधा में है, कुछ सदस्यों का मानना है कि अगर वे अकेले चुनाव लड़ते हैं, तो पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक उनके खिलाफ मतदान करेंगे। पार्टी के एक अन्य वर्ग को डर है कि अगर वे बंगाल में गठबंधन को प्राथमिकता देते हैं, तो मोदी सरकार उनके खिलाफ जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करेगी। इसी खींचतान के चलते ममता बनर्जी बंगाल में राहुल गांधी की अगुवाई वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल नहीं हुईं। इससे गठबंधन को बीजेपी के हमलों का मुकाबला करने का मौका नहीं मिला।
महाराष्ट्र की बात करें तो कांग्रेस, शिवसेना और शरद पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी के धड़े से मिलकर बने इंडिया ब्लॉक ने अभी तक सीट बंटवारे पर कोई पत्ते नहीं खोले हैं। खबरों के मुताबिक, राहुल गांधी ने गतिरोध को सुलझाने के प्रयास में शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे से बात की है। कांग्रेस का लक्ष्य मुंबई की छह लोकसभा सीटों में से तीन पर चुनाव लड़ना है। उधर, उद्धव ठाकरे राज्य में 18 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं, जिसमें मुंबई की चार सीटें शामिल हैं। इसी गतिरोध को खत्म करने और बीच रास्ता खोजने के लिए दोनों नेताओं ने चर्चा की है।
कांग्रेस को महाराष्ट्र में तीन वरिष्ठ नेताओं के बाहर होने से भी झटका लगा है। हालांकि, राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने जोर देकर कहा है कि गठबंधन के भीतर कोई विवाद नहीं है। आगामी चुनावों में महा विकास अघाड़ी अच्छा प्रदर्शन करेगा। महाराष्ट्र में इंडिया ब्लॉक के लिए एक चुनौती शिवसेना और एनसीपी के नए पार्टी नाम और सिंबल के बारे में वोटरों को बताना भी है। एक बार सीटों का बंटवारा तय हो जाने के बाद, तीनों दलों को बीजेपी को चुनौती देने के लिए संयुक्त अभियान शुरू करने की आवश्यकता होगी। इस तरह से महाराष्ट्र में अगर सीट सीट शेयरिंग फॉर्मूला बन भी जाता है तो भी इंडिया गठबंधन को इस चुनाव में काफी मेहनत करनी होगी।
उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है। सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से 17 सीटें कांग्रेस को मिली हैं, बाकी सीट सपा के खाते में गई है। वहीं कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी को एक सीट दी है। कांग्रेस ने दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, चंडीगढ़ और गोवा के लिए आम आदमी पार्टी के साथ सीटों के बंटवारे पर भी सहमति जताई है। हालांकि, पंजाब में दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे क्योंकि वहां बातचीत सफल नहीं हो सकी।