उड़ीसा में हाल ही में एक वास्तविकता में लोकतंत्र की तस्वीर देखी गई है! ओडिशा में पहली बार बीजेपी सरकार बनी है। बीजेपी के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने आज शपथ ली। माझी के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं समेत बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए। ओडिशा के सीएम के शपथ ग्रहण समारोह से लोकतंत्र की एक बेहद खूबसूरत तस्वीर सामने आई, जब ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक मंच पर पहुंचे और बीजेपी के नेताओं ने उनका स्वागत किया। पटनायक को मंच पर बीजेपी के नेताओं के बीच कुर्सी दी गई। इससे भी खास बात ये है कि नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पटनायक के घर जाकर उन्हें शपथ ग्रहण का न्योता दिया था। बीजेपी के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी शपथ ग्रहण से कुछ घंटे पहले ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिलने पहुंचे। माझी पटनायक के आवास ‘नवीन निवास’ पर पहुंचे, जहां उन्होंने औपचारिक रूप से पूर्व मुख्यमंत्री को शपथ ग्रहण का निमंत्रण दिया। नवीन पटनायक ने भी माझी का न्योता स्वीकार किया और समारोह में पहुंच गए।
जब पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक मंच पर पहुंचे तो केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान उन्हें सबके पास लेकर गए। यहां उनकी अगुवाई गृहमंत्री अमित शाह ने की। इसके बाद नितिन गडकरी और जेपी नड्डा ने उनका स्वागत किया। बीजेपी अन्य नेताओं योगी आदित्यनाथ, मोहन यादव और पुष्कर सिंह धामी ने भी उनसे नमस्कार किया। इसके बाद नवीन पटनायक को मंच पर कुर्सी दी गई। अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान के बीच में उन्हें सम्मान से बिठाया गया। थोड़ी देर बाद मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे। पीएम मोदी ने नवीन पटनायक के साथ मुस्कुराते हुए गर्मजोशी के साथ मुलाकात की। वो कुछ सेकेंड तक उनका हाथ पकड़े बातचीत करते दिखे। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक केमिस्ट्री साफ देखी जा सकती है। ये तस्वीर बताती है कि राजनीति में कोई दुश्मन नहीं होता और सभी नेताओं को उनसे यह सीखने की जरूरत है।
बता दें कि आदिवासी नेता और चार बार के विधायक मोहन चरण माझी ने बुधवार को ओडिशा के पहले भाजपा मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। शपथग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कई केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री शामिल हुए। ओडिया आदिवासियों के हिंदूकरण ने उन्हें दलितों के खिलाफ खड़ा कर दिया है, जिनका ईसाई मिशनरी 19वीं शताब्दी से धर्म परिवर्तन कराते आए हैं। 2008 से अब तक कई बार धार्मिक हिंसा हुई है। 2008 में विहिप नेता की हत्या के बाद कंधमाल में ईसाई दलितों के खिलाफ दंगे हुए थे। भाजपा के लिए आदिवासी-दलित के बीच की खाई एक जीती हुई रणनीति थी: आदिवासी आबादी का 23% हैं, जबकि दलित सिर्फ 17% हैं। पटनायक की पिछली सफलता काफी हद तक ओडिशा के देश की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने पर टिकी थी। यह अर्थव्यवस्था विदेशी निवेश को आकर्षित करती थी और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर केंद्रित थी।
वरिष्ठ भाजपा नेता और पटनागढ़ से विधायक केवी सिंह देव तथा निमापारा विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बनीं प्रभाती परिदा ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। पिछली विधानसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक रहे माझी हाल में हुए विधानसभा चुनाव में चौथी बार विधानसभा के लिए चुने गए। उन्होंने क्योंझर विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की।
जनता मैदान में राज्यपाल रबघुबर दास ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। यह पहली बार है कि जब ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी भाजपा की सरकार बनी है। बता दें कि ‘ओडिया हिंदू अस्मिता’ – ओडिया हिंदू गौरव का नारा लेकर भाजपा ने पटनायक को उनके ही मैदान में हरा दिया।
बीजद का सिर्फ ऊंची जाति के हिंदुओं पर भरोसा करना उल्टा पड़ा। ओडिशा में अनुसूचित जाति और जनजाति 40% हैं, जबकि अन्य पिछड़ी जातियों ओबीसी का भी 40% हिस्सा है। भाजपा ने आदिवासी समुदायों को हिंदुत्व के पाले में शामिल करके पूरे राज्य में काफी तेजी से पैठ बनाई, जिसके लिए पटनायक की ‘ओडिया अस्मिता’ ने, हिंदू गौरव को हवा देकर, अनजाने में ही आसान रास्ता बना दिया था। ज्यादातर आदिवासी वोट भाजपा को गए, जिसमें मयूरभंज जिले द्रौपदी मुर्मू का जन्मस्थान के वोट भी शामिल थे। मयूरभंज की आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू ने दो साल पहले राष्ट्रपति बनकर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की थी। समारोह में मोदी के अलावा भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, भूपेन्द्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, जुएल ओराम, अश्विनी वैष्णव और अन्य शामिल हुए।