Tuesday, May 21, 2024
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जब पहली बार भारत से विदेश डिलीवर हुई ब्रह्मोस मिसाइल!

हाल ही में भारत से विदेश ब्रह्मोस मिसाइल डिलीवर हो चुकी है! कभी राफेल फाइटर जेट तो कभी एस-400 मिसाइल सिस्टम के भारत आने की तस्वीरें तो आपने जरूर देखी होंगी। ये पहली बार है जब भारत ने किसी दूसरे देश को सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस सौंपी है। दोनों देशों ने 2022 में 375 मिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसी डील के तहत भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें दी है। शुक्रवार को भारतीय वायु सेना का सी-17 ग्‍लोबमास्‍टर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम लेकर फिलिपींस के कलार्क एयर बेस पहुंचा। इस दौरान ब्रह्मोस मिसाइल की डिलिवरी के फोटो आपका दिल जीत लेंगे। रक्षा जानकारों का कहना है कि फिलिपींस के साथ हुई यह डिफेंस डील भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए पहला प्रमुख इंटरनेशनल एक्सपोर्ट ऑर्डर था। यह ऑर्डर 290 किमी की रेंज वाली एक एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के तट-आधारित संस्करण के लिए है। दोनों देशों के बीच साल 2022 में इसे लेकर डील हुई थी। भारत और फिलीपींस के बीच लगभग 37.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर पर डील को लेकर सहमति हुई थी।

भारत की ओर से फिलीपींस को यह मिसाइल प्रणाली की डिलीवरी उस वक्त दी गई है, जब दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस और चीन के बीच लगातार तनाव बना हुआ है। भारत ने शुक्रवार को फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का पहला सेट सौंपा है। इस दौरान फिलीपींस मरीन कॉर्प्स के अफसरों को भारतीय अधिकारियों ने मिठाई भी खिलाई। फिलीपींस मरीन कॉर्प्स को यह मिसाइल सिस्टम पहुंचाने के लिए भारतीय वायु सेना के सी-17 ग्लोबमास्टर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की मदद ली गई। सी-17 ग्लोबमास्टर शुक्रवार को फिलीपींस पहुंचे हैं। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के साथ-साथ इस प्रणाली के लिए ग्राउंड सिस्टम का निर्यात बीते महीने से ही शुरू हो गया था। माना जा रहा है कि ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली को फिलीपींस की ओर से अपने तटीय इलाकों में तैनात किया जा सकता है। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भारत और रूस के बीच एक संयुक्त तौर पर बनाया गया है। भारत में डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशिनोस्ट्रोयेनिया इसके प्रमुख साझेदार हैं।

ब्रह्मोस मिसाइल को पूरे विश्व भर में सबसे सटीक और सफल मिसाइल प्रोग्राम में से एक माना जाता है। डिफेंस एक्सपर्ट बताते हैं कि वैश्विक स्तर पर सबसे अग्रणी और सबसे तेज सटीक-निर्देशित हथियार के रूप में ब्रह्मोस ने भारत की निवारक क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय सेना ने 2007 से कई ब्रह्मोस रेजिमेंटों को अपने शस्त्रागार में एकीकृत किया है। पूर्व एयर चीफ मार्शल आर. के. एस. भदौरिया ने ब्रह्मोस मिसाइल के फिलिपींस को एक्सपोर्ट किए जाने पर जमकर तारीफ की है।ग्‍लोबमास्‍टर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम लेकर फिलिपींस के कलार्क एयर बेस पहुंचा। इस दौरान ब्रह्मोस मिसाइल की डिलिवरी के फोटो आपका दिल जीत लेंगे। रक्षा जानकारों का कहना है कि फिलिपींस के साथ हुई यह डिफेंस डील भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए पहला प्रमुख इंटरनेशनल एक्सपोर्ट ऑर्डर था। यह ऑर्डर 290 किमी की रेंज वाली एक एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के तट-आधारित संस्करण के लिए है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट में लिखा- ये भारत के लिए गर्व का पल है। IAF_MCC सी-17 ने फिलीपींस को निर्यात की गई पहली भारत में निर्मित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की आपूर्ति की। भारतीय उद्योग के लिए ये बड़ा मील का पत्थर है। यह तो डिफेंस एक्सपोर्ट में भारतीय कहानी की शुरुआत है।

रक्षा विशेषज्ञों ने मिसाइल प्रणाली के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि एक मिसाइल प्रणाली कई सब-सिस्टम से बनी होती है। इसमें लॉन्चर, वाहन, लोडर, कमांड और नियंत्रण केंद्र शामिल हैं। भारत के पास लंबी दूरी की कई मिसाइलें हैं।ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के साथ-साथ इस प्रणाली के लिए ग्राउंड सिस्टम का निर्यात बीते महीने से ही शुरू हो गया था। माना जा रहा है कि ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली को फिलीपींस की ओर से अपने तटीय इलाकों में तैनात किया जा सकता है। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भारत और रूस के बीच एक संयुक्त तौर पर बनाया गया है। भारतीय उद्योग के लिए ये बड़ा मील का पत्थर है। यह तो डिफेंस एक्सपोर्ट में भारतीय कहानी की शुरुआत है।भारत में डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशिनोस्ट्रोयेनिया इसके प्रमुख साझेदार हैं। वहीं, फिलीपींस को जो मिसाइलें दी जा रही हैं, वह मूल रूप से छोटे संस्करण की हैं। इसके साथ ही सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि एक्सपोर्ट की जा रही मिसाइलें बिल्कुल नई हैं और वे उस खेप का हिस्सा नहीं हैं, जो भारतीय सशस्त्र बलों के लिए हैं।

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