Home Indian News क्या अब जेडीयू से मिलेंगे बाकी के विपक्ष?

क्या अब जेडीयू से मिलेंगे बाकी के विपक्ष?

0
क्या अब जेडीयू से मिलेंगे बाकी के विपक्ष?

अब जेडीयू से बाकी के विपक्ष मिल सकते हैं! अब कांग्रेस को भी निर्णय लेना होगा कि 2024 में क्या रणनीति होनी चाहिए और विपक्षी एकता को किस तरह से मजबूत करना चाहिए। यदि कांग्रेस इस बात पर तैयार हो जाए तो 2024 में भाजपा 100 सीटों के अंदर सिमट कर रह जाएगी। ये बयान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिया है। राजधानी पटना में भाकपा माले के अधिवेशन में नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता को लेकर बड़ी बात कही। नीतीश ने कांग्रेस को एक तरह से ललकार दिया। नीतीश ने कांग्रेस को साफ कहा कि अब आप तय कीजिए 2024 में क्या रणनीति होगी? बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश लालू के साथ दिल्ली गये थे। मुलाकात सोनिया गांधी से नहीं हुई। जब दोनों नेता बाहर निकले, तो चेहरे पर वो चमक नहीं थी। उसके बाद बिहार पहुंचे नीतीश कुमार कुछ ठंडे पड़ गए। अब दोबारा एक्टिव हुए हैं। जानकर मानते हैं कि नीतीश ने अब सीधे कांग्रेस के साथ ‘PP’ फैक्टर वाली सियासत शुरू कर दी है। जानकारों ने बताया कि नीतीश कुमार ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ के जरिए कांग्रेस को बता रहे हैं कि समय रहते संभल जाइए। नीतीश कुमार यही नहीं रूके उन्होंने कहा कि हम तो इंतजार कर रहे हैं। कांग्रेस के एक्टिव होने का। हम दिल्ली में जाकर सोनिया गांधी और राहुल से मिले थे। नीतीश ने कहा कि सब एकजुट हो जाएं, तो बीजेपी 100 से नीचे सीट में निपट जाएगी। बिहार में हमलोग एकजुट होकर काम कर रहे हैं। 2024 में सभी विपक्षी दल एकजुट होकर लड़ेंगे तभी बीजेपी का सफाया होगा। नीतीश कुमार ने इस दौरान ये स्पष्ट कर दिया कि उन्हें नेतृत्व को लेकर कोई व्यक्तिगत इच्छा नहीं है। वे केवल बदलाव चाहते हैं। नीतीश कुमार ने कांग्रेस को सीधे ललकारते हुए कहा कि विपक्षी एकता की कवायद जारी है। बस आप लोगों के फैसले का इंतजार है। देश के कई लोग एक मंच पर आने को तैयार हैं। आप लोग देश हित में सोचेंगे तो आपलोगों यानी कांग्रेस का ही फायदा होगा। नीतीश ने कहा कि हमको कुछ नहीं चाहिए। हम चाहते हैं सभी एकजुट होकर 2024 में भाजपा का सामना करें। हम पहले भी साथ चल रहे थे, आगे भी साथ चलेंगे। सलमान खुर्शीद सामने बैठे हैं। हम लोगों ने विपक्षी एकता के लिए जाकर दिल्ली में संदेश दे दिया था। अब हम लोग कांग्रेस का इंतजार कर रहे हैं।

जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार पीएम पद को लेकर विपक्ष में कोई मनमुटाव नहीं चाहते हैं। वो कांग्रेस पर प्रेशर भी बनाना चाहते हैं। साथ ही ये भी बताना नहीं भूल रहे हैं कि उनकी इस पद में कोई इच्छा नहीं है। नीतीश कुमार ने माले के मंच से कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद को कई बातें कही। हालांकि, इस दौरान सलमान खुर्शीद नीतीश कुमार की बातें सुनते रहे। सहमति जताते रहे। उसके अलावा जब बोलने के लिए खड़े हुए तो साफ कह दिया कि नीतीश कुमार जी जो आप सोचते हैं। वो हम यानी कांग्रेस भी सोच रही है। बस बात इतनी सी है कि पहले आई लव यू कौन कहेगा। जानकारों की मानें, तो नीतीश कुमार जब से विपक्षी एकता की कवायद में जुटे हैं तब से अभी तक कांग्रेस ने खुलकर कुछ नहीं कहा है। अब नीतीश कुमार सीधे-सीधे कांग्रेस को भी प्रेशर पॉलिटिक्स के अंदर लेना चाह रहे हैं। जानकारों के मुताबिक, नीतीश ने पटना में कांग्रेस को खुलकर आगे आने के लिए इसलिए कहा कि उन्हें ये बता सकें कि वो पीएम पद के उम्मीदवार नहीं है। नीतीश ने ये संदेश दिया कि आप आगे आइए और सबको साथ लेकर बीजेपी का सामना कीजिए।

लालू के साथ दिल्ली पहुंचे नीतीश कुमार सोनिया से मिल नहीं पाए थे। उसके बाद से वो खुद भी ठंडे पड़ गये थे। कयास लगाये जा रहे थे कि नीतीश के फार्मूले से सोनिया या फिर कांग्रेस संतुष्ट नहीं है। नीतीश की तमाम बातों पर सहमति जताते हुए सलमान खुर्शीद ने कहा कि वे उनकी बात को ऊपर तक पहुंचा देंगे। नीतीश कुमार इस दौरान माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य के समर्थन और सहमति से खुश दिखे। उन्होंने विपक्षी एकजुटता को जरूरी बताया। नीतीश ने इस दौरान सलमान खुर्शीद की ओर देखते हुए कहा कि आज आप आए हुए हैं तो आप ही के माध्यम से आपके पार्टी के नेतृत्व को हम अनुरोध करेंगे कि जल्दी से जल्दी फैसला करिए और हमलोगों को बुलाकर के बात कर लीजिए। कहां कहां और किसके किसके साथ एक जुट होकर के अगला चुनाव लड़ना है। ये फैसला जिस दिन कर लीजिएगा, उसी दिन हम सब लोग एक जुट हो जाएंगे और मिल के लड़ेंगे। आप जान लीजिए कि अच्छी तरह से इनसे मुक्ति हो जाएगी। वहीं, जानकारों का कहना है कि माले के अधिवेशन में पहुंचे नीतीश और तेजस्वी राहुल के समर्थन में नहीं गये थे। जी हां, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के समापन पर बिहार के दोनों नेता नहीं गये थे। खुर्शीद को भी पता है कि नीतीश की कौन सी बात दिल्ली तक पहुंचानी है। जानकार मानते हैं कि कांग्रेस नीतीश के प्रेशर पॉलिटिक्स को बखूबी समझ रही है।

इस अधिवेशन में डेप्यूटी सीएम तेजस्वी यादव भी नीतीश के सुर से सुर मिलाकर बोलते हुए दिखे। तेजस्वी ने कहा कि बीजेपी मंदिर, मस्जिद, गाय की चर्चा करती रहती है। तेजस्वी ने कहा कि नफरत की राजनीति फैलाने वाले लोग यह जान लें कि देश किसी के बाप का नहीं, जो मुसलमानों से वोटिंग का अधिकार छीन लें। तेजस्वी ने केंद्र के साथ आरएसएस पर हमला बोला। इस महाधिवेशन में नीतीश कुमार काफी दिनों बाद विपक्षी एकता की कवायद को लेकर मुखर दिखे। उन्होंने साफ कर दिया है कि वे पीएम पद की रेस में नहीं हैं। नीतीश ने सार्वजनिक मंच से ये भी ये भी कहा कि वे सिर्फ बीजेपी का सामना करते हुए अन्य दलों को देखना चाहते हैं। कुल मिलाकर नीतीश कुमार ने आज अपने पीपी यानी प्रेशर पॉलिटिक्स के फैक्टर को कांग्रेस के समक्ष रखा है। यहां तक कि सलमान खुर्शीद ने कह दिया कि वे नीतीश की बातों को आगे तक ले जाएंगे। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक मोदी के खिलाफ विपक्षी एकता की इस कवायद में बड़े-बड़े पेंच हैं। देश में अभी तक बने कोई भी फ्रंट कारगर सिद्ध नहीं हुए हैं। देवगौड़ा और गुजराल की सरकार का हस्र सबको पता है। उधर, विभिन्न सर्वे में मोदी मजबूत दिख रहे हैं। वैसे में विपक्ष को मोदी के खिलाफ बड़ी तैयारी करनी होगी। मुकाबला इतना भी आसान नहीं है।